चावल की बात और रोचक घटनाएँ
भारत सरकार ने 20 जुलाई को चावल के निर्यात को लेकर एक बड़ा फैसला लिया जिसके तहत चावल निर्यात में जो सबसे बड़ी कैटगरी नॉन-बासमती सफेद चावल की है उसके एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी सरकार ने फ़ैसले के पीछे तर्क दिया कि आने वाले त्योहार के मौसम में घरेलू बाज़ार में चावल की बढ़ती मांग और क़ीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए,
इस फ़ैसले के बाद भारत जितना चावल निर्यात करता है अब वो करीब आधा हो जाएगा भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है इस फैसले से दुनिया भर के खाद्य बाज़ार में चावल के दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है घरेलू बाज़ार में चावल की क़ीमतें लगातार बढ़ रही हैं एक साल में ही11.5% की वृद्धि देखी गई सरकार ने पिछले साल 8 अगस्त को नॉन-बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर 20% का निर्यात शुल्क लगाया था ताकि चावल के इस किस्म की निर्यात में थोड़ी कमी आए
इसके बावजूद चावल के निर्यात में इज़ाफ़ा देखा गया दुनिया भर के भू-राजनीतिक परिदृश्य, चावल उत्पादक देशों में अल नीनो और बदलते मौसम की वजह से हो रहा है इसी सप्ताह वियतनाम से निर्यात किए जाने वाले चावल की कीमत बीते एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है भारत और थाईलैंड के बाद वियतनाम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश हैभारत का चावल दुनिया भर के 165 देशों में जाता हैग्लोबल ट्रेड में भारत का 42% मार्केट शेयर हैअगर ये प्रतिबंध लंबे समय तक चला तो भारत इस मार्केट को खो सकता है
जो देश भारत के चावल पर निर्भर हैं उनके लिए ये बहुत बड़ी चुनौती है और जो थाईलैंड और वियतनाम से चावल खरीदते हैं अब उन्हें बढ़े हुए दाम में चावल खरीदने पड़ेंगे इसका फ़ायदा वियतनाम, पाकिस्तान थाईलैंड जैसे देशों को होगा, क्योंकि इनका चावल अधिक दाम पर बिकेगा विश्व व्यापार में 45 मिलियन टन चावल का निर्यात होता है जिसमें से भारत का हिस्सा 22 मिलियन टन है इसमें बासमती और नॉन बासमती दोनों चावल शामिल है अगर आप इसमें से 18 मिलयन टन घटा दें दो आप सोचिए कि इसका अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कितना असर होगा तो ऐसी स्थिति में ये खरीदारों का नहीं विक्रेताओं का बाज़ार बन जाएगा
सरकार के इस फ़ैसले के बाद अमेरिका के किराना दुकानों पर लोगों की लंबी कतार नज़र आ रही है सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए जिसमें अमेरिका के डिपार्टमेंटल स्टोर पर चावल की लूट मची हुई है इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोग बाज़ार में चावल की कमी के डर से बाज़ार से ज़रूरत से ज़्यादा चावल खरीद रहे हैं उत्तरी अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया में ख़ासकर तेलुगू समुदाय के लोगों के बीच चिंता का माहौल पैदा हो गया कई दुकानों पर ये नियम बनाए गए हैं कि एक ग्राहक चावल का एक बैग ही खरीद सकता है
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद काला सागर से होने वाले अनाज निर्यात को लेकर आशंकाएँ जताई जा रही थीलेकिन रूस और यूक्रेन ने युद्ध के बावजूद पिछले साल काला सागर से अनाज के सुरक्षित निर्यात के लिए समझौता किया था पिछले दिनों रूस ने इस समझौते से अलग होने की घोषणा कर दीअब चिंता ये जताई जा रही है कि पहले से ही अकाल का सामना कर रहे कई अफ़्रीकी देशों के लिए गंभीर खाद्य संकट पैदा हो सकता है रिपोर्ट के अनुसार, विश्व चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40% से अधिक है जो दुनिया में चावल के चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से ज़्यादा है
भारतीय किसान साल में दो बार धान की रोपाई करते हैं जून में बोई गई फसल का कुल उत्पादन 80% से अधिक , सर्दियों के महीनों में धान की खेती मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण भारत में की जाती है पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और छत्तीसगढ़ देश के प्रमुख चावल उत्पादक राज्य हैं इस साल 130 मिलियन टन चावल का उत्पादन होगा और हमारी खपत 108 मिलियन टन के आसपास होगा वर्तमान में एफ़सीआई के पास अपने बफ़र स्टॉक का ढाई गुना अनाज है
सरकार की ओर से चावल का खरीद मूल्य बढ़ाने के बाद उम्मीद थी की चावल की खेती बढ़ जाएगी लेकिन 2022 की तुलना में किसानों ने अब तक 6 प्रतिशत कम क्षेत्र में धान की फ़सल लगाई है वही नेपाल देश को भारत से सालाना लगभग 15 लाख मीट्रिक टन धान और 2.5 लाख मीट्रिक टन चावल आयात करने की ज़रूरत होती है
नेपाल ने 11 महीनों में लगभग 33 अरब रुपये मूल्य के धान और चावल का आयात किया देश की जीडीपी में कृषि का हिस्सा 24%,कृषि उत्पादन में चावल का योगदान 15%,पिछले साल नेपाल में 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान उगाया गया और उत्पादन करीब 55 लाख मीट्रिक टन हुआ भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध के फ़ैसले के अलावा बारिश की कमी के चलते चावल उत्पादन को लेकर काफ़ी चिंता है
नेपाल दुनिया के शीर्ष बासमती चावल उत्पादक देशों में से एक है यह हिमालय की तलहटी में उगाया जाता हैऔर नेपाल दुनिया में सबसे अधिक गुणवत्ता वाले चावल का उत्पादन करता है। नेपाल हर साल लगभग 4 मिलियन टन चावल का उत्पादन करता है। इस चावल का अधिकांश भाग दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है
1960 के
दशक की हरित क्रान्ति से पहले भारत में चावल की कम से कम 300 ऐसी
प्रजातियाँ उगाई जाती थींजिन्हें उनकी बेहतरीन खुशबू के लिए जाना जाता थापिछले कुछ
दशकों से खुशबूदार चावल के नाम पर केवल बासमती चावल को भारत के इकलौते अंतरराष्ट्रीय
ब्रांड के तौर पर प्रचारित जा रहा हैसच्चाई यह है कि ख़ुद बासमती की अनेक विशिष्ट
नस्लें पूरी तरह ख़त्म हो चुकी हैं
चावल को लेकर देश और दुनिया में रोचक मान्यताये: सुगंध के मामले में गोविन्द भोग से कहीं आगे चावल की एक और दुर्लभ प्रजाति है काला नमक. नेपाल के कपिलवस्तु और इससे लगने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में उगाए जाने वाले इस चावल को संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने संसार के विशिष्ट चावलों की सूची में जगह दी है
एक कथा प्रचलित है कि ज्ञान प्राप्त करने के बाद लुम्बिनी के जंगल से गुज़रते हुए भगवान गौतम बुद्ध ने इस इलाक़े के ग्रामीणों को इस चावल के बीज देते हुए कहा था इन बीजों से उगने वाले चावल की सुगन्ध तुम्हें हमेशा मेरी याद दिलाएगी चावल के साथ गौतम बुद्ध का गहरा सम्बन्ध रहा क्योकि इनके पिता शुद्धोदन के नाम का अर्थ होता है- वह जो शुद्ध चावल उगाने वाला है
ऐसे ही जापान, थाईलैंड, कोरिया, चीन और भारत में अनेक लोक कथाओं प्रसिद्ध इनमें सबसे दिलचस्प जापानी सूर्य देवी अमातेरासू और भोजन देवी ऊकेमोची की है अमातेरासू ने अपने भाई त्सूकोयोमी को आदेश दिया कि धरती पर जाकर ऊकेमोची से मिल कर आए त्सूकोयोमी के स्वागत में ऊकेमोची ने अपने मुंह के भीतर से तमाम तरह के भोजन निकाल कर प्रस्तुत किये जूठा भोजन परोसे जाने से नाराज़ त्सूकोयोमी ने उसकी हत्या कर दी इससे क्रोधित होकर अमातेरासू ने अपने भाई से सारे सम्बन्ध तोड़ लिए जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात अलग-अलग हो गए
अमातेरासू ने एक और देवता को धरती पर भेजा जिसने देखा कि ऊकेमोची के शव के आग के अलग अलग हिस्सों से अनेक तरह के अन्न व प्राणी बाहर निकल रहे थे- माथे से दाल,भवों से रेशम के कीड़े और पेट से चावल अमातेरासू ने इन सब को इकठ्ठा कराया और मानव जाति के भले के लिए इन्हें बोने की व्यवस्था की यही से कृषि की शुरुआत मानी जाती है एक और कथा के अनुसार अमातेरासू को एक दिव्य पक्षी ने धान के कुछ बीज दिए इन बीजों से सुन्दर चावल उगे जिन्हें अमातेरासू ने एक राजकुमारी को देते हुए निर्देशित किया कि इन्हें आठ महान द्वीपों के देश जापान की मिट्टी में फैला दे
थाईलैंड में प्रचलित एक कथा में वर्णन है कि भगवान विष्णु ने बारिश के देवता इंद्र से कहा कि धरती पर जाकर वहां के इंसानों को चावल की खेती करना सिखाएं उत्तराखंड के कुमाऊँ में धान की रोपाई के साथ एक पुरानी परम्परा जुड़ी हुई है गाँवों में रोपाई का काम आज भी सामूहिक तरीके से किया जाता है गाँव की सारी महिलाएं एक-एक कर सभी खेतों में धान बोती हैं यह कार्य बहुत श्रमसाध्य होता है इसे जीवंत बनाने के लिए पुरखों ने मनोरंजन का तत्व शामिल किया गाँव का लोक गायक हुड़का नामक वाद्य लेकर रोपाई की जगह पहुंचता है
और पुरानी गाथाओं को गाकर सुनाते है इनमें कुमाऊँ के विख्यात चंद राजाओं और स्थानीय लोक देवताओं के साथ ही जीवन से जुड़े दुःख-सुख के तमाम किस्से होते है हुड़किया बौल के नाम से जानी जाने वाली इस परम्परा को आज भी कुमाऊँ की उपजाऊ सोमेश्वर घाटी के गाँवों में देखा जा सकता है इस अकेली घाटी में कम से कम दो दर्ज़न अलग-अलग तरह के चावल उगते हैं
चावल दुनियाभर के रीति-रिवाजों का भी खास हिस्सा रहा है। इसको लेकर कई तरह की मजेदार कहानियां भी हैं। जैसे चीन में ऐसी मान्यता है कि लड़किया अपनी प्लेट में चावल के जितने दाने जूठे छोड़ेंगी उतने ही मुहांसे उसके होने वाले पति के चेहरे पर हो जाएंगे यह मान्यता शायद जूठन छोड़ने को हतोत्साहित करने के लिए बनाई गई होगी इसी तरह जापान में मान्यता है कि पकाने के पहले चावल को भिगोकर रखने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है
और इससे भोजन को
अधिक शक्तिशाली आत्मा का साथ मिलता है इंडोनेशिया में होने वाली बहू के लिए यह
जरूरी है कि उसे चावल की डिश बनाना अच्छे से आना चाहिए यहाँ बहू चुनने का यह सबसे
बड़ा आधार यही होता है इसी तरह भारतीय संस्कृति में भी चावल को महत्वपूर्ण स्थान
हासिल है पूजा पाठ के दौरान भगवान को कच्चे चावल अर्पित किए जाते हैं। फिर भक्तों
पर भी भगवान के आशीर्वाद के रूप में कच्चे चावल के दानों की बौछार की जाती है।
विवाह संस्कार के दौरान भी नवदंपती पर चावल छिड़ककर उसे समृद्धि का आशीर्वाद दिया
जाता है। ससुराल में बहु का गृह प्रवेश संस्कार हो या बहु के द्वारा बनाया जाने वाला
प्रथम भोजन या नवजात को प्रथम भोजन की शुरुआत चावल की खीर से ही की जाती है
चावल के विकास का इतिहास मनुष्य के विकास के साथ जुड़ा हुआ है जो लगभग पांच से आठ हज़ार साल पहले चीन, दक्षिण एशिया, उत्तर भारत, इंडोनेशिया, बर्मा और जापान में किये जाने के प्रमाण मिलते हैंपश्चिमी और मध्य अफ्रीका में चावल का 3,000 साल का इतिहास हैसाहसी जहाजी अभियानों और गुलामों की खरीद-फरोख्त के व्यवसाय के चलते चावल अमेरिका और यूरोप तक पहुंचा
आज दुनिया की कोई ऐसी रसोई नहीं जहाँ चावल न पकाया जाता हो फिलीपींस के अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान की 2010 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति दिन में कम से कम एकबार भोजन में चावल खाता है चावल की प्रति व्यक्ति खपत सबसे अधिक ब्रुनेई देश में है जहां का एक आदमी साल में 245 किलो चावल खाता है दूसरे और तीसरे नंबर पर विएतनाम और लाओस हैं आश्चर्य है कि भारत और चीन जहाँ चावल के उगाये जाने की शुरुआत हुई थी इस लिस्ट के 20 नामों तक में अपनी जगह नहीं बना सके
1850 के दशक में कैलिफोर्निया के गोल्ड रश के दौरान अच्छे रोज़गार के लिए कम से कम चालीस हज़ार चीनी मजदूर यहाँ के साक्रामेंटो शहर पहुंचेइन मजदूरों को सुबह-शाम चावल खाना होता था जो यहाँ उगता नहीं था इनके लिए चीन से चावल का आयात किया जाने लगा लगभग 40 सालों बाद कैलिफोर्निया में चावल की खेती शुरू हुई 1950 के आते-आते साक्रामेंटो घाटी में भरपूर चावल उगने लगा था
2008 की एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट बताती है कि कैलिफोर्निया में उगने वाले कुल चावल का 50% आज जापान, उज्बेकिस्तान, टर्की और कोरिया को निर्यात होता है इन्हीं चीनी मजदूरों ने संपन्न होते ही अमेरिका के पहले चाइनीज रेस्तरां खोले रात के बचे बासी चावल को सुबह तेल का तड़का लगाकर खाने वाले इन मजदूरों ने इस व्यंजन को फ्राइड राइस का नाम दिया दुनिया भर के रेस्तराओं के मेन्यू में फ्राइड राइस आज एक महत्वपूर्ण व्यंजन बन चुका है
उत्तर भारत और अफगानिस्तान में चावल की खेती करीब 5,000 साल पहले शुरू हुई जो धीरे-धीरे पश्चिम में सिन्धु घाटी और दक्षिण में भारतीय प्रायद्वीप की तरफ फैली गंगा के मैदानों में इसकी शुरुआत ईसा से 2,500 वर्ष पहले हुईउस समय के अर्ध-घुमंतू शिकारी और मछुआरे समुदायों को मध्य एशिया के मंगोल आक्रमणकारियों का लगातार भय बना रहता था जो उपजाऊ भूमि की तलाश में एक से दूसरी जगह पलायन करते रहते थे इस क्रम में भारतीय आर्य, कॉकेशस, ईरान और हिन्दुकुश के पर्वतों को पार कर अफगानिस्तान, पंजाब और दिल्ली जैसी जगहों पर जा बसे यही लोग अपने साथ चावल की अलग-अलग प्रजातियाँ तैयार करते गए होंगे
ईसा से 1,000 वर्ष पहले भारत से अफगानिस्तान और ईरान के रास्ते चावल मध्य पूर्व पहुंचा और अगले 500 सालों में यहाँ से यूनान, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र और लीबियाबाद की शताब्दियों में उत्तर-पश्चिमी अफ्रीकी आक्रान्ताओं ने दक्षिणी यूरोप पर कब्ज़ा जमाया और चावल को सिसली और स्पेन तक पहुंचा दिया
इससे पहले ईसापूर्व चौथी शताब्दी में सिकंदर भी भारत से यूनान ले जा चुका था चावल के आवागमन की एक दूसरी दास्तान के तार अफ्रीका से जुड़ते हैं जिसके पश्चिमी तटों से लगे विस्तृत इलाकों में काले छिलके वाले चावल की खेती किये जाने का कई हजार साल का इतिहास खोजा जा चुका है
16वीं शताब्दी में शुरू हुआ अफ्रीकी गुलामों की खरीद-फरोख्त का घृणित कारोबार करीब 350 साल चलाइस दौरान करोड़ों की संख्या में अफ्रीकी लोगों को उनके घरों से उठा कर दुनिया के अलग-थलग कोनों में फेंक दिया गया जहाँ इन्हें नरक से भी बदतर परिस्थितियों में जानवरों जैसा जीवन जीने को मिला इनमें कम से कम 50 लाख स्त्रियाँ थीं लम्बी समुद्री यात्राओं में इन गुलाम स्त्रियों को मोटा अफ्रीकी चावल खाने को मिलता था इस चावल का स्वाद इन्हें इनकी मातृभूमि की स्मृतियों से जोड़े रखता
एशियाई मूल का सफ़ेद चावल इन जगहों पर एशियाई मूल का सफ़ेद चावल पहले से ही पहुँच चुका था यह चावल अफ्रीकी चावल के मुकाबले बेस्वाद तो होता ही था इसकी न्यूट्रीशनल वैल्यू भी कम होती थी धान रोपने से लेकर चावल माड़ने तक की लम्बी और जटिल प्रक्रियाओं को काली स्त्रियों ने जिम्मेदारी ले रखी थी इनके खेत ही इनके मंदिर थे यह इनके प्रकृति के ज्ञान का नतीजा था कि इनका चावल विषम से विषम परिस्थितियों में उग जाता था पश्चिमी अफ्रीका की औरतें अपने बालों की लटों में धान के बीज गूंथ कर सोया करती थीं क्या मालूम कब इन्हें बेच दिया जाय गुलाम अफ्रीकी स्त्रियों ने अपनी लटों में छिपाए गए धान के इन्हीं बीजों की मदद से चावल उगाया
इस तरह अजनबी मुल्कों में बनाई गयी अपनी रसोइयों में इन्होने खुशबू पैदा की चूंकि मालिकों द्वारा अपने गुलामों को किसी तरह का श्रेय दिए जाने की परम्परा नहीं थी इनकी इस उपलब्धि को अमरीकी इतिहास में 20-30 साल पहले तक दर्ज तक नहीं किया गया था अब दुनिया भर के कृषि विश्वविद्यालय चावल का नया इतिहास लिख रहे हैं मनुष्य के अंतर्राष्ट्रीय आवागमन और व्यापार के एक से एक दिलचस्प किस्से चावल से बनाए जाने वाले हर लोकप्रिय व्यंजन के साथ जुड़े हुए हैं
स्थानीय मसालों का फर्क छोड़ दें तो अपने यहाँ जिसे बिरयानी और ईरान में पुलाव कहते हैं वह इटली का रिसॉटो और स्पेन का पाएय्या है इन सभी व्यंजनों की परिकल्पना सीधे-सीधे इस्लामी व्यापारियों और मुग़ल बादशाहों की देन है
12वीं शताब्दी में चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय का लिखा एन्साइक्लोपीडिया सरीखा संस्कृत ग्रन्थ 'मानसोल्लास' एक अद्भुत पुस्तक है राजा सोमेश्वर चावल प्रेमी थे इन्होने आठ तरह के चावल और इनके लक्षण बताये हैं जैसे शालिरक्त, महाशालि, गंधशालि, कलिंगक, मुंडशालि, स्थूलशालि, सूक्ष्मशालि और सषष्ठिकलाल रंग का चावल शालिरक्त, बड़ी आकृति वाला महाशालि, खुशबू वाला गंधशालि, कलिंग देश में उगने वाला कलिंगक, मोटा चावल स्थूलशालि, छोटे दानों वाला सूक्ष्मशालि और साठ दिन में पक जाने वाला सषष्ठिक चावल कहलाता था इस सषष्ठिक धान को आज भी उत्तर भारत में साठिया धान कहा जाता है
महाभारत काल के भोजन का वर्णन सम्राट नल द्वारा लिखे गए ग्रन्थ 'नल पाकदर्पण' में मिलता है ये बताते हैं कि पकाने से पहले चावल को थोड़ा गर्म जल से धोया जाना चाहिए क्षालयेन बुध सम्यगीषदुष्णेन वारिणा" इसके अलावा इन्होने चावल को पकाते समय दूध और मठ्ठा डालने का विधान भी लिखा है" तत्रैव तु सदा सिंचत तक्र क्षीर पयोथवा "इस प्रकार का चावल आयु और आरोग्य बढ़ाने वाला होता है-"इद तंडुलसूभतमायुरारोग्यवर्धनम" चावल को संस्कृत में 'तण्डुल' तमिल में 'अरिसि' कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं
हिंदी में पके हुए चावल को 'भात' लेकिन अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैंचावल घास की प्रजाति ओरीज़ा सैटिवा एशियाई चावल और ओरीज़ा ग्लोबेरिमा अफ्रीकी चावल का बीज है जंगली चावल के नाम ज़िज़ानिया और पोर्टेरेसिया की प्रजातियों के लिए उपयोग किया जाता है, दोनों जंगली और घरेलू है, चावल एशिया की सबसे महत्वपूर्ण फसल है उदाहरण के लिए, कंबोडिया में कुल कृषि क्षेत्र का 90% हिस्सा चावल उत्पादन के लिए उपयोग होता है
पिछले 25 वर्षों में अमरीका की चावल खपत में तेजी से वृद्धि हुई है, जो आंशिक रूप से बीयर उत्पादन जैसे वाणिज्यिक अनुप्रयोगों से प्रेरित है। पांच में से लगभग एक वयस्क अमेरिकी चावल खाता है चावल में ना सिर्फ फाइबर मौजूद होता है बल्कि इसमें विटामिन, कैल्शियम, आयरन, थायमीन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्व भी होते है चावल मूल रूप से चीन देश से आया है
दुनिया में सबसे सबसे अच्छे चावल की बात करे तो 17 नवंबर को फुकेत में विश्व चावल सम्मेलन में कंबोडिया की फका रुमडुओल चमेली किस्म के चावल के विश्व के सर्वश्रेष्ठ चावल का ताज पहनाया गया थाईलैंड का होम माली चावल, जो पिछले दो वर्षों से शीर्ष पर था अब दूसरे स्थान पर आ गया चावल की गिनती दुनिया के प्राचीनतम खाद्य पदार्थों में होती है। इसकी उत्पत्ति प्राचीन फ्रेंच शब्द ‘रिस’से हुई है जो ग्रीक शब्द ‘ओरुज़ा’से लिया गया था दुनिया की लगभग सभी संस्कृतियों में चावल को विशेष स्थान हासिल है इसे शुद्धता, सम्पन्नता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है
माना जाता है कि एक करोड़ साल पहले चावल कभी जंगलों में जंगली घास के रूप में उगता था यह वह दौर था, जब दुनिया महाद्वीपों में भी विभाजित नहीं हुआ था डॉ. ओमप्रकाश द्वारा लिखी पुस्तक ‘फूड एंड ड्रिंक्स ऑफ एन्सिएंट इंडिया’ के अनुसार यजुर्वेद में चावल की पांच प्रजातियों का उल्लेख मिलता है- गर्मी के चावल को ‘शष्टिका’, बारिश के चावल को ‘वर्षिका’ और ‘वृहि’, पतझड़ के चावल को ‘शरद’ और शीत ऋतु के चावल को ‘हिमातंका’ या शाली कहते थे
प्राचीन भारत में चावल के इस्तेमाल से कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती थीं जो हमारे ग्रंथों में वर्णित है। सुश्रुत ने ‘विश्यन्डका’ नाम की एक डिश का उल्लेख किया है, जिसमें पहले चावल को घी में हल्का फ्राय किया जाता था फिर इस चावल में दूध और गुड़ डालकर इस मिश्रण को तब तक पकाया जाता थाजब तक कि वह थोड़ा गाढ़ा नहीं हो जाता था। यही खीर का प्रारंभिक अवतार था जिसे आज हम अलग-अलग तरह से बनाते हैं। इसी तरह की एक और डिश ‘उत्रैका’ का भी उल्लेख मिलता है जिसमें चावलकी जगह चावल का आटा मिलाया जाता था। वहीं ‘पुपालिका’ नामक डिश भी होती थी। यह एक तरह का केक होता था जिसे चावल के आटे से बनाया जाता था। केक के बीच में बहुत सारा शहद भरा जाता था और फिर इसे घी में पकाया जाता था।
‘चरक संहिता’ में कामोद्दीपक औषधि के तौर पर ऐसे ऑलमेट का वर्णन है जिसे मगरमच्छ के अंडे में चावल का आटा डालकर घी में पकाया जाता था अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान ने एशिया में पाए जाने वाले सुगंधित चावल की 843 पारंपरिक किस्मों को सूचीबद्ध किया है: अफगानिस्तान 1 बांग्लादेश 42, भूटान 16, कंबोडिया 13, चीन 21, इंडोनेशिया 83, भारत 138,ईरान 16, जापान 4 कोरिया 3, लाओ पीडीआर 84, मलेशिया 35, म्यांमार 111, नेपाल 28, पाकिस्तान 72 , फिलीपींस 73, श्रीलंका 9, थाईलैंड 32, और वियतनाम 53 इसके अलावा, हैती 2, मेडागास्कर 1, तंजानिया 1, और अमेरिका में 3 सुगंधित चावल की किस्में हैं अतरराष्ट्रीय सुगंधित चावल बाजार में थाईलैंड के चमेली चावल का दबदबा है
लेकिन बासमती चावल जिसे सुगंधित चावल की रानी कहा जाता है हिंदी में, बासमती का अर्थ है "सुगंध से भरपूर"अन्य लोग कहते हैं कि नाम का अर्थ "सुगंध की रानी" है यह ज्ञात नहीं है कि इसका नाम कैसे अस्तित्व में आया, लेकिन बासमती का सबसे पहला उपयोग 1766 में पंजाब के प्रसिद्ध कवि वारीस शाह ने अपनी महाकाव्य कविता हीर और रांझा में किया था
राजस्थान में उदयपुर के पास अरहर गाँव में पुरातत्व खुदाई में लंबे दाने वाले चावल की खोज की गई थीयह चावल 2000 ईसा पूर्व से 1600 ईसा पूर्व का है और इसे प्रिय बासमती का संभावित पूर्वज माना जाता है बासमती चावल की खेती हजारों वर्षों से हिमालय क्षेत्र की तलहटी में की जाती रही है और यह भारतीय उपमहाद्वीप के महाराजाओं, मध्य पूर्वी एशिया के सुल्तानों और प्राचीन भूमध्यसागरीय राज्यों के शाही मेनू में मुख्य व्यंजन के रूप में रहता रहा
आधुनिक युग में, बासमती चावल को 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश और पुर्तगाली व्यापारियों के माध्यम से वैश्विक प्रसिद्धि मिली 15वीं शताब्दी के एक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अनुसार, बासमती को सात्विक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सात्विक भोजन हल्का और पचाने में आसान होता है ये मन में स्पष्टता लाते हैं, संतुष्टि की भावना देते हैं और लोगों में प्रेम और करुणा लाते हैं। इस बीच, आधुनिक विज्ञान ने निर्धारित किया है कि बासमती में मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका अर्थ है कि इस चावल के सेवन से रक्त शर्करा के स्तर में मध्यम उतार-चढ़ाव होता है पाचन संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए अन्य चावल की तुलना में बासमती एक अच्छा विकल्प है
पुरातात्विक और भाषाई साक्ष्यों के आधार पर वर्तमान वैज्ञानिक सहमति यह है कि ओरिज़ा सैटिवा चावल को पहली बार 13,500 से 8,200 साल पहले चीन में यांग्त्ज़ी नदी बेसिन में उगाया गया था खेती, प्रवासन और व्यापार ने चावल को दुनिया भर में फैलाया भारत में 6000 ईसा पूर्व से चावल की खेती के प्रमाण उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के लहुरादेवा में मिला है। हालाँकि, लहुरादेवा के नमूने घरेलू चावल के हैं या नहीं, यह अभी भी विवादित है।
भारतीय उपमहाद्वीप में चावल की खेती 5,000 ईसा पूर्व से की जाती थी। चावल सहित कई जंगली अनाज, विंध्यन पहाड़ियों में उगाए जाते थे, चावल की खेती सिंधु घाटी सभ्यता में की जाती थी ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी के दौरान कृषि गतिविधियों में कश्मीर और हड़प्पा क्षेत्रों में चावल की खेती शामिल थीजर्मनी में रोमन शिविरों में पहली शताब्दी ईस्वी के चावल के बड़े भंडार पाए गए हैं।
2003 में, कोरियाई पुरातत्वविदों ने घोषणा की कि उन्हें कोरिया के सोरो-री में चावल के जले हुए दाने मिले हैं, जो 13,000 ईसा पूर्व के हैं। ये चीन में पाए जाने वाले सबसे पुराने अनाजों की तारीख बताते हैं, जो 10,000 ईसा पूर्व के थे, और संभावित रूप से इस स्पष्टीकरण को चुनौती देते हैं कि घरेलू चावल की उत्पत्ति चीन के यांग्त्ज़ी नदी बेसिन में हुई थी विश्व के कुल चावल उत्पादन में अभी भी एशियाई किसानों की हिस्सेदारी 87% है। चूँकि बांग्लादेश में चावल का बहुत अधिक उत्पादन होता है, इसलिए यह देश का मुख्य भोजन भी है
चावल समकालीन इंडोनेशिया में सभी वर्गों के लिए एक मुख्य भोजनहै और यह इंडोनेशियाई संस्कृति और इंडोनेशियाई व्यंजनों में केंद्रीय स्थान रखता है इंडोनेशियाई संस्कृति में चावल के महत्व को प्राचीन जावा और बाली की चावल देवी, देवी श्री की श्रद्धा के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता हैसुलावेसी द्वीप पर जंगली चावल के साक्ष्य 3000 ईसा पूर्व के हैं। खेती के ऐतिहासिक लिखित साक्ष्य जावा के केंद्रीय द्वीप से आठवीं शताब्दी के पत्थर के शिलालेखों से मिलते हैं , जो दिखाते हैं कि राजा चावल पर कर लगाते थे।
चावल की खेती, चावल के खलिहान और चावल के खेत में चूहों के आक्रमण की
तस्वीरें बोरोबुदुर के कर्माविभंगा आधार-राहतों से भी स्पष्ट हैं पुरुषों, महिलाओं और जानवरों के बीच श्रम का विभाजन इंडोनेशियाई
चावल की खेती में आज भी मौजूद है,
मध्य जावा में नौवीं शताब्दी के प्रम्बानन मंदिरों पर राहत भित्तिचित्रों में उकेरा गया था जिसमे एक जल भैंस हल से जुड़ा हुआ पौधे रोपती और अनाज कूटती महिलाएँऔर एक आदमी अपने कंधों पर एक डंडे के दोनों सिरे पर चावल के ढेर ले जा रहे है
बासमती और जैस्मिन चावल के गुणगान तो सभी ने सुने हैं पर इन दोनों से भी अलग चावल की सात पारम्परिक किस्में होती हैं, जिन्हें बनाने बैठे तो इनकी खुशबु ही मुंह में पानी ला दे। इस तरह के चावलों को खोजना जरा मुश्किल है, क्योंकि एक केरल में होता है तो दूसरा मणिपुर की पहाड़ियों में जैसे: अम्बेमोहर चावल महाराष्ट्र में उगाया जाने वाला यह चावल आकर में जरा छोटा होता है। इसकी खासियत यह है कि यह बहुत ही जल्दी पक जाता है और इसकी सुगंध मानो ऐसे, जैसे कि आम के फूलों की खुशबू। मुल्लन कज़हामा स्वाद और सुगंध से भरपूर यह चावल केरल के वायनाड में होता है।
गोबिन्दो भोग पश्चिम बंगाल में होने वाला छोटा-सा सुगंधित चावल, जिसे पिछले ही साल जन्माष्टमी पर भगवन श्री कृष्ण को चढ़ाने के लिए ‘ख़ास धान’ के रूप में चुना गया इसको प्रसाद, पूजा और त्यौहारों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी बनी बंगाली खीर बहुत ही स्वादिष्ट बनती है सीरगा साम्बा तमिलनाडु का बहुत ही प्यारा चावल। आकार में थोड़ा लम्बा और भीनी-सी खुशबू वाला। विशेष अवसरों के दौरान पुलाव बनाने के लिए
मुश्क बुदजी बहुत ही तेज सुगंध वाला छोटा-सा चावलकश्मीर की घाटी में उगाया जाने वाला यह चावल आपको यहाँ की हर शादी में खाने को मिलेगा रांधुनी पागोलइस चावल का शब्दिक अर्थ है, “पकाने वाले को पागल कर देने वाला पश्चिम बंगाल का यह चावल दुसरे राज्यों में ज्यादा प्रसिद्द नहीं हैचक हाओ अमूबी जज्ज मणिपुर की पहाड़ियों में उगाए जाने वाले चिपचिपे काले चावल की एक सुगंधित किस्मस्वास्थ्य के लिए बहुत ही बढ़िया, मीठा और भीनी सी खुशबु वाले इस चावल की खीर बहुत ही कमाल की बनती है। जैसे-जैसे दूध उबलता है, यह जामुनी रंग ले लेता है और आपके घर में एक मोहक सी खुशबु फ़ैल जाती है
चावल में आर्सेनिक का होना कितनी बड़ी समस्या है? आर्सेनिक प्राकृतिक रूप से बनने वाला एक ऐसा तत्व है जो मिट्टी और पानी में पाया जाता हैये ज़हरीला हो सकता है यूरोपीय संघ ने इसे पहली कैटिगरी के कैंसर कारक तत्वों की सूची में रखा हैइसका मतलब ये हुआ कि ये इंसानों में कैंसर पैदा कर सकता है अन्य खाद्यान्नों की तुलना में चावल में दस से बीस गुना ज्यादा आर्सेनिक की मात्रा रहती है इसकी वजह चावल की खेती में पानी का बहुत इस्तेमाल होना बासमती चावल में अन्य किस्म के चावल की तुलना में आर्सेनिक का स्तर कम होता है जबकि ब्राउन राइस में आर्सेनिक ज़्यादा मात्रा इसकी वजह धान की भूसी,
ब्रिटेन में ऐसे क़ानून हैं जो चावल में आर्सेनिक के स्तर को निर्धारित करते हैंसाल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने चावल में आर्सेनिक की उपस्थिति को लेकर गाइडलाइंस जारी किए थे यूरोपीय संघ ने भी यूरोप में बेचे जाने वाले उत्पादों के लिए आर्सेनिक के स्तर का निर्धारण किया था यूरोपीय संघ ने छोटे बच्चों के लिए बेचे जाने वाले उत्पादों के लिए आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित कर रखी है भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आर्सेनिक के स्तर को लेकर कई बार चिंता जताई गई है
वे लोग जो ज़्यादा
मात्रा में चावल खाते हैं उन्हें बचाने के लिए और कदम उठाए जाने की ज़रूरत है एक किलो पॉलिश्ड चावल में 0.2 मिलीग्राम
आर्सेनिक की अधिकतम मात्रा को आम लोगों के स्वास्थ्य और व्यापारिक दृष्टिकोण, दोनों ही लिहाज से
उचित माना गया है 70 किलो से अधिक वजन के वयस्क व्यक्ति के
लिए 100 ग्राम चावल की खपत पर्याप्त मानी जा
सकती लेकिन अगर आप रात में ही चावल को भिगोकर रखते और अगले दिन साफ़ पानी से धोने
के बाद बनाते हैं तो आर्सेनिक को कम किया जा सकता है उबालने के दौरान भी अगर पानी
बदला जाए तो आर्सेनिक के स्तर को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है
चावल के फायदे :चावलो की खीलों को पीसकर सत्तू बनाये दूध या शहदचीनी, जल आदि मिलाकर स्वादिष्ट कर लें इसके सेवन करने से ज्वर सीने की जलन, अतिसार आदि में लाभ होता है यदि शरीर के किसी भी अंग पर ऐसा फोड़ा निकला हो जिससे अग्नि के समान जलन का अनुभव हो रहा हो, तो कच्चे चावलो को पानी में भिगोकर पीसकर लेप लगाना चाहिए
आग पर चावल पकाकर 20-25 मिनट के लिये इसमें दूध मिलाकर ढक्कर रख दें इसके बाद कमजोर और मंदग्नि से पिडि़त को यह भोजन देना चाहिये पेट में सूजन होने पर चावल का मांड पिलाना लाभदायक होता है स्वाद के लिये नमक व नींबू का रस भी मिलाया जा सकता है चावल के आटा का लेई पकाकर इसमें गाय का दूध मिलाकर अतिसार के रोगी को सेवन करायें सफेद चावलों को ताजा पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे धोते रहने से सफ़ेद दाग झाई व चकते साफ और रंग निखर आता है
सहन करने योग्य उबले चावल की पोटली बनाकर सेकने से आँखों में होने वाली दर्द और लाली समाप्त हो जाती है चिरवा को दुध में भीगोकर चीनी मिलाकर सेवन करने से दस्त पतला हो जाता है और दही के साथ खाने से मल बंद हो जाता है चावलों के धोवन के साथ साथ धान की जड़ पीस छानकर, शहद मिलाकर, पिलाते रहने से गर्भ के समय समस्या नहीं आती धान की फलियों के पौधो के उपरी भाग को पानी के साथ पीसकर लेपन करने से हृदय कम्पन और अनियमित धड़कन समाप्त हो जाते है
चावल के धोवन में शक्कर और खाने का सोडा मिलाकर रोगी को पिलाने से भांग का नशा उतर जाता और पेशाब खुलकर होता है प्यास शांत करने के लिये इस धोवन में शहद मिला लेना चाहिए इसी तरह चावल एक प्रीबायोटिक है. ये सिर्फ आपका ही पेट नहीं भरता बल्कि आपके भीतर मौजूद माइक्रोब्स के इको सिस्टम की भी देखभाल करता है चावल शरीर में कार्बोहाइड्रेट और विटामिन B की कमी को पूरा करने में मददगार कढ़ी, दही, दाल, फलियां, घी और मांस के साथ चावल खाने से ब्लड शुगर का रिस्पॉन्स स्टेबल रहता है इसे खाने के बाद नींद जल्दी आती है
चावल स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद ,बालों के विकास मेंमदद, चावलआसानी से पचने वाला भोजन है. डायरिया और इनडाइजेशन की समस्या होने पर चावल खाने से पेट को काफी आराम मिलता हैपेचिश और आतिसार होने पर चावल को गाय के दूध या फिर दही के साथ खाएं आपको काफी फायदे मिलेंगे इसके साथ ही अगर आपको सर्दी-जुकाम की परेशानी पहले से है तो रात के समय चावल का सेवन न करें
वहीं अगर आपका वजन काफी ज्यादा बढ़ रहा है तो आप रात में सफेद चावल के बजाय ब्राउन राइस का सेवन कर सकते हैं जो व्यक्ति सबसे ज्यादा सफेद चावल का सेवन करता है तो इसके कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बन सकता है, जिससे हार्ट को भी नुकसान हो सकता है
असली और नकली चावल की पहचान
करने के लिए एक चम्मच चावल को पानी में डालकर
हिलाएं. अगर चावल पानी के ऊपर आ जाता है तो वो नकली है, क्योंकि प्लास्टिक चावल पानी में डूबता नही है
बाजार में अब केवल दो तरह के चावल मिलते है सस्ता और महँगा चावल जिसे गरीब और अमीर चावल भी कहा जा सकता है खुशबू दोनों से नहीं आती दुनिया के सबसे महंगे चावल का नाम है किनमेमाई प्रीमियम राइस इसके एक किलो की कीमत 12 से 15 हजार रुपये हैयह चावल मुख्य रूप से जापान में उगाया जाता है वैसे तो 'काला चावल' को भारत का सबसे महंगा चावल माना जाता है, जिसकी कीमत 300 रुपये प्रति किलो के आसपास होती है,
भारत और पाकिस्तान में पैदा होने वाले चावलों की गुणवत्ता में ज़्यादा अंतर नहीं होता लेकिन फिर भी भारतीय चावल स्वाद में थोड़ा बेहतर होने के साथ-साथ सस्ता भी हैं और इसलिए इसकी माँग ज़्यादा है बासमती चावल पर दोनों देशों का समान अधिकार है भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सस्ते चावल की आपूर्ति ने पाकिस्तान के चावल निर्यात को कितना नुकसान पहुँचाया है,
इसका अंदाज़ा वित्त वर्ष 2020-21 के पहले ग्यारह महीनों में देश के चावल निर्यात के आँकड़ो से लगाया जा सकता है इन ग्यारह महीनों में पाकिस्तान के बासमती और दूसरी क़िस्म के चावलों के निर्यात में 14 प्रतिशत तक गिरावट आई पाकिस्तान ने इस दौरान 33 लाख टन चावल का निर्यात किया जबकि पिछले साल इसी अवधि में 38 लाख टन चावल का निर्यात किया गया था सस्ता भारतीय चावल ना केवल पाकिस्तान के निर्यात को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे थाईलैंड, वियतनाम और दूसरे चावल निर्यातक देश भी प्रभावित हो रहे हैं वैश्विक बाजार में इस समय भारतीय चावल की क़ीमत 360 से 390 डॉलर प्रति टन है, जबकि पाकिस्तानी चावल की क़ीमत 440 से 450 डॉलर प्रति टन है वियतनाम और थाईलैंड से निर्यात होने वाले चावल की क़ीमत लगभग 470 डॉलर प्रति टन है
भारत सरकार की तरफ से किसानों को सब्सिडी दिये जाने की वजह से चावल पर लागत कम इसके अलावा भारत में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत ग़रीबों को बहुत कम क़ीमत पर चावल उपलब्ध कराती है पाकिस्तान में चावल क्षेत्र पूरी तरह से निजी स्तर पर संचालित होता है, लेकिन भारत में सरकार इसमें हस्तक्षेप करती है
वही भारत के असम में बोकोसाल नामक एक ऐसा चावल भी पाया जाता है
जिसे पकाने की जरूरत भी नही होती है बस कुछ देर पानी में रख देने के बाद खाने लायक
हो जाता है ठंडे पानी में भिगोने से ठंडा चावल और गर्म पानी में भिगोने से गर्म
चावल इस चावल को श्रीरामूलापल्ली गाँव के श्रीकांत ने उगाया है इससे काफी पोषक
तत्व प्राप्त होते है इसे जनजातीय लोग उगाते है और आमतौर पर सेना के लोग खाते है
ऐसे ही चावल की पुष्टि तेलंगाना में भी किया गया है और इसका इन्सान के पाचन तंत्र
पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन किया जा रहा है हैरान करने वाली बात ये है की
हैदराबाद की एक महिला ने चावल के 4042 दानो पर पूरी भगवतगीता लिख दिया इसको
पूरा करने में करीब 150 घंटे का समय लगा है
very nice information ..................and good facts
जवाब देंहटाएंvery good facts and nice words use bro ...
जवाब देंहटाएं