अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक बार फिर भारत और चीन में विवाद शुरू हो गया मामला चीन में होने वाली एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, भारतीय पासपोर्ट होने के बावजूद भारतीय वुशु टीम के तीन खिलाड़ियों को चीन ने स्टैपल वीज़ा जारी किया थाजिसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई और पूरी टीम प्रतियोगिता से हट गई सरकार के अनुसार नागरिकों के वीज़ा को लेकर भेदभाव नहीं किया जा सकताचीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर हमेशा से सवाल उठाता रहा है किसी भी भारतीय नेता के अरुणाचल प्रदेश के दौरे परआपत्ति जताना जबकि भारत ने बार-बार यही कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे अलग नहीं किया जा सकता है2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और 2020 में गृह मंत्री अमित शाह के अरुणाचल जाने पर चीन ने आपत्ति जताई थीचीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर अपना दावा करता है जबकि भारत के अनुसार चीन ने पश्चिम में अक्साई चिन के 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा हैचीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताता है 1912 तक तिब्बत और भारत के बीच कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं थीइन इलाक़ों पर न तो मुग़लों का और न ही अंग्रेज़ों का नियंत्रण थातवांग में जब बौद्ध मंदिर मिला तो सीमा रेखा का आकलन शुरू हुआ1914 में शिमला में तिब्बत, चीन और ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधियों की बैठक हुई और सीमा रेखा का निर्धारण हुआचीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र देश नहीं माना1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लियाचीन चाहता था कि तवांग उसका हिस्सा रहे जो कि तिब्बती बौद्धों के लिए काफ़ी अहम हैचीनी हमले से पहले तिब्बत की नज़दीकी चीन की तुलना में भारत से ज़्यादा थी भारतीय इलाक़ों में अतिक्रमण चीन ने 1950 के दशक के मध्य में शुरू कर दिया था1957 में चीन ने अक्साई चिन के रास्ते पश्चिम में 179 किलोमीटर लंबी सड़क बनाईसरहद पर दोनों देशों के सैनिकों की पहली भिड़ंत 25 अगस्त 1959 को हुईचीनी गश्ती दल ने नेफ़ा फ़्रंटियर पर लोंगजु में हमला किया थाइसी साल 21 अक्तूबर को लद्दाख के कोंगका में गोलीबारी हुई जिसमे 17 भारतीय सैनिक शहीद हुए चीन ने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया थाचीनी हमले के बाद ही तिब्बती बौध धर्म गुरु दलाई लामा को तिब्बत से भागना पड़ा 17 मार्च 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही निकले और हिमालय के पहाड़ों को पार करते हुए 15 दिनों बाद भारतीय सीमा में दाखिल अप्रैल, 2017 में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की तो चीन ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि भारत को इसकी इजाज़त नहीं देनी चाहिए 02 जून 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में इंटरनेशनल इकोनॉमिक फ़ोरम में कहा था कि "चीन और भारत में भले सीमा विवाद है, लेकिन दोनों देशों के बीच सीमा पर पिछले 40 सालों में एक भी गोली नहीं चली है''चीन ने इस बयान का स्वागत किया था लेकिन भारत अब यह भी कहने की स्थिति में नहीं है क्योकि जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक के बीच हिंसक संघर्ष हुआ जिसमे भारत के 20 सैनिक शहीद और चीन के मुताबिक़ उसके चार सैनिक इसके बाद भी दोनों देशों केसीमावर्ती इलाक़ों में झड़पें होती रहती है भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती हैये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेशदोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है क्योंकि कई इलाक़ों में दोनों के बीच काफी मतभेद हैं|
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