बिहार राज्य में मिनी पंजाब कैसे बसा ?

 


बसा है ये मिनी पंजाब?

बिहार में मिनी पंजाब,आपको यक़ीन भले ही ना हो  लेकिन बिहार के कटिहार ज़िले में एक मिनी पंजाब बसता है जो शहर से 35 किलोमीटर दूर ज़िले के बरारी प्रखंड में ही नौ गुरुद्वारे यहां की पंजाबियत की गवाही देते हैं पूरे हिन्दुस्तान में आपको शहरों में सिखों की आबादी मिल जाएगी लेकिन किसी राज्य के अंदरूनी इलाकों में ऐसा बहुत कम देखने को मिलेगा  मिनी पंजाब बनने का सिलसिला शुरू होता है 1666 ईस्वी से जब यहां उस वक्त सिखों के नौवें गुरू,गुरू तेग बहादुर बरारी के कांतनगर आए थे आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक गुरू तेग बहादुर असम से पटना वापस आने के क्रम में यहां रुके थे गांव के लोग इनके अनुयायी बने और सिख धर्म को अपनाया और  कुछ शिष्यों को कांतनगर में रहने दिया जिसके बाद यहां सिख धर्म के प्रचार प्रसार के साथ साथ गुरुद्वारा भी स्थापित किया गया लेकिन गंगा के कटाव में कांतनगर गुरुद्वारा नदी में समा गया बाद में गुरू तेग बहादुर की स्मृति में बरारी के लक्ष्मीपुर गांव में 1857 में श्री गुरू तेग बहादुर ऐतिहासिक गुरुद्वारा बनाया गया मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले यहां गुरू नानक जी आए जब वो चीन यात्रा पर थे उसके बाद गुरू तेग बहादुर इस गुरुद्वारे से गुरू गोविन्द सिंह से भी सीधा संबंध रहा गुरु गोविंद सिंह के हुक्मनामे और उनके जीवन के अंतिम समय का दस्तावेज़ इसी गुरुद्वारे में ही है जिसका जिक्र दरबार साहब अमृतसर में मिलता है ऐतिहासिक लक्ष्मीपुर गुरुद्वारे में हस्तलिखित गुरू ग्रंथ साहिब और गुरू गोविंद सिंह से जुड़े ऐतिहासिक हुक्मनामे हैं जिसमे सिखों को प्रेम से रहने का आदेश इसके साथ 1930 का शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी,लाहौर का एक हुक्मनामा लक्ष्मीपुर गुरुद्वारे में है जिसमें पटना साहिब गुरुद्वारे को सहायता करने का आदेश लक्ष्मीपुर गुरुद्वारे को दिया गया है इन दस्तावेज़ों को देखने के लिए अमेरिका कनाडा और इंग्लैंड सहित कई देशो  से लोग आते है हस्तलिखित गुरू ग्रंथ साहिब तो नदी में डूब गई थी लेकिन अपनी ख़ास तरह की स्याही जो भृंगराज और बबूल आदि से बनती थी उसकी वजह से सुरक्षित रही बरारी प्रखंड में लक्ष्मीपुर हुसैना भैंसदीरा भवानीपुर भंडारतल उचला सहित नौ गांव में तकरीबन पांच हज़ार सिख आबादी है बिहार सरकार के सिख सर्किट में शामिल लक्ष्मीपुर गुरुद्वारा के अलावा बरारी में ऐतिहासिक गुरुद्वारा भवानीपुर,माता मुखो सम्पतो कौर ट्रस्ट गुरूद्वारा,कांतनगर में बने नए गुरुद्वारे सहित 9 गुरुद्वारे हैं बरारी में बसे सिख परिवारों के घर में सिख गुरुओं के साथ हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां और तस्वीरे भी मिल जाएंगी लेकिन अल्पसंख्यक का दर्जा होने के बावजूद इन्हें आरक्षण या किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली है बरारी के काढ़ागोला स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा भवानीपुर के उपप्रधान अर्जुन सिंह कहते हैं हम कहीं भी जाते हैं तो जवाब मिलता है आप लोग तो सरदार जी हैं आप लोगों को किसी चीज़ की क्या ज़रूरत? हम जाति प्रमाण पत्र भी बनवाने जाएं तो कहा जाता है आप ऐसे ही सरदार नजर आ रहे हो बरारी में बसा ये मिनी पंजाब कई तरह की परेशानियां झेल रहा है अच्छे स्कूल अस्पताल और रोड तक नहीं है  यहाँ  पहला स्वास्थ्य केन्द्र काढ़ागोला पड़ता है जो छह किलोमीटर दूर है जहा पहुंचने की सड़क ऐसी है कि मरीज की हालत और ही बिगड़ जाये  बारहवीं तक का स्कूल है तो उसमें टीचर नहीं हैं इसलिए पढने बच्चे बाहर जाते हैं लोगों की हत्याएं भी होती रहती है अस्पताल के लिए तो 14 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है |



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