चंद्रयान 3 और चंद्रमा के बारे में आप कितना जानते है ?


 


अगर मै आपसे कहू की पृथ्वी गोल है सूर्य एक तारा है चंद्रमा एक उपग्रह है और हमारी प्यारी पृथ्वी सूर्य के सौरमंडल का एक ऐसा ग्रह तो आपको कैसा लगेगा लेकिन एक समय  ऐसा भी था जब सिर्फ ये कहने के लिए की पृथ्वी गोल है लोगो की जान तक ले ली जाती थी और इसी साल जुलाई में कैथलिक चर्च ने पूरी दुनिया से उन एतिहासिक अपराधो के लिए माफ़ी माँगा जिसके खून से धर्म और चर्च के हाथ रंगे थे

पहली कहानी : जर्दाना ब्रूनो को रोम शहर के बीचो बीच जिन्दा जला दिया गया था तारीख थी 17 फरवरी वर्ष 1600 आज से करीब 600 साल पहले की घटना यह दिन कोई साधारण दिन नहीं था बल्कि एक उत्सव था जर्दाना ब्रूनो ताईबर नदी के किनारे एक विशालकाय किले में कैद था 8 साल तक चले लम्बे मुकदमे के बाद चर्च ने फैसला सुनाया की इनके विचार बाइबिल और चर्च के खिलाफ है और इसके विचार से चर्च के खिलाफ बगावत हो सकती है इसलिए चर्च ने उस समय की सबसे दर्दनाक मौत की सजा दी इनका तर्क ये था की अंतरीक्ष के केंद्र में पृथ्वी नहीं है बल्कि सूर्य है पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाती है और जो सबसे बड़ी बात इन्होने कही वो ये थी की पृथ्वी चपटी नहीं है बल्कि गोल है

दूसरी कहानी : वह किताब जो चर्च के तहखाने में करीब 100 साल तक दबाई रखी गई लोगो को इस किताब के बारे में जानने तक का अधिकार नहीं था जर्दाना ब्रूनो से 75 साल पहले कपरनिकस ने भी यही तर्क दिया था लेकिन कपरनिकस का चर्च के साथ अच्छे सम्बन्ध थे इसलिए इनको कोई सजा नहीं हुई लेकिन इनकी किताब को सार्वजनकि नहीं होने दिया गया 

बड़ी बात तो ये भी है एक दिन किसी तरह कापरनिकस की किताब जर्दाना ब्रूनो के हाथ लग गई और जो बात कभी कपरनिकस सार्वजनिक रूप कह नहीं पाए वही बात ब्रूनो ने कह दिया जिन वेधशालयो में कपरनिकस काम किया करते थे उसमे ब्रूनो ने भी काम किया और वर्षो तक रात रात भर जागकर सूर्य चंदामा ग्रहों और अंतरीक्ष के बारे में अध्ययन करते थे आप को जानकर हैरानी भी होगी की इन वेधशालायो को चर्च ने ही बनवाया था क्योकि संसार के सभी सभ्यताओ में समय की गड़ना चन्द्रमा की घटती और बढती कलाओ का अध्ययन करना ही था 

बाइबिल में लिखा हुआ था की पृथ्वी अंतरीक्ष के केंद्र है और सूर्य पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगती है चर्च का विवाद खोज से नहीं था बल्कि विवाद तो इसलिए था की जो बात बाइबिल में लिखी है वही सत्य है चर्च के द्वारा वेधशाला इसलिए भी बने गई थी की समय का बेहतर आकलन करके ईस्टर त्यौहार की सही तारीख तय कर सके ईस्टर ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।

तीसरी कहानी : गैलेलियो ने तो चर्च से माफ़ी भी मांग ली थी इसके बाद भी पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ी इन्होने भी जर्दानो और कपरनिकस की किताब पढ़ी थी इन्होने बताया की प्रकृति में सब कुछ सापेक्षता के सिद्धांत पर कार्य करते है ( यह आइन्स्टीन के सापेक्षता के सिधान्त से अलग है ) इसे ऐसे समझे की हर एक बात दूसरी बात को प्रभावित कर रही है जैसे ग्रहो की गति समय को , समय मौसम को , मौसम धरती को ,धरती जीवन को , जीवन आसपास मौजूद सारी गतियो को ये सब एक दुसरे से एक तार की तरह जुड़े हुए है 

गैलिलियो के अनुसार ईश्वर की भाषा गणित है क्योकि गणित में हरेक जोड़ घटाव , गुदा , भाग आखरी नतीजो को भी बदल देता है गैलिलियो ने एक दूरबीन बनाई थी जिससे करीब 30 सालो तक अध्ययन किया और इस निषकर्ष पर पहुचे की जहा कपरनिकस और जर्दानो पहले ही पहुच चुके थे इनका माफ़ी नामा भी चर्च के द्वारा ही लिखा गया था जिसमे एक लाइन विशेष रूप से लिखी गई थी की यह सिधान्त गलत है और जो बाइबिल में लिखा है वही सत्य है  और मै apne काम से शर्मिंदा हु |

चौथी कहानी : कापरनिकस से करीब 1200 साल पहले सन 350 में अलेक्जेंड्रिया में जन्मी दुनिया की पहली खगोलशास्त्रीय महिला की ह्त्या , इनकी लाइब्रेरी जो उस समय दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी को जूलियट सीजर के द्वारा जला दिया गया इस महिला का नाम है हाईपेशिया | इनका भी ऐसा ही कुछ तर्क था आज इनके नाम की दुनिया बार में कई मेमोरियल बनाये गए है

 


चंद्रमा का जन्म : इसको लेकर धर्म ग्रंथो में अलग अलग थ्योरीज है सभी ग्रंथो में ग्रहो को देवता बताया गया है ब्राहम्ण पुराण के अनुसार अत्रि ऋषि की भद्रा नाम की पत्नी से सोम ( चंद्रमा ) उत्पन्न हुआ महाभारत के शन्ति पर्व में भी चन्द्रमा को महर्षि अत्रि का पुत्र बताया गया है लेकिन यहाँ चंद्रमा को नेत्र से उत्पन्न बताया गया आदि पुराण में दक्ष पुत्री अनसूया और अत्रि के द्वारा चंद्रमा की उत्पात्ति बताई गई है वराह पुराण के अनुसार चंद्रमा की उत्पति समुन्द्र मंथन से हुई है 

भगवत गीता के दसवे अध्याय के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण ने स्वय को चंद्रमा भी कहा है ब्रह्म पुराण के अनुसार अत्रि ऋषि ने तपस्या करके तीन पुत्रो को प्राप्त किया था जो दत्त , सोम और दुर्वाशा नामक पुत्र थे हरिवंश पुराण और ब्राहमण पुराण के अनुसार जब अत्रि ऋषि तपस्या कर रहे थे तो इनके शरीर से सोम प्रकट हुआ और आँखों तक पंहुचा और जब धरती पर गिरने लगा तो ब्रह्मा ने सोम से ही चमकती हुई चीज से औषधिया बनाई जिसे चंद्रमा ही माना जाता है 

हिन्दू पंचांग विक्रम संवत जो करीब 2080 साल पुराना है जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनाया था यह भी चंद्रमा पर आधारित है क्योकि सभी भारतीय तीज त्यौहार सभी शुभ मुहर्त आज भी इसी कलेंडर से तय किये जाते है चीन का लूनर कैलेंडर भी 12 महीनो वाला कलेंडर है इसमें अंग्रेजी कलेन्डर से 11 दिन कम होते है एक चाइनीज महिना 29 से 30 दिन का ही होता है ये कलेंडर भी चंद्रमा पर आधारित है जो करीब 2700 ईसा पूर्व पहले तैयार किया गया था 

दक्षिण अमेरिका के कुछ पहाड़ी इलाको में क्युपू कलेंडर चलता है इसमें महीने की शुरुआत ही अमावास्या के अगले दिन से होती है जिसे न्यू मून कहते है मुस्लिम का हिजरी कलेंडर भी चाँद पर आधारित है जैसे चाँद को ही देखकर रोजे की घोषणा और ईद का दिन तय करना ये कलेंडर करीब 1400 साल पहले बनाया गया था माया कलेंडर इसी कलेंडर ने घोषणा की थी की 2012 में पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी ये भी चाँद पर आधारित कलेंडर है सेल्टिक कलेंडर फ्रांस समेत कुछ यूरोपीय देशो में लागू था इसे सूर्य और चन्द्रमा को मानक मानकर बनाया गया था लेकिन सभी महत्वपूर्ण फैसले चाँद को देखकर ही लिए जाते थे

 सेल्टिक कलेंडर में भी महीने की शुरुआत पुरे चाँद का मतलब पूर्णिमा से होती थी ग्रीक मान्यताओं के अनुसार अपोलो और आर्टेमिस जुडवा भाई बहन है अपोलो को सूर्य का देवता और आर्टेमिस को चंद्रमा की देवी कहा जाता है इसी लिए अमेरिका ने अपने पहले मून मिशन का नाम अपोलो रखा था और अब नये मिशन का नाम आर्तेमिश | प्राचीन ग्रीस और रोम में लड़कियों के पैदा होते ही गलत आत्माओ से बचाने के लिए आधे चाँद की आकृति की ताबीज पहनाई जाती थी

वैदिक काल से अब तक चंद्रमा की पूजा ग्रह और देवता दोनों रूप में हो रही है जैसे ज्योतिर्विज्ञान में चंद्रमा को उपग्रह नहीं, बल्कि ग्रह माना गया है धरती के काफी नजदीक होने से सूर्य के बाद चंद्रमा दूसरा ग्रह/उपग्रह हैजो पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान को प्रभावित करता है जैसे चंद्रमा के कारण ही धरती पर पानी और औषधियां हैं जिससे इंसान लंबी उम्र जी पाता है वेदों में चंद्रमा की गति, चमक और इसकी परिक्रमा के रास्ते के बारे में जानकारी दी गई है 

ऋग्वेद के पहले मंडल के 84वें सूक्त मंत्र में बताया गया है कि चंद्रमा स्वत: प्रकाशमान नहीं है इसी के 105वें सूक्त में कहा है कि चंद्रमा आकाश में गतिशील है और नित्य गति करता रहता हैएतरेय ब्राह्मण केअनुसार वैदिक काल में तिथियां चंद्रमा के उदय और अस्त होने से तय होती थीं चंद्रमा ही तिथियों के साथ महीने को शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बांटता है इस बारे में तैत्तरीय ब्राह्मण में बताया गया है कि चंद्रमा का एक नाम पंचदश भी हैऋतुओं की बात करें तो अथर्ववेद के 14वें कांड के पहले सूक्त में कहा गया है कि चंद्रमा से ही ऋतुएं बनती हैं।

 वेदों में बताया गया है कि चंद्रमा के कारण ही ऋतुएं बदलती हैं। वहीं चंद्रमा के प्रभाव से ही 13 महीने हो जाते हैं, जिसे अधिकमास कहते हैं। इस बात का जिक्र वाजस्नेयी संहिता में किया गया है शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि पृथ्वी पर उगने वाली औषधियों और वनस्पतियों में रस चंद्रमा से ही आता है। जो सोम रस देवता पीते हैं मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने ऋषियों के कहने पर चंद्रमा को उत्तर दिशा का लोकपाल अधिकारी बनाया 

नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाषाण युग में फ़्रांस और जर्मनी की गुफाओं में रहने वाले आदिमानव ने 32000 साल पहले चन्द्रमाँ की गति का अध्ययन करके दुनिया का पहला कलेंडर बनाया था भारत में तो चन्द्रमा को लेकर पूरा गणित ही उपलब्ध है वह भी सबसे सटीक , चीन और अरब देशो ने भी चाँद से कलेंडर बनाना भारत से ही सीखा है सूर्य से गड़ना करना मुश्किल था इसलिए चाँद को साधन बनाया चंद्रमा की विभिन्न कलायो को देखते हुए आकाश को 27 नक्षत्रो में बाटा गया है

 

 

विज्ञान के अनुसार देखे तो 1967 में चाँद को जानने के लिए नासा ने अपोलो मिशन शुरू किया जिसने चाँद से चटटान के टुकड़े धरती पर लाने में सफल रहा और रिसर्च से पता चला की करीब 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी और थिया ग्रह के बिच टक्कर से चाँद का जन्म हुआ था टक्कर इतनी तेज थी की पत्थर पिघल गये गैस और मलबा अंतरीक्ष में उड़ते हुए धरती के चारो ओर घुमने लगे माना जाता है की इससे डिस्क जैसे आकृति बनी जिसे आज हम चाँद कहते है

 इस रिसर्च से पहले भी तीन नियम बताये गए है जैसे चाँद सोलर सिस्टम में घुमने वाला एक तारा था एक दिन यह धरती के पास से गुजरा और गुरुत्वाकर्षण ने इसे अपनी ओर खीच लिया पृथ्वी के बनने के साथ ही चाँद भी बन गया था और इसके तीसरे नियम के अनुसार पृथ्वी जब अपने अक्ष पर घुमती है तो इससे कई तरह के मटेरियल अलग होते है इसी से मिलकर चाँद बना है जो पृथ्वी का चक्कर लगाती है 

करीब 400 साल पहले गैलिलियो ने टेलिस्कोप बनाया था और पहली बार चाँद को देखा था और इनके अनुसार धरती और चाँद की जमीन बहुत हद तक एक जैसी ही है धरती से चाँद को देखने पर आपको चमकीले भाग के साथ ही कुछ काले हिस्से भी दिखाई देंगे जो लगभग पुरे चाँद का 15% है जिसे मारिया कहा जाता है जो लावा के जमने के कारण से हुआ है चाँद पर अभी तक ज्ञात सबसे बड़े गड्ढे की बात करे तो इसमें माउन्ट एवेस्ट भी समा जायेगा उसके भी बाद भी इसमें जगह बच जाएगी चाँद पर वायुमंडल के  न होने के कारण यहा पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण 1/6 हिस्सा है 

अब तक के रिसर्च के अनुसार चाँद पर केवल सूक्ष्मजीव ही जीवित रह सकते है और इंसानों के रहने लायक चाँद अभी नहीं है इसकी सबसे बड़ी वजह सूर्य से आने वाली गर्मी और रेडियेशन से बचाव के लिए पृथ्वी जैसा वायुमंडल नहीं है क्योकि यहाँ पर दिन में तापमान 123 डिग्री सेल्सियस हो जाता है और रात में माईनस 200 से भी कम |चाँद पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह है अगर चाँद न होता तो पृथ्वी अपनी जगह पर टिकी नहीं होती चाँद के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही पृथ्वी अपनी अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है 

एक रिसर्च से ये भी पता चला है की चाँद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेंटीमीटर दूर जा रहा है 1969 से 1972 के बीच नासा ने चाँद पर 6 अपोलो मिशन भेजे अपोलो 11 मिशन के तहत नील आर्मस्ट्रांग पहले इंसान थे जिन्होंने चाँद पर कदम रखा था और अब तक कुल 12 इंसानों ने चाँद की सतह पर उतर चुके है और ये सभी अमेरिकी ही है धरती के बाहर चांद इकलौता ऐसा खगोलीय पिंड है, जहां इंसान पहुंचा है। अब तक 100 से ज्यादा अंतरिक्ष यान चांद पर भेजे जा चुके हैं। 24 इंसानों ने चांद की सैर की है, इनमें से 12 लोग तो इसकी सतह पर भी चले हैं। चांद से अब तक 382 किलो मिट्टी और पत्थर धरती पर एक्सपेरिमेंट के लिए लाए जा चुके हैं

अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा से वहां से लौटने के बाद भारत में अक्सर लोग पूछा करते थे कि क्या आपकी अंतरिक्ष में भगवान से मुलाक़ात हुईइस पर इनका जवाब होता था, "नहीं मुझे वहां भगवान नहीं मिले." राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष यात्रा पर गए थेऑटोग्राफ लेने के लिए प्रशंसक इनके कपड़े तक फाड़ देते थे अंतरिक्ष में जाने वाले ये 128वें इंसान थे जिस साल राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में जाने की उपलब्धि हासिल की वो साल तो भारतीय इतिहास के सबसे ख़राब साल माना जाता है 

जैसे पंजाब के स्वर्ण मंदिर में फ़ौजी कार्रवाई इसके बाद प्रधानमत्री इंदिरा गांधी की हत्या साल के आख़िरी में भोपाल गैस कांड में हज़ारों लोग मारे गए थेअप्रैल 1984 को एक सोवियत रॉकेट में राकेश शर्मा और दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थेअंतरिक्ष में करीब आठ दिन रहे राकेश शर्मा वो पहले इंसान थे जिन्होंने अंतरिक्ष में योग का अभ्यास किया

 

 

चाँद को लेकर होड़ : इस बात की संभावना है की साउथ पोल पर पानी हो सकता है जिसे हाइड्रोजन और आक्सीजन में तोडा जा सकता है इससे शक्तिशाली और साफ़ रॉकेट फ्यूल बनाया जा सकता है मंगल ग्रह पर जाने वाले स्पेस क्राफ्ट चंद्रमा पर रुककर फ्यूल ले सकेंगे पानी खेती के काम आ सकती है और सबसे बड़ी बात चाँद पर एक नई दुनिया बसाई जा सकती है कीमती धातुओं की सम्भावना जैसे सोना , प्लेटिनम , युरेनियम टैटेनियम के साथ हीलियम गैस के होने की भी बात की जा रही है 

धरती से चाँद की दुरी करीब 4 लाख किलोमीटर है (और सूर्य से चन्द्रमाँ की दुरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है ) और धरती से मंगल ग्रह की दुरी करीब 23 करोड़ किलोमीटर इसके बाद भी एक्सपर्ट के अनुसार चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करना मंगल से भी ज्यादा खतरनाक है क्योकि चाँद पर वायुमंडल नहीं है और मंगल ग्रह पर वायुमंडल है अगर आप चाँद पर पैरासूट लेकर उतरते है तो आप इतनी तेजी से गिरेंगे की आपके शरीर का कोई अंग सुरक्षित नहीं बचेगा

 चाँद पर कोई GPS सिस्टम नहीं है इसलिए आप कहा पर है और कितनी दुरी पर है इसका पता नहीं चलता है धरती और चांद के बीच की सटीक दूरी की जानकारीइससे समुद्र में उठने वाले ज्‍वार-भाटा का अनुमान लगाने और तटीय इलाकों के वातावरण को समझने और मैनेज करने में आसानी होगीचंद्रमा की मिट्टी काम की है या नहींचंद्रमा की मिट्टी के परीक्षण से यह पता चल पाएगा कि‍ वास्‍तव में चंद्रमा कितना पुराना है और समय के साथ इसमें क्‍या बदलाव हुए हैं यह पृथ्‍वी समेत हमारे पूरे सौर मंडल के जन्‍म से जुड़े राज खोलने में मदद कर सकता इसके साथ ही भारत सबसे कम खर्च सिर्फ 615 करोड़ रुपये में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया 

3 साल पहले चीन ने अपने 'चांग ई- 4' प्रोजेक्ट पर 1,365 करोड़ रुपएरूस ने अपने लूना-25 प्रोजेक्ट के लिए 1,659 करोड़ रुपए खर्च किये है21 बार पृथ्वी का चक्कर, 120 बार चंद्रमा का चक्कर और करीब 55 लाख किमी की यात्रा पूरी करके भारत का चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब हुआ है 

अन्तरिक्ष को लेकर नियम : 1967 में हुए संयुक्त राष्ट्र के आउटर स्पेस समझौते के अनुसार अंतरीक्ष के किसी भी हिस्से पर कोई भी देश दावा नहीं कर सकता है और इसका कोई भी कमर्शियल इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है लेकिन अभी भी कई देश इस समझौते को मानने को तैयार नहीं है इसलिए अंतरीक्ष को लेकर सभी देशो में रेस लगी हुई है की कौन पहले जाकर किस हिस्से को अपना बना लेता है

ISRO : इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी तब इसका नाम अंतरीक्ष अनुसन्धान के लिए भारतीय राष्टीय समिति ( INCOSPAR: इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च ) था यह भारत का राष्टीय संस्थान  है जिसका मुख्यालय बेंगुलुरु में है आज यहाँ करीब 17000 लोग काम करते है इसरो ने अपना पहला सैटलाइट 19 अप्रैल 1975 को सोवियत रूस के सहयोग से छोड़ा था जिसका नाम आर्यभट था

 एक तरफ जहा दुनिया के अन्य देश स्पेस को जंग का मैदान बना रखे है तो वही भारत के हर एक मिशन का मकसद इंसानों के साथ पर्यावरण के फायदे के लिए हो रहा है जैसे भारत के पहले सैटेलाइट आर्यभट का मकसद टीवी ब्राडकास्ट करने और कम्युनिकेशन के लिए था मौसम की जानकरी के लिए 1982 में इन्सैट 1Aलांच किया पिछले 48 वर्षो में 120 से ज्यादा सैटलाइट लांच इसके साथ ही 34 देशो के लिए 422 सैटलाइट भारत देश ने लांच किया है 

चंद्रयान-3 के चारों ओर आपने सुनहरी परत देखी होगी यह परत न तो सोना और न ही काग़ज़ का बना है बल्कि यह पालिस्टर से बनी होती है इसे मल्टीलेयर इंसुलेशन कहा जाता हैदरअसल बहुत ही  हल्के वज़न की फिल्म की कई परतें एक के ऊपर एक लगाई जाती हैं इसमें बाहर की तरफ सुनहरी और अंदर की तरफ सफेद ऐसे क्षेत्र जो विकिरण से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं मुख्य काम सूर्य की रोशनी को परिवर्तित करना हैक्योकि यात्रा के दौरान, तापमान बहुत तेज़ी से बदलता है

चाँद पर बने गहरे गड्ढे को लेकर चीन में एक प्राचीन मान्यता है की ड्रैगन के दवारा सूर्य को निगलने की वजह से सूर्यग्रहन होता है इसके विरोध में चीन के लोग जितना हो सकता है उतने जोर जोर से चिलाते है इनका ये भी मानना है की चाँद पर एक मेढक रहता है जो चाँद के गढ़दो में बैठता है जबकि चाँद के ये गड्ढे अबसे चार अरब साल पहले आकाशीय पिंडो के टक्कर से बने है 

चन्द्रमा जब पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो ज्वार भाटा का स्तर काफी बढ़ जाता है इस दौरान चन्द्रमा और पृथ्वी की घूर्णन गति कम हो जाती है जिसके कारण से हर सौ सालो में 1.5 मिली सेकण्ड पृथ्वी की गति कम होती जा रही है जब चंद्रग्रहण लगता है और चन्द्र पृथ्वी की छाया में आ जाता है तो इसकी सतह का तापमान 500 डिग्री फारेनहाईट तक गिर जाता है और इस प्रकिया में मात्र 90 मिनट का समय लगता है लियाना डोरडा वीसी पहले ऐसे वैज्ञनिक है जिन्होंव पता लगाया था की चंद्रमा न तो फ़ैल रहा है न ही सिकुड़ रहा है बल्कि इसका कुछ हिस्सा हमारी आँखों से ओझल हो जाता है  |


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