दुनियाभर में सांपों की 3600 और भारत में 333 प्रजातियां:
नाग पंचमी क्यों मनाते हैं?
क्या नाग-नागिन बदला लेते हैं?
जानिए सांपों से जुड़ी ऐसी ही मान्यताएं और उनकी सच्चाई
सांपों की पूजा का पर्व नाग
पंचमी है। सावन शुक्ल पंचमी पर शिव जी के साथ ही नाग देव की भी विशेष पूजा की जाती
है। काफी लोग जीवित सांपों की पूजा करते हैं, उन्हें दूध पिलाते हैं, जबकि ये
सही नहीं है। सांप के लिए दूध जहर की तरह है। ये जीव मांसाहारी है, दूध
नहीं पचा सकता। सांप को दूध पिलाने से इसे निमोनिया हो जाता है, जिससे
ये मर सकता है। जीवित सांप की पूजा करना हमारे लिए भी जोखिम भरा काम है, सांप
डंस सकता है। जीवित सांप की नहीं, नाग देव की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
नाग पंचमी पर जानिए नागों से जुड़ी खास बातें...
उज्जैन के सर्प अनुसंधान
संस्थान के डायरेक्टर मुकेश इंगले का परिवार पांच पीढ़ियों से सांप के संरक्षण के
लिए काम कर रहा है,
जबकि ये
खुद करीब 33
सालों
से सांपों पर रिसर्च कर रहे हैं। मुकेश बताते हैं कि दुनियाभर में सांपों की 3600 से
ज्यादा प्रजातियां हैं। भारत में करीब 333 और मध्य प्रदेश में करीब 42 प्रजातियों
के सांप हैं।
नाग पंचमी क्यों मनाते हैं?
महाभारत में युधिष्ठिर के बाद
अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बनाया। एक शाप की वजह से परीक्षित की मृत्यु
तक्षक नाग के डंसने से हो गई थी। परीक्षित के बाद उसका पुत्र जनमेजय राजा बना।
जनमेजय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला नागों से लेना चाहता था। उसने पृथ्वी के
सभी नागों को एक साथ मारने के लिए नाग दाह यज्ञ करवाया। इस यज्ञ की वजह से नाग
खत्म होने लगे। जब ये बात आस्तिक मुनि को मालूम हुई तो वे तुरंत राजा जनमेजय के
पास पहुंचे।
आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को
समाझाया और ये यज्ञ रुकवाया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस
दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई। इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने
की शुरूआत हुई।
नाग देव को दूध क्यों चढ़ाते हैं?
नाग दाह यज्ञ की आग से बचाने
के लिए आस्तिक मुनि ने नागों पर दूध डाल दिया था। इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी
पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
कश्यप
ऋषि और कद्रू से हुआ नागों का जन्म
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों
में नागों से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। महाभारत में कश्यप ऋषि और कद्रु की कथा
है। ऋषि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री कद्रु से हुआ था। इन दोनों से ही
नागों का जन्म हुआ। कद्रू ने एक हजार नाग प्रजातियों को जन्म दिया था। इनमें से आठ
नाग खास थे। इनके नाम हैं- वासुकि,
तक्षक,
कुलक,
कर्कोटक,
पद्म,
शंख,
चूड़,
महापद्म और धनंजय। वासुकि को नागों का माना जाता है।
तक्षक नाग ने राजा परिक्षित को डंसा था।
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