नींबू की बात और इसके रहस्य


 



नींबू की बात और इसके रहस्य  :  

यूरोप से लेकर अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया अरब , अफ्रीका और भारतीय खाने में एक बात कामन है वह है  नींबू का इस्तेमाल | कहीं सलाद के साथ तो कहीं कुकिंग बेकिंग में तो कहीं अचार बनाकर नींबू के बिना किसी भी देश की थाली पूरी नहीं होती | 

थाली के अलावा नींबू की मौजूदगी  सोडा , शिकंजी के बतौर  दुनिया भर के गिलासों में खुली है टमाटर आजकल सभी के दांत खट्टे किए हैं कुछ महीनों पहले नींबू भी ₹200 किलो पहुंचकर अपना रंग दिखा चुका है हर सुबह गुनगुने पानी में नींबू  शहद  पीने  वाले की मार्निंग नींबू के बिना अच्छा नहीं होती है चाय में नींबू  निचोड़कर  लेमन टी पीने वाले हो या शिकंजी के शौकीन , किसी का नींबू के बिना गुजारा नहीं होता | नाश्ते के पोहे से लेकर डिनर के सलाद तक नींबू ही निचोड़ा जाएगा , इसलिए आज नींबू पर ही बात करते हैं 

क्या आपको पता है कि अमेरिका में सिर्फ 200 साल पहले तक नींबू का चलन नहीं था नींबू अपने देश के  एक राज्य असम से निकलकर दुनिया भर में फैला 5000 सालो से भारत को अपना खट्टा स्वाद देने वाला  नींबू आज ग्लोबल फल बन गया है असम का यह देसी फल आज व्हाइट हाउस (अमेरिका ) से लेकर वेटिकन सिटी ( दुनिया का सबसे छोटा देश ) तक में जगह बना चुका है 

नींबू शायद दुनिया का एकलौता फल है जो खाने के साथ साथ बड़ी मात्रा में साफ सफाई के भी काम आता है वेदों से लेकर पुराणों  तक में नींबू का उल्लेख  मिलता है आयुर्वेद में इफरात से इसका जिक्र हुआ है हजारों साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में लोग नींबू से नशा किया करते थे  

80 लाख साल पहले तक नींबू ,संतरा जैसे तमाम फल एक ही हुआ करते थे आज दुनिया भर में  मटर के दाने से लेकर तरबूज के आकार के नींबू मिल जाते हैं नींबू प्रजाति के सैकड़ो फलों ने दुनिया को अपना दीवाना बना रखा है ऐसे में असम की नींबू के ग्लोबल होने की कहानी को जान लेते हैं 

नींबू में 70% शुगर फिर भी खट्टा लगता है यह जानना भी दिलचस्प है कि खट्टेपन का पर्याय बन चुके नींबू में मीठे फलों से ज्यादा शुगर पाई जाती है बाजार में मिलने वाले किसी भी सामान्य नींबू में 70% तक शुगर होती है जबकि मीठे फलों में भी 40 से 50% तक ही शुगर  होती है इसके बावजूद भी नींबू  खट्टे फल के लिए ही जाना जाता है दरअसल नींबू में शुगर के अलावा काफी मात्रा में साइट्रिक एसिड मौजूद होता है जो नींबू में मौजूद शुगर के स्वाद को दबाकर उसे खट्टा बना है 

नींबू सिर्फ एक फल नहीं पूरी प्रजाति है इसके सैकड़ो रूप है नींबू शब्द सुनते ही हमारे मन में बाजार में 10 के 2 के बिकने वाले पीले और रसीले गोल फल का ख्याल आता है लेकिन हमारे किचन में इस्तेमाल होने वाले इस फल का असली नाम सिट्रस लेमन है जो  नींबू प्रजाति के सैकड़ो फलों में से एक  है हालांकि दुनिया भर में खट्टेपन के लिए  मुख्य रूप से दो तरह की नींबू इस्तेमाल होते हैं पहला लाइम और दूसरा लेमन |

अपने देश में इन दोनों को नींबू कहा जाता है लेकिन इनमें अंतर है 80 लाख साल पहले नींबू और संतरे  में कोई अंतर नहीं था नींबू प्रजाति के फलों को अंग्रेजी में सिट्रस कहते हैं नेचर मैगजीन में पब्लिश एक DNA स्टडी के मुताबिक आज से  80 लाख साल पहले नींबू प्रजाति के एक फल  से लेमन, लाइम ,ऑरेंज जैसे तमाम सिट्रस फल पैदा हुए यानी पहले नींबू और संतरे में कोई अंतर नहीं होता था लेकिन बाद में प्राकृतिक कारणों और फिर हाइब्रिड नस्ल के चलते  नींबू और संतरे की सैकड़ो प्रजातियां विकसित  हुई 



 नींबू के रस में 5 से 8% तक साइट्रिक एसिड पाया जाता है नींबू के अलावा भी सभी खट्टे फलों में साइट्रिक एसिड पाया जाता है साइट्रिक एसिड ही नींबू प्रजाति के फलों को उनका खास  टेस्ट देता है साइट्रिक एसिड  के कम या ज्यादा होने पर ही फलों का खट्टापन निर्भर करता है साइट्रिक एसिड का यह प्रतिशत ही नींबू को दूसरे खट्टे फलों में सबसे पसंदीदा बनाता है साइट्रिक एसिड के खास टेस्ट को अब कोल्ड ड्रिंक से लेकर फूड फ्लेवर तक में इस्तेमाल किया जाता है

दुनिया को भारत ने ही नींबू खाना सिखाया साथ ही इसका नाम भी भारतीयों ने दिया संस्कृत के पुराने ग्रंथो में नींबू का नाम निम्बुक या निम्बुकम के रूप में मिलता है  जिसे हम अपनी भाषा में नींबू , लेमू और लिम्बु कहते है  अंग्रेजी  का लेमन शब्द भी इसी लेमु , लिम्बु और  नींबू से निकला है नींबू 10 से 11वीं सदी  तक नींबू भारत से निकलकर अरब देशों में जा चुका था 

रसीले नींबू ने रेगिस्तान के लोगों का गला तर ( गिला ) किया लेकिन पश्चिमी देशों में नींबू काफी बाद में पहुंचा समुद्री मार्ग से अमेरिका की खोज करने वाले कोलंबस अपने साथ नींबू के बीज ले गया था जिसे उसने 1493 में अमेरिका की  धरती पर लगाया लेकिन अमेरिका में नींबू पॉपुलर होने में काफी वक्त लगा पिछले 200 सालों में नींबू अमेरिका में काफी कामन  हो गया खाने के अलावा सफाई और टोटके में भी नींबू का इस्तेमाल होने लगा है |

 नींबू एक ऐसा फल है जो खाने के साथ-साथ गंदगी को साफ करने में काम आता है एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में उगने वाले कुल  नींबू का सिर्फ 60% हिस्सा खाया जाता है बाकी नींबू हाइजीन और मेडिकल इंडस्ट्री में काम आता है

नींबू की हाई एसिडिक वैल्यू और low PH के  कारण इसे अच्छा किलिंग एजेंट माना जाता है तांबे के पुराने बर्तन को चमकाने और लोहे पर लगे जंग को छुड़ाने के लिए नींबू का इस्तेमाल काफी वक्त से किया जाता रहा है यही वजह है कि आज कई सारे क्लीनिंग प्रोडक्ट नींबू की शक्तियों से  लैस होने का दावा करते हैं इसके अलावा नींबू का टोटका भी काफी चलन में रहा है डरावनी फिल्मों की वजह से यह माना जाने लगा है कि घर में बुरी शक्तियों का प्रभाव हो तो नींबू को काटने पर लाल रस निकलेगा

ऐसी मान्यता की हरी मिर्च के साथ नींबू को टांग दो तो बुरी नजर से बचे रहेंगे उत्तर और मध्य भारत की लगभग सभी दुकानों पर नींबू और मिर्च  टंगे मिल जाते हैं कई शहरों में तो इसके लिए अलग बिजनेस भी निकल चला  है सुबह-सुबह एक फेरी वाला नींबू और मिर्च की लड़ियों को दुकानों पर लटकाता चलता है इसके लिए उसे रोज के हिसाब से पैसे भी मिलते हैं सेब या केले  को काटने के बाद अलग-अलग कुछ देर खुला छोड़ दो तो उनका रंग हल्का काला पड़ जाता है ऐसा ऑक्सीडेशन के कारण होता है लेकिन अगर कटे हुए फल के टुकड़ों को नींबू पानी में डुबोकर निकालकर रख दिया जाए तो साइट्रिक एसिड सेब में बनने वाली ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को बंद कर देता है जिसके कारण कटे हुए फल काले नहीं पड़ते बड़े बड़े रेस्टोरेंट और फाइव स्टार होटल के चमचमाते फ्रूट कॉर्नर के फल इसी प्रक्रिया से गुजरते हैं इसीलिए देर तक ताजे लगते हैं

 बिहार में गागर नींबू होता है इसका आकार किसी तरबूज या फुटबॉल जितना बड़ा होता है स्वाद हल्का खट्टा मीठा और आकार बिलकुल लेमन की तरह बिहार के प्रसिद्ध लोकपर्व छठ में इसका प्रसाद भी चढ़ाया जाता है वैशाली , गया , बोधगया जैसे बिहार के जिन पर्यटक स्थलों पर विदेशी यात्री आते है यहा के स्थानीय लोग बड़ा नींबू बेचकर फोटो शूट करवाते है तरबूज जितना बड़ा नींबू देखना  छोटे-छोटे लाइम के शौकीन विदेशियों को हैरत में डाल देता है और वह उसके लिए फोटो खिंचवाने के भी पैसे देते है 

 इसके सैकड़ो देसी नुख्से भी आयुर्वेद में नींबू को अमृत के समान बताया गया है आयुर्वेदिक पद्धति में नींबू उन फलों में शामिल है जिसका सबसे ज्यादा जिक्र हुआ है पतंजलि के मुताबिक नींबू के कुछ फायदे इस तरह से हैं एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर रात को सोते समय पीने से पेट साफ हो जाता है कब्ज की समस्या नहीं होती है गुनगुने पानी में नींबू का रस व  एक चम्मच शहद मिलाकर पिए तो वजन घटने लगता है चम्मच भर नींबू का रस पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं 

जैतून के तेल के साथ नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर मलने से दाग धब्बे , मुंहासे और झाइयां घटने  लगते है चेहरा चमकने लगता है  डिहाइड्रेशन में नींबू का पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है लगभग आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस  मिलाकर पीने से शरीर में खून की कमी दूर होती है यदि किसी को खांसी जुकाम अधिक परेशान करता हो तो आधे नींबू के रस को दो चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से  लाभ मिलता है आधे नींबू का रस और थोड़ा सा सेंधा नमक 100 मिली लीटर पानी में डालकर पीने से पेट  दर्द में आराम मिलता है 

नींबू चाटते ही आंखें क्यों  बंद होते रहते है  और शक्ल बिगड़ती जाती  है ? 

दरअसल नींबू का रस  जैसे ही जीभ को छूता है वहां मौजूद टेस्ट  बर्ड्स दिमाग को सिग्नल भेजता हैं कि मुंह में एसिड पहुंच गया है क्योंकि एसिड आंख और नाक के लिए सेंसिटिव होता है ऐसे में हमारा दिमाग नींबू का टेस्ट मिलते ही तुरंत आंख नाक और कान की मांसपेशियों को सिकोड़ने लगता है ताकि नींबू का एसिडिक रस  उनमें न जाए दूसरे शब्दों में कहें तो नींबू के एसिड से डरकर दिमाग थोड़ी देर के लिए शक्ल को ही बिगाड़ देता है जैसे  एक कहावत भी है कि निबुआ नोन ( नमक)चटाना यानी  धोखा देना

  जैसे जब इंसान कहीं से धोखा खा जाए तब भी शक्ल और मन ऐसा बेरंग हो जाता है  मानो निबुआ नोन चाट लिया हो 

  नींबू निचोड़ने वाली मशीन का आविष्कार जॉन थॉमस व्हाइट नाम के एक अफ्रीकी अमेरिकी ने 1896 में किया था इससे पहले नींबू हाथ या दांत के सहारे ही निचोड़े जाते थे लेकिन आविष्कार के कुछ ही दशकों के भीतर ही यह दुनिया भर के घरों में नजर आने लगा और हाथ या दांत से  नींबू निचोड़ना खराब माने जाने लगा

राजस्थान के बांसवाड़ा में एक ऐसा देवी मंदिर है जिसमें सिर्फ नींबू का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है मान्यता है कि काफी समय पहले यहां अकाल पड़ा था इस दौरान लोगों के पास देवी को चढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं था ऐसे में लोगों ने नींबू देवी को अर्पित किया कुछ दिनों में अकाल टल गया लोगों ने इसे देवी और नींबू का चमत्कार माना तब से लेकर आज तक नाहरसिंह माता मंदिर में सिर्फ और सिर्फ नींबू का प्रसाद चढ़ाया जाता है पुजारी दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को हाथों में नींबू की फलकिया ( टुकड़े )  रखते जाते हैं 

नींबू एक ऐसा फल है जिसका सब्जियों के साथ-साथ  पुराना याराना है जैसे इसे भोजन में डालकर खाएं तो टेस्ट लाजवाब हो जाएगा दरवाजे के बाहर टांगे तो बुरी नजरों से बचाएगा पेड़ पर लटका दे तो बगीचों की खूबसूरती बढ़ाएगा 

संभवतः नींबू एकलौता ऐसा फल है  जो खाने में पीने में सजाने में पूजा , टोटके में भी इस्तेमाल किया जाता है नींबू एकलौता फल है जिसे  किसी फल की तरह अकेले नहीं खाया जा सकता लेकिन इसके एक से ज्यादा इस्तेमाल है अंग्रेजी की एक कहावत है when life gives you lemons ,make lemonade  यानी कि जब जिंदगी का स्वाद खट्टा हो जाए अर्थात आपको जिंदगी मुश्किल हालात में पहुंचा दे तो ऐसी आपदा को अवसर में बदल लीजिए इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपको मीठे फल मिलने की बजाय सिर्फ नींबू भी मिले तो आप उससे शर्बत शिकंजी बना ले।



3 टिप्पणियाँ

  1. Sir waise nimbu se Sindhu ghati sabhyata ke log nsa kaise krte the....?🤔

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  2. Wah kya baat hai esliye es par gaana bhi bana hai nimbuna nimbuna ............sach me kaafi achi janakri lagi aaj pata chala ki ek chhota sa nimbu kitnaa kaam ka hai ............jai nimbu maata

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