वेब सीरिज vs भारतीय समाज का पतन

 


वेब सीरिज vs भारतीय समाज का पतन 

देश में कुछ समय से वेब सीरिज का चलन बढ़ रहा है और इसने मनोरंजन को एक नया आयाम भी दिया है मगर इन सीरीज में अश्लीलता भी बढ़ रही है हमारे समाज का तानाबाना समझे बिना फिल्मकार वेब सीरिज में से ऐसे दृश्यों और संवादों को दिखा रहे है जो कही से भी भारतीय समाज के मिजाज के अनुकूल नहीं दिखते है इसका युवाओं पर क्या असर हो सकता है इसका मूल्यांकन भी हमें करना होगा इस सन्दर्भ में उठ रही आपत्तियों पर समाज और सरकार दोनों को सोचना ही होगा

 दुःख हुआ  है जब वेब सीरिज रसभरी में असंवेदनशीलता में एक छोटी बच्ची को पुरुषो के सामने उत्तेजक नाच करते हुए एक वस्तु की तरह दिखाना निंदनीय है आज र

चनाकार और दर्शक सोचे की बात मनोरंजन की नहीं है यहाँ बच्चियों के प्रति दृष्टिकोण का प्रश्न है 

यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा है या शोषण की मनमानी ?

यह प्रश्न किसी और पर नहीं उठ रहा है बल्कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड जिसको साधारण बातचीत में सेंसर बोर्ड भी कहा जाता है इसके  अध्यक्ष मशहूर गीतकार प्रसून्न जोशी है प्रसून जोशी पहले भी अपनी आपत्तियों को सार्वजानिक करने से बचते रहे है और जब से प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष बने है तब से तो बिलकुल ही नहीं बोलते है लेकिन वेब सीरिज रसभरी के एक दृश्य ने  इनको इतना दुखी कर दिया है की ये इसके लिए सामने आये है इनकी इस आपत्ति का जवाब दिया रसभरी वेब सीरिज की नायिका स्वरा भास्कर ने आदर सहित सर शायद आप सीन को गलत समझ रहे है सीन का जो वर्णन किया है वो इसके ठीक उल्टा है बच्ची अपनी मर्जी से नाच रही है पिता देखकर शर्मिंदा हो जाता है नाच उत्तेजक नहीं है बच्ची बस नाच रही है वह नहीं जानती समाज उसे सेक्सियु लाइज़ करेगा सीन यही दिखाता है 

स्वरा भास्कर ने बचाव की लाख कोशिशों की लेकिन बच्ची से उत्तेजक गाने पर नाच करवाने की कहानी या कहानी में जो पृष्ठ भूमि या संवाद है उससे इसी मंशा का पता चलता है की बच्ची के नाच के पहले एक महिला का यह कहना है की थोड़ा बहुत नाच गाना लडकियों को आना ही चाहिए कल को अपने पति को रिझाए रखेगी और गाना देखकर फिर वही महिला कहती है की तेरी बेटी के लक्षण ठीक नही लग रहे है तो वही दूसरी महिला खास अदा के साथ कहती है की ये सिर्फ अपने पति को ही नहीं बल्कि पुरे मुहल्ले को  रिझायेगी अगर इन संवादों के साथ प्रसुन्न जोशी की आपत्ति को देखेगे तो उसमे एक गंभीरता  भी दिखाई देती है और स्वरा भास्कर की प्रतिक्रिया बेहद हलकी और तथ्यहीन है किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से पहले उस पर समग्रता से सोच विचार करना आवश्यक होता है अन्यथा प्रतिक्रिया सतही होती है रसभरी और उसमे स्वरा भास्कर की भूमिका ऐसी है जिसको स्वय स्वरा भास्कर ही नहीं चाहती की उनके पिता इस वेब सीरिज को उस वक्त देखे जब वो उनके आस पास न हो ये तो 

स्वरा भास्कर ने सार्वजनिक रूप से माना है स्वरा भास्कर के पिता ने अपनी बेटी को शाबाशी  देते  हुए एक ट्वीट किया की उनको अपनी बेटी की प्रतिभा पर गर्व है इसके जवाब में स्वरा ने लिखा  की डैडी कृपया इस वेब सीरिज को उस वक्त ना देखे जब मैं आपके आस पास रहु अब जरा इस मानसिकता को समझिये की एक पुत्री अर्थात स्वरा भास्कर अपने पिता को सार्वजानिक रूप से कह रही है की वो इस वेब सीरिज को अपनी बेटी के आस पास होने पर न देखे और वही स्वरा भास्कर प्रसुन्न जोशी को समाज की मानसिकता आदि के बार में नसीहत देती है की बच्ची सिर्फ नाच रही है 

सच तो ये है की यह वेब सीरिज इतना फूहड़ और इसके संवाद इतने स्तरहीन है की इसको कोई भी संजीदा या परिवारिक व्यक्ति परिवार के साथ होने पर नहीं देखना पसंद करेगा प्रसून्न जोशी ने एक वेब सीरिज में बच्ची के नाच को लेकर जो सवाल खड़ा किया है उस पर समाज को विचार करना ही चाहिए की वेब सीरिज की दुनिया इतना नीचे गिर जाएगी की वो यौन प्रसंगों से भी आगे बढ़कर बच्चियों को एक वस्तु की तरह पेश करेगी लाभ कमाने के लिए इस तरह क कदम उठाने वाली बात कहा तक सही है ?

दरअसल यह एक और संकेत है की OTP प्लेटफार्म पर कंटेंट को लेकर कितनी अराजकता बढती जा रही है इस सीरीजो पर किसी भी प्रकार का कोई नियम नहीं होने की वजह से अराजकता अपने चरम स्तर है पता नहीं क्यों वेब सीरिज निर्माताओं को ये क्यों लगता है की अगर इनकी भाषा स्तरहीन रखी जाएगी यौन प्रसंग होंगे भयंकर हिंसा होगी तभी इसके लिए दर्शक मिलेंगे कुछ शुरूआती वेब सीरिज बनाने वाले निर्देशकों की वजह से इस तरह से भ्रम बनी है और इसी में रसभरी वेब सीरिज भी शिकार हुई है क्योकि प्रचारित तो ये किया जा रहा है की रसभरी के जादू से कोई बच नहीं सकता है एक बार आजमा कर देखो वर्ष 2018 में वीरे द वेडिंग फिल्म में अपनी भूमिका से स्वरा भास्कर ने जो छवि बनाई उसके रसभरी पुष्ट करती है कई बार इन सीरीज की प्रचार सामग्री से भी इस बात का अंदाजा लग जाता है की इसमें क्या होगा लेकिन ठीक इसके पहले hotstar पर रिलीज़ हुई

आर्या और उसके पहले MX प्लेयर पर रिलीज पंचायत ने इस भ्रम को भी तोडा की उत्तेजना पूर्ण अश्लीलता नग्नता और हिंसा ही किसी सीरीज को चर्चित नहीं  बनाती है  आर्या में जिस तरह से ड्रग्स के धंधे को दिखाया गया है उसमे अश्लील दृश्यों को दिखाने की पूरी संभावना थी लेकिन निर्माता उस रास्ते पर नहीं चले इस सीरीज में सुष्मिता सेन को लेकर या फिर ऐसी  अभिनेत्रियों की नग्नता का प्रदर्शन किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया है और बहुत ही स्पष्ट साफ सुथरे तरीके से कहानी आगे बढ़ती चली गई दर्शक कहानी से सम्मोहक में इसके साथ जुड़ता रहता है आज हालत ये है की आर्या किसी भी सीरीज से कम लोकप्रिय नहीं है  सेन की अदाकारी कहानी और संवाद का कसावट दर्शको को अंत तक बाधे रखता है इसमें भी कही कही निर्माता भटकते दिखते  है पर फौरन संभल जाते है 

WEB सीरिज की अराजकता का दायरा धीरे धीरे बढ़ता जा रह है जो किताबे दर्शको को पहले फुटपाथ पर पीली पन्नियो में छिपाकर बेचीं जाती थी  अब उसी स्तर की कहानियां और उस पर बनी फिल्म इन प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज के रूप में उपलब्ध है मस्तराम के नाम की जो किताब कई वर्षो पहले किशोर और युवा छिपाकर पढ़ते थे कभी अपनी कोर्स की किताबो के बीच में तो कभी घर के कोने में छिपकर अब उसी मस्तराम के नाम से पूरी सीरीज OTT पर उपलब्ध है जिसमे उन किताबो की कहानिया को फिल्माया गया गया इतना ही नहीं कबिता भाभा और लाली भाभी जैसी सीरीज भी उपलब्ध है इन सीरीज में जो नग्नता दिखाई जा रही है उस पर समाज को विचार करना ही चाहिए  देशभर में इस पर चर्चा होनी ही चाहिए क्या इस तरह की नग्नता किसी प्लेटफॉर्म पर दिखाया जाना सही है ?

 क्या हमारा समाज इस तरह की सामग्री को परोसने की इजाजत दे सकता है ?

 क्या हमारा समाज इतना परिपक्व हो चुका है की इस तरह की कमो द्दीपक सीरीज को स्वीकार किया जा  सके ?

 कुछ लोग ये तर्क दे सकते है की OTT  प्लेटफॉर्म  फिल्मों से अलग है क्योंकि फिल्मे सार्वजानिक तौर पर देखे जाते है और वेब सीरिज को लोग अपने स्मार्ट फोन पर व्यक्तिगत रूप में देखते है यह तर्क अपनी जगह एकदम सही है लेकिन क्या वेब सीरिज पर इतना कंट्रोल हो पाया है की जो लोग अभी युवा व्यवस्था को पार नहीं कर पाए है या जिनको अभी यौन संबंधी जानकारी नहीं विकसित हुई है  वो इसे देखे या नहीं  ?

 वेब सीरिज की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ऐसा लगता है की अब समय आ गया है की सरकार इसके बारे में विस्तार से कुछ ज्यादा ही सोचे सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष की तरफ से बच्ची के नाच पर बयान आना क्या इस ओर कोई संकेत कर रहा है या फिर प्रसुन्न जोशी के बयान को मात्र उनका व्यक्तिगत बयान माना जाए तमाम नजरे सुचना प्रसारण मंत्रालय की ओर है 

OTT मार्केट : वैश्विक OTT मार्केट का साइज़ 2017 के अनुसार 98 बिलियन डॉलर का था और 2025 तक 332 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है जब किसी फिल्म वेब सीरिज शोर्ट फिल्म या फिर कोई भी कार्यक्रम अगर शुरुआत ही गाली जैसे शब्दों से हो तो उसका अंदाजा लगाया जा सकता  है की आगे आगे क्या हो सकता है मिर्जापुर की कहानी एक शादी समारोह में हुई रोड जाम के कारण शुरू होती है यदि रोड पर जाम न होता तो हो सकता है की ये वेब सीरीज ना ही आती 

कालेजों और विश्वविद्यालय में आज भी इलेक्शन उसी दबंगई पर टिकी हुई है जो पहले भी हुआ करती थी जहा एक भाई को मिस्टर पूर्वांचल बनना है तो दुसरे भाई को आईएस तो वही कालीन भैया शहर के मालिक तो है ही तो मुन्ना भैया भी प्रिन्स से मालिक बनना चाहते है जबकि  मालिक तो एक ही हो सकता है मुन्ना को स्वाति पसंद है तो वही स्वाति को गुड्डू भैया पसंद है कोर्ट में किसी केस को कैसे दबाया जाता है  ये भी दिखाया गया है  ...


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