भारत देश या india देश ? आखिर सच क्या है ...

  भारत देश या india देश ?   

आजकल देश में विकास न करके इसके अलावा सभी काम हो रहे हैं चाहे किसी स्थान का नाम बदलना हो ,रोड का नाम, ऐसे ही अब यह मुद्दा देश के नाम बदलने तक आ चुका है 

विवाद कोई छोटा-मोटा नहीं है इसके लिए लोग सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गए हैं ऐसे में सवाल यह बनता है कि क्या वास्तव में इंडिया के स्थान पर अब हर जगह भारत नाम होना चाहिए ?

कहीं हम इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान से तो नहीं जोड़कर देख रहे हैं क्योंकि इस समय देश की जनता और सरकार हर एक योजना या काम को आत्मनिर्भर से जोड़ने की बात कर रही है  ?



संविधान में दर्ज " india , that is Bhart " को बदलकर केवल भारत करने की मांग उठ रही है इस बारे में एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी जिस पर अदालत में सुनवाई भी की गई थी 

याचिका में दाखिल कर मांग की गई थी कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर इंडिया शब्द को हटाकर देश का नाम भारत या हिंदुस्तान करें क्योंकि इंडिया शब्द भारत से नहीं निकला है यह शब्द ग्रीक शब्द इंडिका से निकला है 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोर्ट इस पर विचार नहीं करेगी लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस याचिका को ज्ञापन की तरह ले सकती है दाखिलकर्ता ने सरकार और कोर्ट से कहा कि यह कोई नई बात नहीं है कई देश अपना नाम बदल चुके हैं जैसे बांग्लादेश का पुराना नाम पूर्वी पाकिस्तान था , इंडोनेशिया का पूर्व नाम उच्च ईस्ट इंडीज, जिंबॉब्वे का रोडेशिया , घाना देश का पूर्व नाम गोल्ड कोस्ट था ऐसे ही करीब 100 नाम होंगे



सबसे पहले जानते हैं कि भारत देश को कितने अलग-अलग नामो से जाना जाता है  : -

प्राचीन काल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे जैसे जम्मूद्वीप , भारतखंड ,हिमवर्ष , अजनाभवर्ष,  भारतवर्ष ,आर्यावर्त,  हिंद , हिंदुस्तान और इंडिया मगर इनमें भारत सबसे ज्यादा लोकमान्य और प्रचलित रहा है 

नामकरण को लेकर सबसे ज्यादा धारणाए एवं मतभेद भी भारत को लेकर ही है भारत की वैविध्य संस्कृति की तरह ही अलग-अलग कालखंडो में इसके अलग-अलग नाम भी मिलते है 

 इन नामो से कभी भूगोल उभर कर आता है तो कभी जातीय चेतना और कभी तो संस्कार  |


जैसे हिंद, हिंदुस्तान , india जैसे नामों से भूगोल उभर रहा है इन नाम के मूल में यूं तो सिंधु नदी प्रमुखता से नजर आ रही है मगर सिंधु सिर्फ एक क्षेत्र विशेष की नदी भर नहीं है क्योंकि सिंधु का अर्थ नदी भी होता है और सागर भी होता है

 उस रुप में देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र को किसी जमाने में सप्तसिंधु या पंजाब कहते थे तो इसमें एक विशाल उपजाऊ इलाके को वहां बहने वाली 7 अथवा 5 प्रमुख धाराओं से पहचाने की बात ही तो है 

इसी तरह भारत नाम के पीछे सप्त सैन्धव क्षेत्र में पनपी अग्निहोत्र संस्कृति अर्थात अग्नि में आहुति देने की पहचान हुई है 



भारत नाम के दावेदार कितने :-

1.पौराणिक युग में भरत नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं जैसे दुष्यंत सुत के अलावा दशरथ पुत्र भरत भी प्रसिद्ध है जिन्होंने खड़ाऊ राज किया है

2.नाट्य शास्त्र वाले भरत मुनि हुए हैं 

3.एक राजर्षी भरत का भी उल्लेख है जिनके नाम पर जड़ भरत मुहावरा भी बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया है 

4.मगध राज दरबार में भी एक भरत ऋषि थे

5.एक योगी भरत हुए

6.पद्म पुराण में एक दुराचारी ब्राह्मण भरत का उल्लेख भी बताया गया है

7.येतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत पुत्र भरत ही भारत नामकरण के पीछे खड़े दिखते हैं ग्रंथ के अनुसार भरत एक चक्रवर्ती सम्राट अर्थात चारों दिशाओं की भूमि का  अधिग्रहण कर विशाल सम्राट का निर्माण कर अश्वमेघ यज्ञ किया जिसके चलते उनके राज्य को भारत वर्ष नाम मिला 

8.इसी तरह मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण पोषण करने के कारण भरत कहा गया जिस खंड में उनका शासन वास होता है उसे भारत वर्ष कहा गया

9.नामकरण के सूत्र जैन परंपरा तक में मिलते हैं भगवान ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र महायोगी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा 

10.संस्कृत में वर्ष का अर्थ इलाका, बंटवारा , हिस्सा के साथ साथ अन्य अर्थ भी होते हैं

11.कई लोग उदाहरण देते हैं कि दुष्यंत- शकुंतला पुत्र के नामकरण पर देश का नामकरण हुआ है



12.आमतौर पर भारत नाम के पीछे महाभारत के आदिपर्व में आई एक कथा है महर्षि कण्व और अप्सरा मेनका की बेटी शकुंतला और पुरुवंशी राजा दुष्यंत के बीच गांधर्व विवाह ( आज का प्रेम विवाह ) होता है इन दोनों के पुत्र का नाम भरत रखा गया ऋषि कण्व ने आशीर्वाद दिया कि भरत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखंड का नाम भारत प्रसिद्ध होगा अधिकतर लोगों के दिमाग में भारत नाम की उत्पत्ति की यही प्रेम कथा लोकप्रिय है 

13.आदिपर्व में आये इस प्रसंग पर कालिदास ने " अभिज्ञान शाकुंतलम नामक " महाकाव्य रचा मूलत: यह प्रेमा खयान है और माना भी जाता है कि इसी वजह से यह कथा लोकप्रिय हुई दो प्रेमियों के अमर प्रेम की कहानी इतनी महत्वपूर्ण हुई कि इस महादेश के नामकरण का निम्मित बने शकुंतला - दुष्यंत पुत्र यानी की महाप्रतापी भरत के बारे में अन्य बातें जानने को नहीं मिलती 

14. इतिहास को जानने वाले विशेषज्ञो का मानना है कि भरत जन समुदाय इस देश में दुष्यंत पुत्र भरत से भी पहले से थे इसलिए यह तार्किक ( लॉजिक) है कि भारत का नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर न होकर जाति - समूह के नाम पर प्रचलित हुआ 

15.भरत जन अग्नि पूजक, अग्निहोत्र व यज्ञप्रिय थे वैदिकी में भरत या भरथ का अर्थ अग्नि होता है उस समय एक राजा हुआ करता था जिसे लोकपाल या विश्वरक्षक या मोनियर विलियमस के नाम से जानते थे 

16.यह वही राजा भरत है जिसने सरस्वती, घग्घर के किनारों पर राज किया था

 17. संस्कृत में भर शब्द का एक अर्थ होता है युद्ध , दूसरा अर्थ समूह या जन - गण और तीसरा अर्थ होता है भरण - पोषण | और ये अर्थ एक दूसरे से इतने भिन्न और विरोधी कैसे हो सकते हैं ? अर्थात भर का अर्थ युद्ध और भरण - पोषण दोनों हो तो यह शब्द की अपनी विशेषता नहीं है भर का मूल अर्थ गण अर्थात जन ही था

गण के समान वह किसी भी जन के लिए प्रयुक्त हो सकता था साथ ही वह उस गण विशेष का भी सूचक था जो भरत नाम से विख्यात हुआ 

  इन सब का अर्थ क्या हुआ : - 

दरअसल भरतजनों का वृतांत आर्य इतिहास में इतना प्राचीन और दूर से चला आता है कि कभी युद्ध, कभी अग्नि ,या कभी संघ जैसे आशयो से संबंध भरत का अर्थ सिमट कर महज एक संज्ञा भर रह गया जिससे कभी दशरथेय भरत को संबंध किया जाता है तो कभी भारत की व्युत्पत्ति के संदर्भ में दुष्यंत पुत्र भरत को याद किया जाता है 

किन्तु हजारों वर्ष पहले अग्नि प्रिय भरतजनों की शुचिता और सदाचार इस तरह बढ़ा हुआ था कि निरंतर यज्ञकर्म में करते रहने से भरत और अग्नि शब्द एक दूसरे के सम्प्रक्त हो गए

 18.भरत , भारत शब्द मानो अग्नि का विशेषण बन गया आंकड़े बताते हैं कि देवश्रवा और देववात इन दो भरतो अर्थात भरतजन के दो ऋषियों ने ही मंथन के द्वारा अपनी अग्नि प्रज्वलन की तकनीक खोज निकाली थी

19.इसी तरह यज्ञ में निरंतर काव्य पाठ के कारण कवियों की वाणी को भारती कहा गया यह काव्य पाठ सरस्वती के तट पर होता था इसलिए यह नाम भी कवियों की वाणी से जुड़ा हुआ है अनेक वैदिक मंत्रो में भारती और सरस्वती का उल्लेख आता है 

20.प्राचीन ग्रंथो में वैदिक युगीन एक प्रसिद्ध जाति भरत का नाम अनेक संदर्भ में आता है यह सरस्वती नदी या आज के घग्घर के कछार में बसने वाले समूह थे ये यज्ञप्रिय अग्निहोत्र जन थे इन्ही भरत जन के नाम से उस समय के पुरे भूखंड का नाम भरत वर्ष हुआ था विद्वानों के अनुसार भरत जाति के मुखिया सुदास थे

21. वैदिक युग से भी पहले पश्चिमोत्तर भारत में निवास करने वाले जनों के अनेक संघ थे इन्हें भी जन कहा जाता था इन्हीं जनों में 10 जनों से सुदास और उनके तुत्सु कबीले का युद्ध हुआ था सुदास के तुत्सू कबीले के खिलाफ 10 प्रमुख जातियों के जन लड़ रहे थे इसमें पंचजन अर्थात जिसे अविभाजित पंजाब समझा जाये 



  अगर महाभारत से तुलना किया जाए :-

ऊपर के युद्ध हुए महाभारत से करीब 2500 वर्ष पहले का बताया जाता है इतिहासकारों के अनुसार ईसा मसीह के जन्म से करीब 2500 साल पहले कौरव और पांडवों के बीच युद्ध हुआ था 

एक गृह कलह जो महायुद्ध में बदल गए यह तो ठीक है पर इस देश का नाम भारत है और दो कुटुंबों की कलह की निर्णायक लड़ाई में देश का नाम क्यों आया ?  अर्थात भाई भाई के युद्ध में धर्म, जाति का कोई मतलब नहीं होना चाहिए 

इसकी वजह यह थी कि इस युद्ध में भारत की भौगोलिक सीमा में आने वाले लगभग सभी साम्राज्यों ने हिस्सा लिया था इसलिए इसे महाभारत कहते है 

 दशराज युद्ध इससे भी 2500 वर्ष पहले हुआ था अर्थात आज से लगभग 7000 वर्ष पहले तुत्सु जाति के लोगों ने 10 राज्यों के संघ पर अभूतपूर्ण जीत प्राप्त की थी

तुत्सू जनों को भरतो का संघ कहा जाता था इस युद्ध से पहले यह क्षेत्र अनेक नामो से प्रसिद्ध था इस विजय के बाद तत्कालीन आर्यावर्त में भरत जनों का वर्चस्व बढ़ा  तत्कालीन जनपदों के महासंघ का नाम भारत हुआ अर्थात भरतों का |



  भारत व ईरान की संस्कृति में कितनी समानता है : -

हिंद, हिंदुस्तान की ईरानी पुराने संबंध थे आज का ईरान पहले फारस था उससे भी पहले अर्यनम , आर्या अथवा आर्यान, अवेस्ता में इन नामो का उल्लेख मिलता है

माना जाता है कि हिंदुकुश के पार के जो आर्य थे उनका संघ ईरान कहलाया और पूरब में जो आर्य थे उनका संघ आर्यावर्त कहलाया यह दोनों ही समूह महान थे और प्रभावशाली भी थे 

सच तो ये है कि भारत का नाम पश्चिमी देशों तक स्वय ईरानियो ने ही पहुंचाया था क्योंकि कुर्द सीमा पर बेहिस्तून शिलालेख पर बने शब्द इसकी गवाही देता है

 फारसियो ने अरबी भी सीखी मगर अपने अंदाज में एक जमाने में अग्निपूजक जरस्थुतियो का ऐसा प्रभाव था कि वहां पर इस्लाम धर्म का जन्म भी नहीं हो पाता क्योंकि ये सभी घटनाये इस्लाम से भी सदियों पहले और ईसा मसीह से भी 400 वर्ष पहले की बात है

संस्कृत व अवेस्ता में गर्भनाल का रिश्ता है हिंदुकुश- बामियान के इस ओर यज्ञ होता तो दूसरी ओर अर्यमन , होम , सोम , हवन जैसी क्रियाये होती थी 

हिंदुकुश शब्द तो ईसा मसीह से भी 2000 वर्ष पहले अक्कादी सभ्यता में था अक्कद ,सुमेर ,मिश्र सब से भारत के रिश्ते थे यह हड़प्पा सभ्यता के समय की बात है 

सिंधु सिर्फ नदी ही नहीं सागर, धारा और जल का भंडार था सिंधु को सात नदियों वाले प्रसिद्ध सप्तसिंध, सप्तसिंधु क्षेत्र को प्राचीन फारसी में हफ्त हिन्दू कहा जाता था 

क्या इस हिंदू का कुछ और अर्थ है ? सच है कि हिंद, हिंदू हिंदवान , हिंदुश जैसी अनेक संज्ञाये अत्यंत प्राचीन है इंडस इसी हिन्दश का ग्रीक समरूप है यह इस्लाम से भी सदियों पहले की बाते है

 ग्रीक में भारत के लिए इंडिया अर्थात सिंधु के लिए इंडस शब्दों का प्रयोग दरअसल इस बात का प्रमाण है कि हिंद अत्यंत प्राचीन शब्द है और भारत की पहचान है

संस्कृत का ' स्थान ' फारसी में " स्तान " हो जाता है इस तरह हिंद के साथ जुड़कर हिंदुस्तान बना आशय है कि जहां हिंदी लोग रहते हैं वही हिंदू बसते हैं भारतीय यूरोपीय भाषा में ह का रूपांतरण अ हो जाता है स का अ नहीं होता है 

मेसोपोटामिई संस्कृति से हिन्दुओ का ही संपर्क था हिन्दू दरअसल ग्रीक , इंडस , अरक ,अक्कास ,पर्सियन संबंधो का ही परिणाम है 

इंडिका शब्द का प्रयोग मेगस्थनीज के इंडिका पुस्तक में किया गया है और लम्बे समय तक पाटलिपुत्र में रहकर वहा पहुचने से पहले ही वक्र , तक्षशिला , गंधार के इलाको से गुजरे थे उस समय इन इलाको में हिन्द , हिंदवान , हिन्दू जैसे शब्द प्रचलित थे इसमें ग्रीक स्वर तंत्र के माध्यम से इसमें इंडस ,india जैसे शब्द को ग्रहण किये यह सब ईसा मसीह से 300 साल पहले की बात है और इस्लाम धर्म के आगमन से करीब 1000 साल पहले की बात है 



जहा तक जम्बूदीप की बात है तो यह भारत देश का सबसे पुराना नाम है आज के भारत आर्यावर्त , भारत , भारतवर्ष से भी बड़ा था परन्तु ये तमाम विवरण बहुत ही विस्तार भी मांगते है और अभी भी इन पर गहन अध्ययन चल रहा है 

जामुन के फल को संस्कृत में जम्बू कहा जाता है अनेक उल्लेख तो ये है की इस केन्द्रीय भूमि पर अर्थात आज के भूमि पर किसी समय पर जामुन के पेड़ो की बहुत ही अधिकता थी इसके कारण से भारत का एक नाम जम्बूदीप भी था जो भी हो हमारी चेतना अब जम्बूदीप नाम के साथ नहीं है और हम नहीं चाहते है की अब भारत का नाम जम्बूदीप हो 

लेकिन फिर भी हम भारत नाम से जुड़े हुए है भरत नाम की संज्ञा भारत नाम होने की सभी गुण मौजूद है इसलिए हमे क्या नाम चाहिए वो तो आज के परिस्थिति के अनुसार ही सोचना होगा इसलिए ही तो भारतीय संविधान में ही लिख दिया गया था " india , that is Bhrat "अर्थात भारत ही इण्डिया है और इण्डिया ही भारत है इसमें कोई अंतर नहीं है हा एक बात जरुर क्लियर की गई गई थी की india का मतलब भारत नहीं होता है ...............



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