कैसे शुरू हुआ रामायण और महाभारत का कार्यक्रम T. V चैनलों पर ?
आप सभी को बहुत ही अच्छे से याद होगा की कोरोंना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के समय रामायण , महाभारत जैसे धार्मिक और अन्य लोकप्रिय धारावाहिकों की बल पर दूरदर्शन की TRP ( टेलीविजन रेटिंग पॉइंट ) में भारी उछाल आई लेकिन ऐसी भी चीज सामने आ रही है जो यह दर्शाती की दूरदर्शन में आज भी प्रोफेशनलिज्म (व्यवसायिकता ) का अभाव है
ऐसे समय में हमे रामायण धारावाहिक के निर्माता और प्रसारण संबंधी कुछ सच्चाई को जानना ही चाहिए जो अक्सर इस आभासी दुनिया में खो ही जाते है कि कैसे उस समय में रामायण को हिंदू एलिमेंट बताते हुए उसे सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष ) बनाने का प्रयास किया गया था
ये जानना इसलिए भी जरुरी है हम सभी के लिए जितना किसी व्यक्ति को अपने धर्म के प्रति आस्था जुड़ी होती है जितना आपके लिए धर्म का पालन करना जरुरी होता है इसलिए ही तो देश में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो दूरदर्शन ने रामायण और महाभारत समेत सभी पुराने और अत्यंत लोकप्रिय रहे धारावाहिक शुरू करने का फैसला सरकारों को करना पड़ा यही भारत देश में ही नहीं दुनिया के लगभग सभी देशो में धार्मिक कार्यक्रमों के साथ मनोरंजन के सभी साधन उपलब्ध कराये गए
और 28 मार्च से रामानंद सागर द्वारा निर्देशित रामायण को दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर और बी आर चोपड़ा के द्वारा निर्देशित महाभारत को DD भारती पर प्रसारण के पहले सप्ताह में ही ये दर्शको को बहुत पसंद आया और लगभग 40000% की वृद्धि TRP में देखी गई जो अपने आप में एक अद्भुत वृद्धि मानी जा रही है और इसी प्रकार लगातार दर्शकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई यह तब हो रहा था जब कुछ निजी चैनलों पर भी अलग-अलग लोगों के द्वारा निर्देशन में बनी रामायण और महाभारत भी चलाए जा रहे थे इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि दूरदर्शन पर अगर अच्छा कंटेंट दिखाए जाए तो उसके पास अधिक मात्रा में दर्शक आएंगे
रामायण के निर्माण में आने वाली बाधाये : रामायण के निर्माण में आने वाली बाधाओ को लेकर रामानन्द सागर के पुत्र प्रेम सागर ने विस्तार से जिक्र किया है हुआ ये था कि जब राजीव गांधी जी भारत के प्रधानमंत्री थे तो एक दिन वह काम करके घर लौटे और टीवी देखने लगे और दूरदर्शन पर चलने वाले कार्यक्रमों से उन्हें काफी निराशा हुई इन्होने तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री B.N गाडगील को फोन करके इसकी शिकायत की
राजीव गांधी जी ने B.N गाडगील को सुझाव दिया कि दूरदर्शन के सभी कार्यक्रमों में विविधता लाई जाये और उसे पौराणिक ग्रंथो और दर्शन पर आधारित सीरियल बनाया जाना चाहिए
इस क्रम में राजीव गांधी जी ने रामायण और महाभारत का भी नाम लिया था गाडगिल ने प्रधानमंत्री की बात सुनी और सरकारी कामकाज की पद्धति अपनाते हुए सूचना प्रसारण सचिव S.S गिल को सभी बातें बताएं जो प्रधानमंत्री ने कह रखी थी
सचिव में आगे बढ़ते हुए दूरदर्शन के अधिकारियों को बता दिया आनन फानन अर्थात जल्दी बाजी में प्राइवेट प्रोड्यूसर ने स्कीम बनाई और रामानंद सागर से रामायण बनाने के लिए कहा
रामानंद सागर जी से कहा गया कि आप पहले पायलट प्रोजेक्ट (डेमो के रूप में ) के रूप में चार एपिसोड बनाकर प्रधानमंत्री जी को दिखाएं और ऐसा ही हुआ 4 एपिसोड तैयार थे बनकर लेकिन आगे के कार्यक्रमों पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा था
समस्या यह आ रही थी की B.N गाडगील के अलावा दूरदर्शन के तत्कालीन महानिदेशक भास्कर घोष एक तरफ प्रधानमंत्री जी को खुश करना चाहते थे और दूसरी तरफ दूरदर्शन पर रामायण के प्रसारण में रुकावट भी डाल रहे थे
इसी बीच एक बेहद दिलचस्प घटना घटित हुई सूचना एवं प्रसारण सचिव S.S गील चार एपिसोड में से एक एपिसोड अपने घर ले गए उन्होंने अपनी मां को दिखाया उसे देखते हैं उनकी मां भाव विभोर हो गई उन्होंने S.S गिल अर्थात अपने बेटे से पूछा कि कार्यक्रम कब से टीवी पर आना शुरू हो रहा है
इस पर गिल ने सभी रूकावटो के बारे में माँ को बताया इनकी मां ने कहा कि किसी भी कीमत पर इसे दिखाओ अगले दिन जब गिल ऑफिस पहुंचे शाम को लौटकर आने पर पता चला कि उनकी मां ने सुबह से कुछ भी खाया पिया नहीं है जब गिल माँ के पास पहुंचे तो माँ ने धमकाते हुए कहा कि अगर इसे शुरू नहीं किया गया तो वह अन्न जल त्याग देंगी अब बेटे गिल की परेशानी बढ़नी शुरू हो गई
लेकिन इसी बीच सूचना और प्रसारण मंत्री बदल गए और नए मंत्री अजीत पांजा बनाए गए जिसके साथ ही कई अफसर का भी हेर फेर सरकार ने किया और अब S.S गिल के पास एक अच्छा मौका था उन्होंने तुरंत रामानंद सागर जी के प्रस्ताव की मंजूरी का पत्र बनवा दिया
रामानंद सागर जी इस पत्र को लेने जैसे ही दिल्ली पहुंचे तो एक प्रोग्राम ऑफिसर ने उन्हें अप्रूवल लेटर देकर सलाह दी कि वह तुरंत पत्र लेकर मुंबई चले जाए उन्होंने ऐसा ही किया जब यह अप्रूवल लेटर दूरदर्शन से होता हुआ मंत्रालय पहुंचा तो हंगामा मच गया लेकिन अब तो कुछ हो ही नहीं सकता था क्योंकि तारीख तय हो चुकी थी और वह तारीख थी 25 जनवरी 1987 को रामायण का पहला एपिसोड सुबह 9:00 बजे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था
इसके बाद भी समय-समय पर रुकावट आती रही ही लगभग इन रूकावटों के बाद लगातार 78 सप्ताह तक दूरदर्शन पर चलता रहा |
सबसे बड़ी बाधा रामायण के एक्सटेंशन यानी विस्तार की जरूरत जब महसूस हुई थी क्योंकि भास्कर घोष ने रामायण को 26 एपिसोड का एक्सटेंशन देने से मना कर दिया था रामानंद सागर ने सीधे HKL भगत से बात की जो अजीत पांजा के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री बने थे
उन्होंने अनुमति दे दी क्योंकि वह समझ रहे थे कि इसे बंद करने से जनता बहुत नाराज हो जाएगी लेकिन भास्कर घोष लगातार रामानंद सागर पर दबाव बना रहे थे की रामायण में रामायण से हिंदू एलिमेंट कम करके उसको सेकुलर बनाया जाए ताकि उसको अलग-अलग विचारों के लोग भी देख सके
रामानंद सागर ने भास्कर घोष की बात नहीं मानी और किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया रामानंद सागर भास्कर घोष से बचने के लिए एक उपाय सोची थी जो मजेदार थी रामानंद सागर हर एपिसोड प्रसारण के समय से मात्र कुछ घंटे पहले ही दूरदर्शन को सौपते थे ताकि किसी भी तरह का कोई छेड़छाड़ ना किया जाए और इस तरह उन्होंने रामायण को सेकुलर होने से बचा लिया
दूरदर्शन की बुनियाद में जब ऐसे अफसर रहे हो तो रामायण में भी हिंदू एलिमेंट ढूढ़ते हो जो उसके निर्माता पर इस बात के लिए दबाव बनाये की राम कथा से हिंदू एलिमेंट को कम किया जाए उसकी इमारत कैसी बनी होगी
इसका अंदाजा तो इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दूरदर्शन को स्वायतता देने के लिए ही प्रसार भारती का गठन किया गया था आज की स्थिति यह है कि प्रसार भारती में ना तो अध्यक्ष है और न ही बोर्ड के अधिकतर सदस्य सभी पद खाली चल रहे है .................







