महामारी का नामकरण कैसे रखा जाता है ?
कहां जाता है कि रोगों के नाम सिर्फ नाम ही नहीं होते अक्सर उनके आसपास एक राजनीति भी होती है शायद इसलिए तमाम विवादों के बाद भी आज भी हम भारतीयों के साथ साथ पूरा विश्व या कहे की चीन देश के अलावा , पूरी दुनिया में कुछ समय पहले ही फैले वायरस , कोरोना वायरस को लोग वुहान वायरस ही कह रहे हैं
हम सभी में से एक व्यक्ति थे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहाँ तक कह दिया था की कोरोना वायरस नहीं है ये तो चीनी वायरस है क्योकि चीन देश से आया है
चीन देश को भी पता है कि यह सब उसे चिढाने के लिए कहा जा रहा है और जवाब में चीन साबित करने में जुटा हुआ है कि यह वायरस दरअसल अमेरिका में पैदा हुआ और वहीं से चीन के वुहान क्षेत्र में आया था
दरअसल यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी महामारी को लेकर दुनिया में इस तरह की राजनीति चली हो उदाहरण के रूप में स्पेनिश फ्लू के उदाहरण से इस विवाद को हम अच्छी तरह से समझ पाएंगे
दिलचस्प बात यह है कि आज से 105 वर्ष पहले अर्थात वर्ष 1918 में पूरी दुनिया में लाखों या शायद करोड़ों लोगों की जान लेने वाला स्पेनिश फ्लू , स्पेन देश से नहीं शुरू हुआ था लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के बाद शक्ति संतुलन में स्पेन देश ऐसी जगह पर खड़ा था जहां से वह इस स्पेनिश फ्लू नामकरण को होने से रोक नहीं सकता था
एक सदी पहले की यह महामारी कहां से शुरू हुई इसको लेकर वैज्ञनिक आज तक कोई स्पष्ट राय नहीं बना सके विचार यह भी है कि स्पेनिश फ्लू महामारी अमेरिका के बोस्टन हार्बर आइसलैंड से शुरू हुआ था यह करीब पहले विश्व युद्ध के अंतिम दिनों शुरू हुआ था
एक बीमारी बहुत ही तेजी से फैल रहा था और एक के बाद एक कई स्तरों पर अमेरिकी सेनाओं को अपना शिकार बन रहा था लेकिन उस समय कोई भी देश इसे स्वीकार नहीं करना चाहता था क्योंकि इससे देश की पूरी सेना का मनोबल कमजोर हो जाता है
फ्रांस की सेना ने इसे एक कोड नाम दे दिया वह था " कोड 11 " अर्थात " रोग नम्बर 11 "
यह शायद उस फ्लू को दिया गया पहला नाम था इसी दौरान स्पेन एक ऐसा देश जिसकी सेना ने अधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि यह रोग तेजी से फ़ैल रहा है इसी स्वीकार के चलते शत्रु देशो ने इसे स्पेनिश फ्लू कहना शुरू कर दिया
हालाँकि यह रोग जिस तेजी से फ़ैल रहा था लेकिन नाम इतना तेजी से नहीं फैला विश्व युद्ध लगभग खत्म हो चुक था सैनिक अपने अपने घर लौट रहे थ और साथ में एक अनजान सी बीमारी ले जा रहे थे
हर देशों में इसको लेकर अलग-अलग तरह के प्रतिक्रिया आ रही थी सबसे आसान रास्ता था कि इसकी जिम्मेदारी अपने दुश्मन देश पर डाल दिया जाए जैसे स्पेन का कहना था कि यह बीमारी पुर्तगाल से उसके यहां आई थी जबकि पुर्तगाल कह रहा था कि स्पेन से आई थी पर्शिया का कहना था कि इसे ब्रिटेन ने उसके यहां भेजा है ब्राजील देश इसको जर्मन फ्लू कह रहा था और कई देश इसे ब्राज़ील फ्लू भी कह रहे थे
और इसी समय रूस में क्रांति शुरू हो चुकी थी और बोल्शेविक सेनाये पोलैंड में घुसपैठ कर रही थी इसलिए जब यह रोग पोलैंड में फैली तो इसे बोल्सेविक फ्लू कहा गया लेकिन सभी जगह इसे दुश्मन देश के मत्थे पर मढ़ा गया ऐसा भी नहीं है
10 जून 1918 को खबर आती है कि तट पर तैनात 7 पुलिसकर्मी की एक नई बीमारी के कारण मौत हो गई है तब तक जहाज में आए सैनिकों के साथ यह बीमारी पूरे देश में फैल चुकी थी क्योंकि इस बीमारी की पहली खबर मुंबई में आई थी इसलिए भारतीय डॉक्टरों ने इसे मुंबई फ्लू कहना शुरू कर दिया
हालांकि जब रोग भारत में यह एक महामारी का रूप ले लिया तो आम लोगों ने इसे प्लेग ही माना था जापान में इसका प्रवेश कुछ अलग तरीके से हुआ था कुछ सूमो पहलवान कुश्ती टूर्नामेंट खेलने के लिए विदेश गए हुए थे जब यह लौटे तो बीमार थे इन्हीं के जरिए रोग जापान में फैला इसलिए वहां इसे सुमो फ्लू कहा गया
लेकिन जल्द ही सभी देशों को एहसास हो गया कि उनके यहां जो बीमारी फैल रही है दरअसल वह एक वैश्विक महामारी है अब अलग-अलग नाम देने की बजाय एक अलग नाम की जरूरत थी और वह नाम था स्पेनिश फ्लू |
लेकिन जब बहुत सारे दूसरे नाम थे तो यही नाम क्यों स्वीकार किया ?
शायद इसलिए कि पहला विश्व युद्ध संयुक्त शक्ति ( अलाइड पॉवर ) ने जीता था इस गुट के अग्रणी देश ब्रिटेन और रूस थे वे अपनी ताकत का लोहा प्रथम विश्व युद्ध में दिखा चुके थे इसलिए वही नाम चल निकला जो उन्होंने स्वीकार किया था
ब्रिटेन और रूस ने तो उस समय अपनी बात बनवा ली थी लेकिन इस बार कोरोना वायरस के समय में अमेरिका अपनी बात को क्यों नहीं मनवा सका अभी तक जबकि इसको फैले हुए करीब 4 वर्ष का समय बीत चुके है ?
जिसे दुनिया की सबसे ताकतवर देश माना जाता है कहीं यह अमेरिका की कम होती ताकत तो नहीं है ?
बात सिर्फ नामकरण की नहीं है पहली बार दुनिया में ऐसा संकट छाया था जिसमें अमेरिका खुद बेबस और हताश दिख रहा था
यह तो खैर शुरू से ही कहा जा रहा था कि पिछली आधी सदी में यह पहला ऐसा संकट है जब अमेरिका दुनिया का नेतृत्व करता हुआ नहीं दिखाई दे रहा लेकिन क्या कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहना गलत है ?
अक्सर कई रोगों को जगहो से जोड़ दिया जाता है यह पुरानी परंपरा रही है जैसे की इबोला वायरस को कांगो की एक नदी का नाम दिया गया था माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति यही हुई थी
इसी तरह जीका वायरस को युगांडा के एक जंगल से अपना नाम मिला था अगर यह सभी नाम हो सकता है तो चीनी वायरस का नाम या वुहान वायरस क्यों नहीं ?
करीब आज से 9 वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक प्रस्ताव पास करके बताया था कि संक्रमण फ़ैलाने वाले नए रोगों और रोगाणुओं का नाम कैसे तय किया जाए इसे नेमिंग प्रोटोकॉल भी माना जाता है यह प्रस्ताव यह कहता है कि किसी रोग या रोगाणु का नाम किसी जगह या व्यक्ति से जोड़कर नहीं रखा जा सकता है
कुछ समय पहले की बात है कुछ वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीवाणु का पता लगाया था जिस पर कोई एंटीबायोटिक दवा असर नहीं करता जब इसे " नई दिल्ली बग " कहा गया तो भारत सरकार ने इसका काफी विरोध किया और तब जाकर अंत में इसका नाम बदलकर " सुपर बग " रखा गया इस तरह से मामला सिर्फ अमेरिका की ताकत का नहीं बल्कि चीनी वायरस कहना नैतिक रूप से भी गलत था .............
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