मामला: राजस्थान में एक ऑडियो वायरल हुआ बताया यह जा रहा है कि इसमें राज्य की सरकार को गिराने की बात की जा रही है कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सरकार गिराने की साजिश कर रही है
इस ऑडियो में कांग्रेस MLA भंवरलाल शर्मा तो वहीं केंद्रीय गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज होने का आरोप है भाजपा नेता का नाम आने के बाद भाजपा ने भी CBI जांच की मांग की है लेकिन हैरानी की बात यह है कि सरकार ने सीबीआई से जनरल कंसेंट वापस ले लिया ऐसा करने वाला राजस्थान कोई पहला राज्य नहीं है इसके पहले भी दो राज्य छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ऐसा कर चुके है |
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत CBI सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में सेक्शन 3 के तहत अपराधों की जांच बिना किसी सरकारी आदेश के कर सकती है
इसी तरह राज्यों में जाँच शुरू करने से पहले CBI को सेक्शन 6 के तहत राज्य सरकार से इजाजत लेनी जरूरी होती है |
1.पहले केंद्र सरकार स्वयं सीबीआई जांच का आदेश दे दे
2.हाई कोर्ट/ सुप्रीम कोर्ट CBI जांच के आदेश दे दे
3.राज्य सरकार केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग करें
4.किसी केस को लेकर पब्लिक डिमांड हो लेकिन इस पर भी फैसला सरकार ही करती है तो कुल मिलाकर सीबीआई केंद्र सरकार के अनुसार काम करती है और ऐसा माना भी जाता है इसलिए ही इसे केंद्र सरकार का तोता भी लोग कहते है |
इसके बाद ही सरकार के गृह विभाग ने भी इसके आदेश जारी कर दिए सरकार ने तो यह कहा है कि सीबीआई को कोई केस स्थिति के अनुसार ही दिया जाएगा इसके साथ ही कई और अधिकार भी वापस ले लिया गया
छत्तीसगढ़ राज्य :
छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला राजस्थान में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी इसके कुछ ही दिन बाद सरकार ने जनवरी 2019 में सीबीआई जांच पर रोक लगा दी अर्थात बिना सरकार की अनुमति के सीबीआई की एंट्री नहीं हो सकती है उस समय CM भूपेश बघेल ने कहा था कि भाजपा शासन में सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है राज्य के अधिकारियों को परेशान किया जा रहा है इसलिए हमें यह फैसला लेना पड़ा
छत्तीसगढ़ राज्य ने 2001 में राज्य को सीबीआई जांच के अनुमति दी थी तब से लेकर 2018 तक सीबीआई ने कई बड़े केस को सॉल्व किया जैसे राम अवतार जग्गी हत्याकांड , बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक और गारियाबंद के छुरा के उमेश राजपूत हत्या, SECL कोयला घोटाला , IAS बियल अग्रवाल रिश्वत कांड, भिलाई का मैंगनीज कांड व कथित CD कांड शामिल है |
पिछले वर्ष ही बंगाल ने राज्य में CBI जाँच को दी गई अनुमति को वापस ले लिया है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना था कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का गलत उपयोग कर रही है आपने देखा ही होगा चिट फण्ड घोटाला को लेकर पश्चिम बंगाल में केंद्र और राज्य सरकार के मध्य बहुत ही अधिक विवाद हो गया था इस विवाद में बंगाल पुलिस सीबीआई आमने-सामने आ गए थे जिसके बाद सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था इसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में गया 1989 में बंगाल ने सीबीआई को राज्य में जांच की अनुमति दी थी |
कुछ और राज्य हैं जो समय-समय पर बदलाव करते हैं :-
आंध्र प्रदेश राज्य : वर्ष 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने सीबीआई जांच को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले लिया था ऐसा इसलिए लिया था क्योंकि चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी से गठबंधन का रिश्ता तोड़ लिया था लेकिन यह रोक अधिक दिन तक नहीं चल पाए क्योंकि पिछले वर्ष इस राज्य के नए मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने फिर से सीबीआई को राज्य में जांच के अनुमति दे दी है |
आप सभी को जानकारी होनी चाहिए किन इन राज्यों के साथ ही नागालैंड, सिक्किम और मिजोरम जैसे राज्यों ने भी पहले CBI जाँच की अनुमति वापस ले चुके है लेकिन अब इन राज्यों में CBI जाँच की अनुमति है |
2017 की रिपोर्ट के अनुसार टोटल 1200 केस पेंडिंग में है जून 2014 से जून 2017 तक 791 केस मिले हैं औसतन 263 केस 1 साल के अंदर हल किया है |
CBI के अधिकारी आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच में ही विवाद हो गया जैसे आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना पर एक व्यापारी से 3 करोड़ का रिश्वत लेने का आरोप लगाया है इसके तुरंत बाद राकेश अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर 2 करोड रुपए का रिश्वत लेने का आरोप लगाया है इस विवाद के बाद जो बदनामी सीबीआई की हुई है पूरा विश्व का ध्यान इसी पर बना हुआ है |
वैकेंसी खाली : टोटल पोस्ट 7274 होने चाहिए इस समय 5685 है खाली 1589 लगभग 22% पद खाली पड़े हुए है |
पावर की बात की जाए तो सीबीआई को पावर CAG ( नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ) और चुनाव आयोग की तरह कानून के बराबर दर्जा दिया गया है|
सुप्रीम कोर्ट वर्डिक्ट 2013 के अनुसार कोर्ट ने सरकार से ये वचन मांगा था कि वह संगठन को अधिक से अधिक अधिकार प्रदान करेगी लेकिन सच्चाई तो यह है कि कोई भी सरकार इसे एक पेशेवर जांच एजेंसी के रूप में कार्य करने की स्वतंत्रता देने के लिए तैयार ही नहीं है
कार्यकाल की बात किया जाए तो इस समय के कानून के अनुसार निदेशक का कार्यकाल 2 साल का होता लेकिन बढ़ाकर 3 वर्ष करने की मांग की जा रही है |
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