दुनिया के सबसे खुबसूरत हिमनद पर संकट : मिलम गलेशियर

 



दुनिया के सबसे खुबसूरत हिमनद पर संकट : मिलम गलेशियर 

दुनिया के सबसे खुबसूरत हिमनदों में से एक है मिलम हिमनद जो समुन्द्र तल से करीब 4250 मीटर की उचाई पर  स्थित  है इस गलेशियर  का नाम 3 किलो मीटर दुर एक गाँव मिलम के नाम पर रखा गया है मिलम हिमनद से दुर प्राचीन समय में मिलम गाँव पिथौरागढ़ जिले  का सबसे अधिक जनसंख्या  वाला गाँव था लेकिन वर्तमान समय में इसकी आबादी लगभग शून्य हो गई है 

लेकिन विश्व के प्रसिद्ध  हिमनद मिलम के कारण इसका महत्व अभी भी कायम है काली नदी की एक सहायक नदी मिलम गलेशियर से ही शुरू होती है 37 किलो मीटर वर्ग में फैला यह गलेशियर कुमाऊ भाग का सबसे बड़ा गलेशियर है मिलम गलेशियर गौरी गंगा नदी का स्त्रोत भी है 

अभी तक यहाँ पहुचने के लिए पैदल यात्रा  के रूप में झरने , गाँव , जंगल के रास्ते होकर जाना पड़ता है मिलम गलेशियर को वर्ष 1994 में फिर से खोला गया क्योकि इसे 1962 में भारत चीन युद्ध के समय बंद कर दिया गया था यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई के मध्य तक का होता है क्योकि जून से ही भूस्खलन  के कारण ही कई अन्य  समस्याए पैदा होने लगती है मिलम से तिब्बत  बोर्डर की दुरी करीब 40 किलो  मीटर है |

संकट  : 2017 की रिपोर्ट में एक खुलासा हुआ था की इसकी ट्रेकिंग पर गए लोगो ने बताया की पहले बर्फ की रेखा गांव से मात्र 1 किलो मीटर की दुरी पर  था पर अब वह गाँव से 3 किलो मीटर की दुरी पर पहुच गया है इसका मतलब यह है की गलेशियर लगातार पीछे खिसक  रहा है गाँव के लोगो ने बताया  की बर्फ की लाइन पिछले 10 वर्षो से तेजी से खिसका रहा है 

लेकिन  वैज्ञानिको का मानना है की जहा तक बर्फ लाइन की बात है तो यह मौसम के उपर  निर्भर करता है जिस मौसम में बर्फ़बारी ज्यादा होती है  तो यह लाइन गाँव  के पास दिखती है 7 लोगो की टीम ने बताया की मिलम गलेशियर पर उसी प्रकार का संकट है जैसा अन्य  गलेशियर पर  है वही जीबी पन्त हिमालय पर्यावरण एंव  विकास संस्थान  के वैज्ञानिको का कहना है की इसके पीछे खिसकने की दर 17 से 18 मीटर प्रति वर्ष होती है 

इसके पीछे खिसकने के कुछ प्राकृतिक  तो कुछ  मानव निर्मित कारण  भी है जैसे पृथ्वी का तापमान बढना सबसे बड़ा कारण है , प्रदुषण , इन स्थानों पर इंसानों का लगातार बढना |

आज भारत और नेपाल के मध्य रोड को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है एक तरफ नेपाल सरकार व् नेपाल की जनता का कहना हा इक  भारत ने हामारी जमीं पर रोड बना  लिया है तो वही भारत सरकार की ओर से लगातार सफ्फैल डी जा रही है की रोड भारतीय सिम्म के अंदर बाण हुआ है लेकिन विवाद इतना अधिक बढ़ गया है की कम होने का नाम ही नहीं ले रा है सी सब के ब्बिच एक और रोद के बारे में जानकारी आ रही है की आने वाले 2021 में भारत देश और चीन को एक और रोड मिल जाएगा जो दोनों देशो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा राह है 

यह रोड उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा तक पहुच्च्ने में आसानी साबित होगी और इसी तरह मनुस्यारी से भी बॉर्डर तक रोड का निर्माण किया जा राह है वर्ष 2008 से शुरू यह रोड 2021 तक पूरा हो जायेगा क्योकि अभी तक ८०% काम ही पूरा हुआ है और बाकी कार्य जल्द ही पिउरा कर लिया जायेगा सड़क के बन जाने के बाद विश्व प्रशिद मिलम गलेश्यर तक वाहन से पंहुचा जा सकेगा क्योकि अभी पर्यटकों को यः [पहुचने के लिए करीब 70 किलो मीटर पैदल चलना पड़ता है तहसील मुनस्यारी से वर्ष 2008 में घापा मिलम रोड निर्माण का काम शुरू हुआ था जो ८० किलोमीटर लंबा यह रोड भी गर्वाधार लिपुलेख रोड की तरह ही बेहद विषम  है अर्थात उची क=उच्चे पहाड़ो को काटना बहुत ही मुशिकिल होता है बॉर्डर रोड ओर्ग. ( BRO ) सड़क का काटन धापा और मिलम दोनों की ओर कर राह हाउ मिलम से 21 किलो मितवे निचे की ओर रोड कटाई के साथ ही ग्वान्खा में पिउल निर्माण का कार्य  भी पूरा हो चुका है और इधर घ्हापा से बोग्दियार तक 38 किलोमीटर सड़क पूरी कर ली गई है अब बिच में सिर्फ 21 किलो मीटर का निर्माण रह गया है BRO ने मार्च 2021 तक इस रोड को पूरा करने का लक्ष्य रख है इस रोड का निर्माण पूरा हो जाने के बाद धारचुला तहसील के साथ ही मंस्यारी तहसील से भी भारत चीन सीमा तक पह्चु आसान हो; जाएगी 

कुछ महत्वपूर्ण बाते : अगर को इ व्यक्ति दिल्ली से शिडे मिलम गलेशिय्र तक जाना चाहता हा तो उसे इन सिथानो से इतनी इतनी कम की दुरी तय करनी होगी जैसे दिल्ली से पिथौरागढ़ 490 किलो मीटर , पिथौरागढ़ से मनुस्यारी 128 किलोमीटर , मंस्यारी से मिलम ८० किलोमीटर  कुल मिलाकर 698 किलो मीटर इसे आप700 मान लीजिये 

क्यों महत्वपूर्ण है मिलम गलेशियर : मिलम खेस्त्र अपने प्राकृतिक नुदर्ता के लिए उरी दिनया में मशहूर है गोरी नहीं का उद्गम मिलम गलेश्यर ही है जो जौल जीवी में भारत नेपाल के बिच सीमा बनाने वाली काली नदी से मिल जाती है मिलम गलेश्यर को देखने के लिए प्रति वर्ष यूरोप के साथ साथ तमाम देशो से विदेशी याह आटे है इस रोड के निर्माण पूरा हो जाने पर यूरोपीय सैलानी मंस्यारी से वहां के माध्यम से सीधे मिलम  पहुच सकेंगे 

भारत चीन व्यापर कितना बढेगा : उत्तराखंड से भारत और चीन के बिच स्थलीय व्यापार होता है वर्तमान में यह व्यापार धारचुला तहसील व्याड्स घाटी से हॉट है व्यपारियो को लिपुलेख दारा को पार कर चीन की व्यापरिक मंदी त्स्क्लाकोट पहुचना होता है व्यापारी भारित्यी सीमा कुंगरी विन्गरी पार कर चीन की ग्यानिमा मंदी पहुचते है धापा मिलम रोड का निर्माण हो जाने के बाद इस सिमाम से भी भारत चीन व्यापार संभव हो गा 



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