हिन्दू -मुस्लिम एकता का प्रतीक : मंदिर - मजार एक साथ (बिहार का खुद्नेश्वर धाम )
बिहार का खुद्नेश्वर धाम मंदिर बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शामिल है यह सिर्फ बिहार का ही नहीं बल्कि पूरे देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग के साथ मजार की पूजा अर्चना की जाती है मान्यता है कि इस मंदिर का नाम मुस्लिम महिला खुदनी बीवी के नाम पर है मंदिर करीब 700 साल पुराना है 14 वी सदी में इस इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था लोग मवेशियों को चराने आते थे खुदनी बीवी नाम की महिला भी अपनी गाय लेकर यहां आती थी
एक दिन गाय चराकर घर लौटी गाय को खूटे में बाधकर जब दूध दुहने का प्रयास करती है तो दूध नहीं निकलता कुछ दिनों तक ऐसा चलता रहा एक दिन गाय चराते समय देखा कि गाय एक निश्चित जगह पर खड़ी होकर थन से दूध गिरा रही थी उसी रात सपने में महादेव आए भगवान ने कहा कि जंगल में जो भी देखा है किसी को ना बताएं लेकिन परिवार को यह बात बता दी
संयोगवश उसी रात में मौत हो गई दफनाने के लिए उसी जगह जंगल में गए जहां गाय अपना दूध गिराया करती थी कब्र को खोदते समय कुदाल शिवलिंग से टकराया और वहां से खून निकलने लगा लोगों ने उस जगह से तीन हाथ दक्षिण में दूसरे कब्र को खोदकर दफन कर दिया
हिंदू - मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने साथ मिलकर यहां पर शिवलिंग के साथ खुदनी बीवी के मजार की पूजा की तब से ही मंदिर का नाम खुद्नेश्वर मंदिर पड़ा
1858 में नरहन स्टेट ने इस मंदिर की नींव रखी तब से अब तक यह मंदिर काफी बदल गया यहां पर शादी उपनयन, मुंडन संस्कार, संहित अन्य मांगलिक कार्य भी होते हैं यहा के लोगों का कहना है कि सच्चे मन से जो भी भक्त भुनेश्वर धाम में पूजा - अर्चना करने के लिए आते है उनकी मनोकामनाएं महादेव आवश्यक पूरा करते हैं............
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