गोलगप्पा और चाट की मजेदार कहानियाँ

 



 गोलगप्पा और चाट की मजेदार कहानियाँ     : मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर शहर में वर्ष 2015 में इन्दौरी जायका के तहत 51 तरह के गोलगप्पे का पानी पेश करके सबसे ज्यादा फ्लेवर पेश करने का विश्व रिकार्ड बनाया गया था अभी पिछले वर्ष 2023 की ही बात है जब जापान देश के प्रधानमंत्री दिल्ली आये थे तो मोदी जी के साथ दिल्ली में   गोलगप्पे    का स्वाद चखा था 

गोलगप्पे को लेकर प्रचलित कहानी : मिली जानकारी के अनुसार महाभारत काल में जब द्रौपदी से इनकी सास कुंती ने पहली बार अपने पतियों के लिए भोजन तैयार करने को कहा  है तो रसोईघर में बची सब्जियों और थोडे से आटे को मिलाकर एक नया स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन बनाया जिससे सभी का पेट भी भर गया और काफी चटपटा भी लगा  इस नए भोजन को आज हम  गोलगप्पा के नाम से जानते है |

इसके साथ ही दूसरी कहानी भी काफी प्रचलित है बताया तो ये जाता है की शाहजहा के शाही रसोई में पहली बार चाट बनाई गई थी ये उस समय की बात है जब शाहजहा ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाई थी इसकी ख़ुशी में नवरोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया और इसमें शाही हकीम शामिल नहीं हुए 



इस पर जब शाहजहां ने अपने दरबारियों से पूछा तो पता चला की शाही हकीम आपसे नाराज है इस पर शाहजहाँ ने कारण जानने की कोशिश की तो पता चला की दिल्ली को राजधानी बनाने से पहले आपने मुझसे एक बार भी नहीं पूछा क्योकि दिल्ली मुगलों के रहने लायक नहीं है क्योकि यमुना का पानी पीने लायक नहीं है और अगर राजधानी रहेगी तो हम लोगो को यमुना का पानी तो पीना ही पडेगा इस बात को सुनकर पूरा मुग़ल साम्राज्य दुखी हो गया की ये तो बड़ी गलती हो गई अब करे तो क्या ही करे 

इस पर शाही हकीम ने उपाय बताया की ज्यादा मिर्च और मसालों के नुकसान से बचने के लिए सभी खाने वाली चीजो में ज्यादा से ज्यादा घी और दही डाला जाए देखते ही देखते चाट खाने वालो ने चाट में मिर्च डालनी शुरू कर दी जबकि मांस खाने वालो ने मसालों की मात्रा काफी बढ़ा दी इस तरह से दिल्ली के सभी भोजन चटपटे और चटकारे हो गए |



इस कहानी पर कई लोग सवाल भी उठाते है की उस समय तो दिल्ली मे मिर्च मिलती ही नहीं थी क्योकि भारत में मिर्च का आगमन तो पुर्तगालियो के साथ ही हुआ था और वो भी पहली बार मुंबई में पहुची थी ना की दिल्ली | जिसे बाद में मराठा शासको ने देश भर फैलाया और इसके साथ ही दिल्ली के यमुना के पानी को कभी पीने की कोशिश ही नहीं की गई क्योकि जिसे आज दिल्ली कहा जाता है पहले इसको शाहजहानाबाद के नाम से जानते थे तो पीने का पानी यहा से लाया जाता था 

आप सभी को  जानकारी  है ही कि दिल्ली वैसे तो मथुरा के साथ राजस्थान के कई बड़े शहरो के काफी करीब है  मथुरा , वृन्दावन/ब्रज में चाट खाने की परंपरा काफी पुरानी रही है राजस्थानी लोग सबसे अधिक मिर्च खाते है और यहाँ के मारवाड़ी दिल्ली में बहुत ही अधिक संख्या में आज भी रहते है हो सकता है की इनके कारण से ही दिल्ली के खानपान में मिर्च का तिखापन आया हो 



चाट शब्द चाटने से बना है जो कभी ढाक के पत्तो से बने दोने में खिलाया जाता है स्वाद ऐसा की लोग अपनी उगलियाँ चाटते रह जाते थे यानी वह चाट ही क्या जो इसे खाने के बाद प्लेट चाटने वाला चटोरा न कहलाये इसी तरह गप्प से खा जाने वाले को गोलगप्पा कहते है | 

आप सभी को जानकारी होगी की पहले चाट में आलू के जगह पर कंदों की चाट बनाई जाती थी जब पुर्तगालियो के द्वारा आलू भारत में लाया गया तो आलू से चाट बनाया जाने लगा जिसे आज हम लोग आलू टिकी या आलू चाट के नाम से जानते है चाट और   गोलगप्पे का सबसे अधिक विकास तब हुआ जब दिल्ली पुरे भारत की राजधानी बनी चाट एक ऐसा डिश है जिसे लोग बाहर जाकर ही खाना पसंद करते है |

आप सभी को जानकर हैरानी होगी की लॉकडाउन के समय सबसे ज्यादा 107% चाट और    गोलगप्पे बनाने की विधिया गूगल और यूट्यूब पर सर्च की गई केटी आचाया द्वारा लिखित  पुस्तक  " द डिक्शनरी ऑफ इन्डियन फ़ूड " के अनुसार चाट की शुरुआत आज से 1000 साल पहले हुई थी जो धार्मिक पुस्तको में वडा या वटाका के नाम से प्रसिद्ध था |

मुंबई की भेल - पूरी चाट पुरे महाराष्ट्र में फेमस है जिसमे से यूपी बिहार का चटपटापन दिखता है  इसके साथ साथ भारत पाकिस्तान के विभाजन  के बाद सिंध से मुबई आये लोगो की याद दिलाती है 

दिल्ली के चाट में लाल नहीं पीसी पीली मिर्च डाली जाती है जबकि देश के अन्य हिस्सों में लाल पीसी हुई मिर्च डाली जाती है |

आज भी   गोलगप्पे के नाम अलग अलग राज्यों अलग अलग शहरो में अलग अलग है जैसे इंदौर शहर में इसे पानी - पताशे कहते है कही पर फुलकी |



 गोलगप्पे के लिए 80 % पानी मटकों में भरा रहता है जिसे करछुल या हाथ डालकर खिलाया जाता है मूल रूप से    गोलगप्पे के पानी के 7 प्रकार होते है लेकिन आपको कई जगहों पर 12 प्रकार के भी मिल जायेंगे 

इसके पानी में जीरा, हिंग ,इमली , मीठा , अदरक , लहसुन जैसे फ्लेवर के नाम से पानी बनाये जाते है समय के अनुसार   गोलगप्पे में आलू के साथ उबाला हुआ मटर डाल कर खिलाया जाता है |

आप सभी को जानकरी के लिए बता दु की इंदौर शहर में एक गाँव है हातोद जहा गाँव के चौराहे पर बहुत ही दुर दुर से लोग    गोलगप्पे खाने आते है और यहाँ आपको हर मौसम में   गोलगप्पे खाने को मिलेगा 

एक्सपर्ट का मानना है की हमारे शरीर को समय समय पर बैलेंस करने के लिए कुछ मसालों की जरूरत होती है जो हमे चाट या   गोलगप्पे के माध्यम से मिलती रहती है लेकिन इसमें केवल जीरा, अजवाइन , हिंग , लौंग जैसे मसाले की बात हो रही है क्योकि ये बदलते मौसम के प्रभाव को कण्ट्रोल करते है क्योकि   गोलगप्पे में सभी गुण होते है जैसे खट्टापन  , मीठा , तीखापन  के साथ साथ चटपटा और ये सभी एक ही साथ मुख में विस्फोट करते है इसलिए   गोलगप्पे का एक नाम विस्फोटक भी है |



इसमें प्रयोग होने वाले मसालों से कफ,पित्त और वात जैसी बीमारियों में बहुत ही फायदा मिलता है जैसे जलजीरा को   गोलगप्पे का पूर्वज मान जाता है जल जीरा जो आपके पाचन शक्ति को बढाता है इसके साथ ही गर्भवती माओ को ज्यादा पेट फूलने पर जलजीरा का पानी देंने की सलाह दिया जाता है और खाने के बाद लोग पैसा वसूल के नाम पर इसके पानी को पीना नहीं भूलते है |

तो इस तरह से देखा जाये तो मुंबई की भेल - पूरी , बंगाल की झाल - मुड़ी , उत्तर प्रदेश की सफ़ेद मटर , दक्षिण भारत से चलकर दिल्ली पहुची दही भल्ले , कांजी वडे , राजस्थान की पापड़ी सब ने मिलाकर भारत देश को चाट और गोलगप्पा का जायका देश बनाया है जो मिलता पूरे देशभर में है बस स्वाद का अंतर है ...........


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