देश की नागरिकता vs नेपाली नागरिकता
नागरिकता शब्द एक स्वतंत्र देश द्वारा मान्यता प्राप्त व्यक्ति की कानूनी स्थिति को प्रदर्शित करता और नागरिकता प्रमाण पत्र एक व्यक्ति की राज्य की सदस्यता का भी पहचान कराता है जिसे अपने मातृभूमि के लिए हमेशा देशभक्ति दिखानी पड़ती है यह नागरिकों को अधिकारों का आनंद लेने के साथ साथ संविधान द्वारा निर्धारित अपने देश के कर्तव्यों को पूरा करने की भी अनुमति देता है
आप सभी एक बार ध्यान से सोचे की नागरिकता शब्द का विचार पहली बार कहां से आया होगा ?
नेपाल या भारत , अमेरिका या फिर चीन पर इसका तो जवाब ग्रीस के प्राचीन शहर और राज्यों से विकसित हुआ था जो एक स्वतंत्र व्यक्ति बनने की लाइसेंस हुआ करता था जो अपनेपन और एकता की भावनाओं की पेशकश भी करता था क्योंकि जिनके पास ये नागरिकता नहीं होती थी वह सभी गुलामी जैसा जीवन गुजारने पर मजबूर रहते थे जैसे आज हर देश में नागरिकता को लेकर विवाद शुरू हो चुका है
लिखित इतिहासों में कई बार जिक्र भी होता है और देखा भी गया है कि एक विजयी राज्य पराजित लोगों की पूरी आबादी को ही गुलाम बना लेता है इसलिए सभी नागरिक अपनी नागरिकता को बनाए रखने के लिए हमला करने वालों के खिलाफ दांतों और नाखूनों से लड़ते रहते थे और आज इस नागरिकता के लिए चुनाव के साथ-साथ अन्य कई माध्यमों से यह तय किया जाता की यह व्यक्ति इस देश का नागरिक है या फिर विदेशी ?
दुनिया भर के साथ अन्य देशों की तरह ही नेपाल देश में भी करोड़ों ऐसे बच्चे है जो नागरिकता के अभाव में अपने जीवन को सड़को और गलियों में गुजरने पर मजबूर है
इसके कई कारण है ;
ये बच्चे या तो अनाथ है या इनके माता पिता के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है या ये ऐसे बच्चे है जो सड़को पर रहने वाले माता पिता से पैदा हुए है
आंकड़े: इस क्षेत्र में काम करने वाले कुछ एनजीओ संगठनों के अनुसार नेपाल देश ने लगभग 5 से 8000 ऐसे बच्चे है जो अपना जीवन सड़को पर बीता रहे है और इस संख्या को प्रमाणित करने के लिए सरकार के पास कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है इसलिए इस संख्या को कम ना माना जाए एक सच्चाई तो ये भी है की अनाथ या जिन बच्चों के माता पिता बच्चो को सड़को पर छोड़ देते है उनके लिए नेपाल में स्पष्ट कानून ही नही है समस्या अधिक होते देख सरकार ने अब बच्चो के माता पिता का पता लगाने की लगातार कोशिश कर रही है और बच्चो को लगातार घर भेज रही है इन कार्यों में सबसे अधिक योगदान नेपाल में कार्य कर रही हजारों गैर सरकारी संस्थाओं का भी है
नेपाली संविधान : दुनिया के हर देशों की संविधान की तरह ही नेपाल के संविधान ने भी लोगो के जन्म और नागरिकता का अधिकार को सुनिश्चित किया है जिसमे स्पष्ट शब्दों में लिखा है की बच्चो को माता पिता के नागरिकता के आधार पर नागरिकता दिया जायेगा
आर्टिकल 11.4 : जिन बच्चों के माता या पिता अज्ञात है वे सभ्य बनकर नागरिकता प्राप्त करने के योग्य होंगे तभी वे इस बात का प्रमाण दे सकते है की वास्वत में ही इनके माता पिता अज्ञात है
इसके साथ ही ऐसे लोगो की नागरिकता के लिए नियम तो ये कहता है की आवेदक के पास कानूनी अभिभावक , पालने पोसने वाले माता पिता या अनाथ आलय होना चाहिए जिससे ये जानकारी मिल सके की वास्तव में ही इनके माता पिता अज्ञात है लेकिन सबसे गड़बड़ तो ये है की सड़को पर रहने वाले बच्चों के लिए कुछ भी नही कहा गया है इस लिए लाख कोशिश करने के बाद भी आज तक इनको नागरिकता नहीं मिल सकी है जबकि ये है तो नेपाल देश के बच्चे ..
उदाहरण के रूप में नेपाल देश के ललितपुर जिले की रहने वाली एक मां ने अपने नाम के माध्यम से अपनी बेटियो को नागरिकता प्रमाण पत्र दिलाने की कोशिश की लेकिन मुख्य जिला अधिकारी ने कानून बनने तक इंतजार करने के लिए कहा है
नियम तो इस बात को लेकर भी होनी चाहिए की जब नेपाल का कोई व्यक्ति विदेशी महिला से शादी करता है तो वह तुरंत नेपाली नागरिकता प्राप्त कर लेती है लेकिन एक नेपाली महिला जब विदेशी व्यक्ति से शादी करती है तो उस पर ये नियम ही लागू नहीं होता है मिली जानकारी के अनुसार 2009 से 2017 के बीच केवल 13 लोगो को ही प्राकृतिक नागरिकता प्रमाण पत्र गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है
नागरिकता के ना होने पर नुकसान :
सबसे जरूरी व महत्वपूर्ण बात की व्यक्ति अपना बहुमूल्य वोट नही दे सकता है
बैंक अकाउंट नहीं खोल सकता है
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आप आवेदन तक नहीं कर सकते है ,
ना जमीन खरीद सकते है और ना ही बेच सकते है ,
सरकारी परीक्षा और कई प्राइवेट जॉब नही कर सकते है
विवाह, जन्म मरण का पंजीकरण नही हो सकता है राज्य सरकार के माध्यम से मिलने वाले सभी सामांजिक आर्थिक और राजनीतिक लाभ से आप को दूर रखा जायेगा आप हमेशा संदिग्ध की लिस्ट में बने रहेंगे जैसे कोई दंगा फसाद चोरी रेप या सरकार का विरोध करने पर कभी भी अरेस्ट हो सकते है
जैसे नेपाल देश के काठमांडू घाटी में एक रेस्त्रां में काम करने वाले ताम्रकार का कहना है की उसे हर छोटी से छोटी चीज के लिए अपने दोस्तो पर निर्भर रहना पड़ता है चाहे बैंक खाता खोलना या उसे यूज करना हो यह तक की मुझे अपने वेतन प्राप्त करने के लिए भी अपने दोस्तो के बैंक खाते का इस्तेमाल करना पड़ता है और ना ही अपने नाम से कोई व्यवसाय खोल सकता हु
2012 में नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने सबीना दलाई बनाम नेपाल सरकार पर एक इतिहासिक फैसला सुनाया था मामला था दोखला की निवासी दलाई अपनी मां के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश कर रही थी लेकिन जिला प्रशासन कार्यालय उनके आवेदन को बार बार रद्द कर दे रहा था अदालत ने दलाई के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा की नागरिकता प्रमाण पत्र मां के माध्यम से उन मामलों में प्रदान किया जाना चाहिए जहा बच्चा नेपाल में एक नेपाली मां के पास पैदा होता है और पिता का पता नही लगाया जा सकता है और कोर्ट ने भी माना की कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया है नेपाल देश में ही गुरुंग वह कार्यकर्ता है जिन्होने 2015 में महिलाओं के लिए एक समान नागरिक अधिकारों की वकालत करने के लिए अपन जीवन पूरी तरह समर्पित करने के लिए नौकरी ही छोड़ दिया इनके साथ भी दलाई लामा जैसा ही हुआ था कई लोगो ने तो ये भी कहा की जब सरकार को किसी विदेशी महिला को नागरिकता देने में कोई समस्या नहीं है तो फिर अपने ही देश की महिलाओं के साथ सरकार ऐसा क्यों कर रही है ?
अभी एक पाकिस्तानी महिला को मात्र एक महीने के अंदर नेपाल देश की नागरिकता प्रदान कर दिया गया है
संस्था : इन बच्चो को मदद के लिए नेपाल में एक अनाथ फंड का भी निर्माण किया गया है जिसका उद्देश्य इन बच्चो को शोषण से बचाना , शिक्षा दिलाना , नागरिकता प्रमाण पत्र दिलाना , और देश के साथ साथ पूरी दुनिया के विकास में भागीदार बनाना है
सच्चाई तो ये है को नेपाल देश के अनाथलायो में अधिकतर बच्चे अनाथ नही है कुछ बच्चे ऐसे भी जिन्हें आर्थिक कारणों से उनके माता पिता ने अनाथ आलय में छोड़ दिया है कुछ को तो सामाजिक दबाव के कारण तो वही नेपाल में आर्थिक लाभ के लिए बच्चो का शोषण करने वाले बेईमान व्यक्तियों का नेपाल में एक मजबूत इतिहास रहा है
मैने यहां पर कई माध्यमों से जानकारी इकट्ठा की है मेरा कोई उद्देश्य नहीं है की नेपाल देश की कमियां निकालना बल्कि यह बताना की नेपाल देश में बच्चो के खिलाफ सरकार और अन्य लोग क्या क्या कर रहे है एक सर्वे के अनुसार नेपाल देश में 26 लाख से अधिक बच्चे जिनकी उम्र 5 से 17 वर्ष के मध्य होगी जो काम करने पर मजबूर है और इन बच्चो का अपना कोई जीवन नही दिखाई दे रहा है यूनिसेफ के रिपोर्ट के अनुसार नेपाल देश में 5 से 14 वर्ष के बीच 34% बच्चे बाल मजदूरी का काम करते है हनुमान( मानव) तस्करी नेपाल में एक बहुत ही बड़ी समस्या है जिसमे बच्चो को बधुआ मजदूरी के रूप मे बेचा जाता है बच्चो के साथ ही लड़कियों और महिलाओं को भी यौन शौषण के लिए बेचा जाता है तस्करी के ये आंकड़े आप सभी को हैरान कर देंगे
एक अनुमान के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष 7000 नेपाली लड़कियों को सेक्स वर्कर के रूप में काम करने के लिए भेजा जाता है और करीब 2 लाख नेपाली महिलाएं वर्तमान में भारत देश में सेक्स वर्कर का काम करती है यदि आप मानते है की नेपाल की कुल जनसंख्या 3 करोड़ है तो प्रति 100 में से 1 लड़की इन कामों में फसी हुई है
समाधान : नेपाल देश ने सभी समस्याओं को देखते हुए समाधान की उम्मीद की जा सकती है और यह भी समझना होगा कि नेपाल सरकार राजनीतिक परिवर्तन में फंस गई है और सरकार एक अस्थाई रूप में कार्य कर रही है और नागरिकता के लिए तुरंत संशोधन करना ही होगा तभी लोगो को नागरिकता का असली मजा मिल पाएगा |
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