कौन था PAK का पहला नागरिक ?
आज जब भारत देश अपनी नागरिकता के सवाल पर उलझा है की कौन भारत का नागरिक है और कौन भारत का नागरिक नहीं है तो इस सवाल पर पड़ोसी देश पाकिस्तान की उलझन भारत से कहीं ज्यादा जटिल और हास्यास्पद लग रही है
जैसे अगर कोई कहे कि पाकिस्तान का पहला नागरिक मोहम्मद बिन कासिम था तो सवाल यह भी बनता है कि जो देश 15 अगस्त 1947 में अस्तित्व में आया उस देश का पहला नागरिक आठवीं शताब्दी का एक आक्रांता ( योद्धा) कैसे हो सकता है ?
इस प्रश्न को लेकर कुछ प्रोफ़ेसर ने अपनी किताबो में जवाब देने की कोशिश की है लेकीन पूरी तरह कोई भी स्पष्ट अभी तक नहीं कर सका है
सबसे पहले एक सैधांतिक रूप से एक बात हमेशा से ही कही जाती है कि हिंदू- मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र है और एक साथ नहीं रह सकते है पर 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद यह भी साबित हो गया कि राष्ट्र केवल धर्म के आधार पर नहीं बनता और फिर इस भ्रम को दूर करने के लिए व्याख्या करने की जरूरत महसूस की जाने लगी
पाकिस्तान सरकार की ओर से जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में बुद्धजीवियो का एक समूह बनाया गया खास बात यह भी थी कि इस समूह में कोई इस्लामी विद्वान शामिल नहीं किया गया था
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुटटो के शासन काल में ही पाकिस्तान के विश्वविद्यालय में अध्ययन विभाग की स्थापना की गई थी इन विभागों का मुख्य काम पाकिस्तान और इस्लाम के रिश्तों और एक राष्ट्र राज्य के रूप में पाकिस्तान की वैधता के तर्कों को रेखांकित करना था
आप सभी को जानकर हैरानी होगी की जब आजादी के बाद भारत देश का इतिहास क्रमबद्ध तरीके से लिखा जा रहा था तो उसी समय पाकिस्तान में भी इस पर काम शुरू किया गया था और इस बीच में कई लेखक जानकारी साझा करने के लिए पाकिस्तान भी गए तो बात इस बात पर आकर रुक गई की पाकिस्तान का इतिहास कब से लिखना शुरू किया जाये जैसे क्या 15 अगस्त 1947 से या जब पहली बार मोहम्मद बिन कासिम भारत आया था क्योकि उस समय तो ईरान सीमा तक भारत की सीमा लगती थी तो ऐसे में कोई हल निकलना आसान नहीं था
क्योकि अगर 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का जन्म दिन माना जाये तो फिर मोहनजोदड़ो और तक्षशिला से पाकिस्तान के रिश्ते क्या होंगे ?
पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र के स्वर्णिम युग के निर्माता रणजीत सिंह इनके इतिहास के अंग होंगे या नहीं ?
ऐसे ही हजारो प्रश्न इन लेखको के थे जो भारत से पाकिस्तान इस पर विचार विमर्श करने गए थे और पाकिस्तान के लेखको को सही तो ये लगा की इन प्रश्नों के ढूढने में समय और ऊर्जा की बर्बादी ही होगी इससे अच्छा है की इसको नजरअंदाज ही कर दिया जाए
इसी तरह मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 711 ई या कुछ अन्य जगहों पर वर्ष 712 में बगदाद के खलीफा के आदेश पर अपने लश्कर के साथ सिंध और मुल्तान क्षेत्र पर चढ़ाई करके राजा दाहिर को हराने वाला मोहम्मद बिन कासिम ही था
इतिहास लेखन की तत्कालीन सीमाओं के कारण वास्तविकता और मिथक की मिली जुली निर्मित परिभाषाये है
इस घटना की जानकारी जब बगदाद के गवर्नर हजाज बिन युसूफ के पास पहुंची तो उसने रक्षा में विफल राजा दाहिर को सजा देने के लिए अपने सबसे महान सिपह - सालार मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में एक सेना भेजी
उस समय मोहम्मद बिन कासिम की उम्र मात्र 17 से 18 वर्ष ही रही होगी इसने अपने सैन्य क्षमता के बल पर राजा दाहिर को हरा दिया और भारत में पहली बार मुस्लिम राज की नींव रखी
3. एक पुस्तक भी इसके ऊपर लिखी गई है " द व्हाइट मैन्स बर्डन " में भी कहा गया है कि पीड़ित मुस्लिम औरतों की मदद करना और डाकू को सजा देना ही इन मुस्लिम शासको का फर्ज था
लेकिन वही कई प्रोफेसर इसको लेकर सवाल भी करते है की जब ये महिलाए हज करने जा रही थी और इनके साथ अत्याचार हुआ था और मोहम्मद बिन कासिम का राजा दाहिर हो हराने के बीच का समय अन्तराल कम से कम 10 वर्ष का है तो फिर ये कैसे माना जा सकता है जबकि इस बात के पक्के सबूत मौजूद है
4. खलीफा अली के बहुत से समर्थक इनके मरने के बाद शासको के दमन से बचने के लिए सिंध क्षेत्रो में भागना सही समझा इसलिए पूरी तैयारी के साथ बहुत से लोग आये थे और इन्ही को पकड़ने के लिए खलीफा ने मोहम्मद बिन कासिम को इस सिधं क्षेत्रो में भेजा था और इसी कारण से ही मुहम्मद बिन कासिम पूरी सेना के साथ आया था
5.खलीफा ने कासिम से भारत देश से भैस की खाल में सिल्वा ( कीमती दवा ) लाने के लिए भारत में भेजा था
अब इन 5 तर्कों से आपको स्वयं ही निष्कर्ष निकालना होगा क्योकि पाकिस्तानी लेखक और इतिहासकर इस प्रश्न पर बात करना ही बंद कर दिया है
जैसे जब राजा दाहिर जब पराजित हो गया तो इनकी बेटिया जब खलीफा के सामने पेश की गई तो इन्होंने अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने के लिए झूटी शिकायत कर दी की कासिम ने उनके साथ बदसलूकी की है
इसके साथ ही वर्ष 1971 में बंगलादेश बनने के बाद 1975 में कराची में ही पहली बार पाकिस्तान एजुकेशन काउंसिल की बैठक हुई और गंभीरता से पाठ्यक्रम पर विचार किया गया और इस बैठक में ही ये तय होता है की पकिस्तान का इतिहास मुस्लिम का सिंध पर विजय से शुरू होता है ..............
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