धारा 144 और कर्फ्यू में सबसे बड़ा अंतर
भारत देश में ऐसा कभी नही होता है कि किसी राज्य में या किसी राज्य के जिले में धारा 144 या कर्फ्यू न लागू हो चाहे वो उत्तर भारत की बात हो या पूर्वोत्तर भारत की अक्सर इन शब्दों को हम सभी चुनावों के समय कुछ ज्यादा ही सुनते है क्योकि तभी इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है ऐसे में हमे इन दोनों शब्दों के मतलब और अंतर को अच्छे से समझना ही चाहिए
धारा 144 :- CRPC ( कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीज़र ) के अनुसार धारा 144 का भारत में पहली बार इस्तेमाल वर्ष 1861 में बडौदा राज्य में किया गया था इस धारा के जनक के रूप में राज रत्न इएफ देबू को माना जाता है
नियम के अनुसार 4 या इससे अधिक लोग एक साथ कही पर भी इक्कठा नहीं हो सकते है
कारण :- 1. समाज में शांति स्थापित करने व सुरक्षा सम्बन्धी खतरे और दंगे की आशंका होने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है
2. इंटरनेट सेवाओ के साथ साथ उस इलाके में कोई भी हथियार नहीं ले जाया का सकता है यहाँ तक कोई भी भ्रामक कार्य नहीं कर सकते है
3. धारा 144 लागू करने और इसे ख़त्म करने का अधिकार जिले के जिलाधिकारी के पास होता है और यह अपने स्वयं विवेक के आधार पर इसको लागू करता है
धारा 144 और कर्फ्यू में अंतर :-
1.कर्फ्यू के तहत उस इलाके के लोगो को कुछ समय के लिए अपने अपने घरो में रहने के लिये कहा जाता है इसमें स्कूल , कालेज ,मार्किट सब बंद रहते है केवल जरुरी सेवाओं को जारी रखने की अनुमति होती है उस इलाके की ट्रैफिक को भी पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है
2. धारा 144 के तहत सबसे बड़ी बात ये होती है कि इसमें ऊपर के दिए गये सभी संस्था पूरी तरह से चालू रहती है लेकिन कही पर भी 4 या 4 से अधिक लोग एक साथ नहीं हो सकते है और कोई भी हथियार नहीं रख सकते है
3.समय समय पर इन धाराओ को लगाने को लेकर विरोध भी देखा गया है की धारा 144 का सबसे ज्यादा तो गलत इस्तेमाल करने के लिए ही लगाया जाता है जैसे कही पर सार्वजनिक प्रदर्शन और शन्ति के साथ कोई मार्च निकाला जाना हो तो सरकार कुछ ही घंटे पहले उसी इलाके में धारा 144 को कानून व्यवस्था बिगड़ने के नाम पर इसे लागू कर देती है जबकि एक लोकतान्त्रिक देश में विरोध करना, अपनी बात को रखना , उसके लिए सामाजिक जागरूकता फैलाना , एक क़ानूनी अधिकार होता है
4.भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जब प्रशासन को आभास हो कि दंगा - फसाद या कुछ असमाजिक तत्वों के माध्यम से कुछ गड़बड़ होने वाली है तो ही इन दोनों धाराओ का इस्तेमाल कर सकती है अन्यथा की स्थिति में कभी भी नहीं |
5.आपातकाल के समय तो अपने आप ही ये दो धाराए लागू हो जाती है
6.नागरिकता अधिनियम कानून लागू करने के दौरान किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के समय तो उत्तर प्रदेश में सभी जिलो में धारा 144 लागू किया गया था इस तरह से देखा जाये तो करीब 20 करोड़ आबादी को अपने किसी भी मुद्दों पर विरोध करने का अधिकार ही नहीं रह गया था
7.कई सर्वो से पता भी चला है कि इन्टरनेट के कारण से दंगा फसाद उतना नहीं होता है जितना आपसी भेदभाव के बढ़ जाने से होता है क्योकि जहर तो पहले से घुला होता है जरूरत तो बस एक आग की होती है और सबसे बड़ी बात तो ये हो जाती है कि इन्टरनेट बंद करने से और हालात खंराब होने लगता है क्योकि इससे उस प्रभावित इलाके के साथ अन्य लोग भी इससे प्रभावित होने लगते है
8. इन दोनों ही धाराओ का अधिक इस्तेमाल करने से समाज के साथ साथ देश और दुनिया में इसका गलत सन्देश जाता है जिसका प्रभाव हमारे देश के विकास पर सीधे सीधे पड़ता है
9.आप सभी को जानकारी भी होगी की इसके कारण से ही भारत में सबसे अधिक इन्टरनेट को बंद करने के मामले सामने आते है .................
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