दुनिया में लापता होती महिलाये :
भारत और चीन सिर्फ दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश ही नहीं हैं, बल्कि महिलाओं और बच्चों के गायब होने के मामले में भी सबसे आगे हैं दुनिया भर के देशों में जितनी महिलाएं गायब हो रही हैं इसका 90% इन दो देशों से ही है भारत की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा महिलाएं मध्य प्रदेश से गायब और बच्चों की तस्करी के मामले में राजस्थान का जयपुर सबसे आगे है
हाल ही में सेंट्रल होम मिनिस्ट्री और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संसद में लड़कियों, महिलाओं और बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट पेश की इसमें बताया गया कि पिछले 3 साल अर्थात 2019 से 21 तक 13 लाख से अधिक लड़कियां ,महिलाएं और बच्चे लापता हुए इसमें 18 साल से ऊपर की 10.6 लाख महिलाएं और इससे कम उम्र की 2.5 लाख लड़कियां थीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, महिलाओं के गायब होने के मामले में मध्यप्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है
वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली पहले स्थान पर है इसी तरह बच्चों की तस्करी की सबसे अधिक घटनाएं यूपी में हो रही हैं। तस्करी के मामले में दिल्ली, बिहार और आंध्र प्रदेश भी टॉप पर हैं। दिल्ली में कोविड-19 से पहले के मुकाबले महामारी के बाद बाल तस्करी के मामलों में 68% की बढ़ोतरी दर्ज
2016 से 2022 के बीच तस्करी को लेकर एक NGOकी रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के लिए देश के सबसे अनसेफ जिले की बात करें तो राजस्थान की राजधानी जयपुर बच्चों की तस्करी के मामले में सबसे आगे है इस तरह सेकेंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक पिछले 5 साल में देश भर में 2.75 लाख से ज्यादा बच्चे गुम हुए लापता बच्चों में 2.12 लाख लड़कियां, लड़कियों के गायब होने के मामले लड़कों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हैं
लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 से जून 2023 तक कुल 275125 बच्चे गायब हुए जिनमें से 2.4 लाख बच्चों को ढूंढ निकाला गया इनमें भी 1.73 लाख लड़कियां हैंदिल्ली में 2019 से 21 के बीच करीब 83 हजार महिलाएं और लड़कियां गायब हुईं जबकि 61 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यप्रदेश में गायब हुए रिपोर्ट के मुताबिक, 7 राज्यों- मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बच्चे गायब होते हैं इन राज्यों में गायब हुए कुल बच्चों की संख्या 2.14 लाख है यानी कुल लापता बच्चों में से 78% तो इन्हीं सात राज्यों के हैं
तीन साल पहले एक चौंकाने वाला आंकड़ा जून में UN पॉपुलेशन फंड की ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2020' पर एक रिपोर्ट आई थी इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 से लेकर 2020 के बीच दुनियाभर में 14.26 करोड़ महिलाएं लापता हुई थीं इनमें से 4.58 करोड़ महिलाएं अकेले भारत में लापता ये आंकड़ा चीन के बाद सबसे ज्यादा चीन में इस दौरान 7.23 करोड़ महिलाएं लापता हुईं इतना ही नहीं हर साल दुनियाभर में 12 लाख बच्चियां पैदा होते ही लापता हो जाती हैं इनमें 90 से 95% अकेले चीन और भारत में होती है कहने का मतलब है कि भारत और चीन से दुनिया में कुल लापता होने वाली महिलाओं की 90-95 फीसदी महिलाएं हैं
पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य सुधीर सिन्हा के मुताबिक, बच्चों, लड़कियों और महिलाओं को एक राज्य से दूसरे राज्यों में भेजा जाता है और वेश्यावृत्ति, भीख, मजदूरी सहित कई तरह के काम के लिए मजबूर किया जाता है इसकी वजह पुलिस सिस्टम का गुमशुदगी के मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना और ऐसे मामले हत्या से भी ज्यादा गंभीर हैं भेदभाव से हर साल 12 से 15 लाख बच्चियां लापता हो रहीं,
2013 से 2017 के बीच भारत में करीब 4.60 लाख बच्चियां हर साल जन्म के समय लापता हो गईं प्रसव के पहले या प्रसव के बाद लिंग निर्धारण के कारण लापता लडकियों की संख्या भी इस रिपोर्ट में शामिल है भारत 'एंटी वुमन' देशों की लिस्ट में टॉप पर, इस लिस्ट में अमेरिका और ज्यादातर मुस्लिम देश शामिल,
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट में भारत को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर रखा था यानी भारत का नाम दुनिया में उन देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर था, जो एंटी-वुमन थे दो साल पहले आई एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में हर साल 2 लाख से ज्यादा बच्चियों को या तो जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या फिर इन्हें 5 साल तक की उम्र भी नसीब नहीं होती2015,16 में हुए
चौथे नेशनल फैमिल हेल्थ सर्वे में 31.1% शादीशुदा महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार हिंसा का शिकार जरूर होती हैं। इसी साल एक प्राइवेट एजेंसी के सर्वे में भी सामने आया कि 80% कामकाजी महिलाओं पर पति अत्याचार करते हैं सरकार एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का डेटा बताता है कि हर साल 1 लाख से ज्यादा ऐसे मामले दर्ज होते हैं जिनमें महिलाओं पर या तो उनके पति या फिर कोई रिश्तेदार अत्याचार करते हैं सालों पुरानी दहेज प्रथा आज भी चल रही है
दुनिया में भारत ऐसा देश है जहां दहेज न मिलने पर महिला को मार दिया जाता है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 2018 में देशभर में 7277 महिलाओं को दहेज न मिलने पर मार दिया गया यानी हर दिन 20 महिलाएं की मौत हुए लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मार्च से मई के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक स्टडी की थी इसमें 95 महिला राजनेताओं को मेंशन करने वाले 1.14 लाख से ज्यादा ट्वीट का एनालिसिस किया गया इनमें से 13.8% ट्वीट एब्यूसिव लैंग्वेज वाले थे यानी हर दिन 10 हजार से ज्यादा ट्वीट ऐसे किए गए जिनमें महिला राजनेताओं के खिलाफ एब्यूसिव लैंग्वेज लिखी गई देश में पुरुषों की तुलना में कामकाजी महिलाओं की संख्या बहुत ही कम हैं
केंद्र सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक, 2017,18 में देशभर के कामगारों में पुरुषों की संख्या 71.2% और महिलाओं की संख्या 22% थी यानी हर 100 कामगारों में सिर्फ 22 महिलाएं ही हैं इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाजेशन के मुताबिक, देश में एक ही काम के लिए पुरुष कामगारों की तुलना में महिला कामगारों को 34.5% कम तनख्वाह मिलती है जबकि, पाकिस्तान में यही अंतर 34% का है
देश को झकझोरने वाले दिल्ली के निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को कठोर किया गया लेकिन क्या यह कहा जा सकता है कि स्थितियां सुधरी हैं? महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में कोई विशेष कमी आती नहीं दिख रही है ये पहले की ही तरह यौन अपराधियों का शिकार बन रही हैं छेड़छाड़, अपहरण और दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। घरेलू हिंसा के प्रकरण भी कम नहीं हो रहे हैं। इस स्थिति के लिए हमारे समाज के वे लोग ही उत्तरदायी हैं, जो लड़कियों और महिलाओं के प्रति अपनी दूषित मानसिकता का परित्याग नहीं कर पा रहे हैं
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए, उसके बाद पश्चिम बंगाल में। मध्य प्रदेश में 1,60,180 और पश्चिम बंगाल में 1,56,905 महिलाएँ दो वर्षों में लापता हो गईं। राष्ट्रीय राजधानी में 2019 से 2021 के बीच 61,054 महिलाएं और 22,919 लड़कियां लापता हो गईं गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल शुरू की गई हैं।
इन पहलों में यौन अपराधों के खिलाफ आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2018 भी शामिल है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, "किसी भी पुलिस संगठन के लिए किसी लापता व्यक्ति की रिपोर्ट से निपटना एक नियमित घटना है। कुछ लोग दुर्व्यवहार या हिंसा से बचने के लिए लापता हो जाते है कुछ किसी दुर्घटना के कारण । लापता लोगों की कुल संख्या का एक प्रतिशत गंभीर अपराध का शिकार होते है
किसी के गायब होने की रिपोर्ट कैसे दर्ज कराये सबसे पहले पुलिस को सूचित करें और लापता व्यक्ति के बारे में बताएं हालांकि, लापता व्यक्ति को ढूंढने की इस विधि में कई दिन लग सकते हैं और कुछ मामलों में तो महीने भी इस प्रक्रिया में आमतौर पर अंतिम कॉल डेटा रिकॉर्डिंग की जांच करना, यह देखना कि व्यक्ति को आखिरी बार कहां देखा गया थाऔर उनकी तस्वीरें प्रसारित करना शामिल है
यदि पुलिस लापता व्यक्ति को ढूंढने में असमर्थ है तो आप उच्च न्यायालय से संपर्क करें और एक रिट याचिका दायर करें जिसमें अदालत पुलिस को लापता व्यक्ति को ढूंढने में मदद करने का निर्देश देती है इसके साथ आप एक निजी एजेंसी को काम पर रख सकते हैं जो लापता व्यक्ति की तलाश में मदद करते हैंइसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भारतीय माता-पिता बेटी नहीं चाहते गुजरात में पांच साल में 40,000 महिलाओं के लापता होने की खबरों के बीच शिवसेना की पत्रिका सामना के संपादकीय में भगवा दल के शीर्ष नेताओं की जमकर आलोचना की गई है
महाराष्ट्र में महिलाओं के गायब होने की संख्या भी चिंताजनक है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य से हर दिन औसतन 70 महिलाएं गायब हो रही हैं और पिछले तीन महीनों में 5000 महिलाएं गायब हो गई हैं भारत में महिलाओं को वोट देने का अधिकार उसी साल मिल गया जिस साल भारत देश आजाद हुआ था एक औपनिवेशिक राष्ट्र रह चुके भारत के लिए ये एक बड़ी कामयाबी थी लेकिन इसके 75 साल बाद भी आज 2 करोड़ 10 लाख महिलाओं से वोट देने का अधिकार क्यों छिन लिया गया है?
देश के सामने ये एक बड़ा सवाल है लेकिन ये एक हैरान कर देने वाली बात है कि भारत में बहुत सी महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट में है ही नहीं इन महिलाओं की तादाद इतनी है, जितनी श्रीलंका की पूरी आबादी. ग़ायब महिला मतदाताओं में ज़्यादातर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की हैं विश्लेषकों का कहना है कि दो करोड़ से ज़्यादा महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब होने का मतलब है कि भारत के हर निर्वाचन क्षेत्र में औसतन 38 हज़ार महिलाएं वोटर लिस्ट में नहीं हैं
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे ज़्यादा आबादी वाला राज्य है और इस राज्य का चुनावी जीत में अहम योगदान होता है आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश की हर सीट में 80 हज़ार महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट में नहीं है यहां ये जान लेना भी ज़रूरी है कि पांच में से कम से कम एक सीट पर हार-जीत का अंतर 38 हज़ार वोटों से कम होता है मतलब ये कि जिन महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब है, वो कई सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है
एक रिपोर्ट में बात सामने आई है कि भारत में महिलाएं पहले से 6.3 करोड़ कम हो गई इसकी वजह है कि बेटे की चाहत में बेटी को गर्भ में ही मार देना हमने स्त्रियों को भले ही देवी के रूप में मंदिरों में स्थापित कर रखा है या नवरात्रों में कन्या-पूजन का मानक बना रखा है। लेकिन स्त्रियों की वास्तविक स्थिति को हम सिरे से नकार दे रहे हैं। इन लापता लड़कियों में 18 साल से कम और उससे ज्यादा दोनों उम्र की महिलाएं शामिल हैं।
आंकड़ों के अनुसार जहां 2,51,430 लापता लड़कियों की उम्र 18 साल से कम है तो वहीं 10,61,648 लापता महिलाओं की उम्र 18 साल से ज्यादा है राजस्थान जैसे राज्यों में जहाँ महिलाओं की संख्या काफी कम है यहाँ से जबरन शादी की घटनाएं अक्सर सुनाई देती हैं। बिहार, पूर्वोत्तर राज्य और उत्तर प्रदेश से लड़कियाँ कई बार बहला फुसला कर लायी जाती और अनजाने परिवार में जबरदस्ती शादी कर दी जाती है ध्यान देने योग्य यह भी है कि लड़की के परिवार को पता ही नहीं रहता कि लड़की कहाँ गई या क्या हुआ।
ऐसे आंकड़े वास्तव में डराते हैं। गैर सरकारी संस्था क्राई की 2022 की एक रिपोर्ट मानें तो 2021 में सिर्फ राजस्थान और मध्य प्रदेश में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है। कम उम्र की लड़कियों का ऐसे गायब होने का अर्थ बाल अपराध में बढ़ावा भी है। बच्चों से भीख मंगवाने वाला गैंग, इनसे चोरी- डकैती कराने वाले, मासूम बच्चों को चारा बनाकर लोगों को लूटने वाला गैंग हर राज्य में सक्रिय है। ऐसे में लड़कियों की गुमशुदगी हर स्तर पर अपराध को बढ़ावा देती ही नज़र आ रही है।
देश में महिलाओं के लापता होने की एक वजह खराब पुलिस सिस्टम का होना भी है एक ऐसे समय जब हर कोई महिला सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहा है, तब यह तथ्य विचलित करने वाला है कि 2019 से 2021 के बीच या नी मात्र तीन वर्षों में देश भर में 13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं।
गायब होने वाली लड़कियों में अच्छी-खासी संख्या नाबालिग लड़कियों की भी है। इसका मतलब है किनारी सुरक्षा का मामला बहुत ही गंभीर है आखिर इतनी बड़ी संख्या में कहां गायब हो रही हैं? यह वह प्रश्न है, जिसका उत्तर नीति-नियंताओं के साथ ही समाज को भी देना होगा, क्योंकि यह ऐसा मामला नहीं, जिसके लिए केवल सरकारों को कठघरे में खड़ाकर कर्तव्य की इतिश्री करली जाए ।
गायब होती
लड़कियों
और
महिलाओं
के
मामले
में
समाज
भी
उत्तरदायी
है।
हमें अपने अंदर
झांकना
होगा
और
स्वयं
से
यह
प्रश्न
करना
होगा
कि
आखिर
ऐसा
क्यों
हो
रहा
है? इसकी
अनदेखी
नहीं
की
जा
सकती
वैसे ही देश
के
कई
हिस्सों
में
अभी
बालक-बालिकाओं का
अनुपात
संतुलितन
हीं
हुआ
है, क्योंकि
कन्या
भ्रूण
हत्या
का
सिलसिला
कायम
है।
यह
सिलसिला
कानूनों
को कठोर करने के बाद भी कायम है ऐसे में इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है |
Good information but I am very sad because this is the real fact 😞😞😞😞😞
जवाब देंहटाएं😢😢😢😢😢😢😢
जवाब देंहटाएंVery serious content so sad 😢😢😢😢😢😢😢😢
जवाब देंहटाएंMera to Dil hi baith gya etne bade aakde ko dekhkar kaisa samaj ham bana rahe hai 😔😔😔😔😔😔
जवाब देंहटाएंReal fact
जवाब देंहटाएंVery serious thing about Women. Sad to hear this.
जवाब देंहटाएंमैं तो इस विषय को पढ़कर दुखी हु की दोष किसका दिया जाए सरकार का या अपने इस समाज का क्योंकि सरकार तो समाज नहीं बनाती है बल्कि समाज ही सरकार का अपने हिसाब से गठन करती है इसलिए सबसे अधिक गलती सरकार की है इससे कही अधिक गलती हम इंसानों को है जो इंसान होकर जानवरों से बदतर कार्य कर रहे हैं 😔😔😔😔😔😔😔😞😞😞😞
जवाब देंहटाएंsahi kha aapne
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