असुर वेब सीरीज Full Explanation

 


 

Topic: Asur

कहानी वाराणसी से शुरू होती है  वाराणसी दुनियां का सबसे पुराना शहर हैं इसके साथ ही इस शहर का अपना धार्मिक महत्व ही कुछ अलग है ..

 

इस वेब सीरीज के मुख्य कलाकार :

1. शुभ जोशी ( असुर का किरदार ): हमेशा सस्पेंस बना रहेगा की आखिर शुभ जोशी है कौन ?

2.धनंजय राजपूत (DJ)

3.संध्या राजपूत

4.प्रो. निखिल नायर (फोरेंसिक एक्सपर्ट )

5.नैना

6.शशांक अवस्थी ( टीम हेड )

7.नुसरत सईद

8.लोलाक दुबे

9.रसूल मिया : एक टाइम तो ऐसा आएगा जब आपको लगेगा की रसूल मिया ही शुभ जोशी हैं लेकिन सस्पेंस यहां भी

10.केशर भारद्वाज

11. अनंत

12. इशानी चौधरी (लोलाक़ के मौत के बाद सामिल)

 

* क्या है खास इस वेब सीरीज में :

1. Autopsi

2.chemistry का use

3.brain maiping

4. project equilibrium

5.Hindu mithology

6. rudraksha (रुद्राक्ष) की उत्पत्ति

7. AI ka use

8. हमारे द्वारा दी गई जाने वाली जाने अंजाने में छोटी छोटी इनफॉरमेशन का मिसयूज

9. पेसमेकर का हैक होना

10. ग्रहों का हमारे जीवन पर कितना प्रभाव

11.पुराणों , महाभारत और भगवद गीता और वेदों का विस्तार से वर्णन

12.यश सिद्धि ( जो केवल हनुमान जी और गणेश जी के ही पास था )

13.कुछ ऐसे शब्द जो अक्सर हम सुनते और पढ़ते है लेकिन ठीक से समझ नही आते है जैसे : अनिमा, गरिमा , लघिमा ,प्रक्रम

 

* क्यों देखना चाहिए इस वेब सीरीज को :

1.इस वेब सीरीज से आपको पता चलेगा की क्या मृत व्यक्ति भी बात कर सकता है

2. बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी की समझ जिन्हे है उनके लिए तो ये वेब सीरीज एक प्रैक्टिकल की तरह है क्योंकि आपको हमेशा लगेगा की अच्छा ये भी हो सकता है

3. Abusing है लेकिन अन्य वेब सीरीज की तुलना में नही के बराबर है

4.सबसे बड़ा केस DJ की पत्नी संध्या राजपूत का होगा जो इतना दर्दनाक और भयानक है की नॉर्मल लोग देख नही सकते है

5. धर्म को लेकर खुलकर बात की गई है शुरू में तो आपको काफी डरवाना लगेगा लेकिन इंट्रेस्ट बना रहेगा

6.बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि बचपन का व्यवहार पूरे जीवन पर पड़ता है और यही शुभ जोशी के साथ हुआ है

 

*असुर : विष्णु पुराण में देवो और असुरो की उत्पति कैसे हुई विस्तार से चर्चा की गई है हमारे सप्त ऋषियो में सबसे महान ऋषि थे ऋषि कश्यप ।

जिनकी 13 पत्नियां थी इनमे से 2 थी अदिति और दीति, ऋषि का सम्भोग जब अदिति के साथ उत्तम नक्षत्र में हुआ तो अदिति ने गुड़वान व तेजस्वी पुत्रो को जन्म दिया ये सब देखकर दिती ईर्ष्या से जल उठी और दिती ने भी ऋषि के पास जाकर संतान उत्पति की इच्छा जाहिर की लेकिन ऋषि कश्यप ने बताया की अभी ग्रहों की स्थिति पतित और विपरीत है और एक भयंकर घड़ी में दीती का गर्भदान हुआ 

और इस गर्भदान से जो संताने हुई वो अदिति की संतानों से एक दम विपरीत गुणों वाले जैसे घृणा , हिंसा , क्रूरता से भरे  हुए फिर एक समय आया जब देवो और असुरों में युद्ध शुरू हो गया जिसमे असुरों की हार हुई ब्राह्मणों ने अदिति के पुत्रो को स्वर्ग में बसाया जो देवता कहलाए और दिती के पुत्र असुर /

* कलि असुर ( जिस पर यह वेब सीरीज बनी है ) चारो युगों में सबसे शक्तिशाली था क्योंकि मनुष्य का रूप धारण करके इनके बीच में रहता और मनुष्यों से बड़े बड़े  पाप करवाता फिर धर्म और दैत्या आ जाते है और इनके बीच विसासा का युद्ध जिसमे कलि की हार होती है घायल कलि गुफा में छिप जाता और उस समय का इंतजार करता है जब कलयुग में अंधकार अपने चरम सीमा पर होगा तो वह राज करने के लिए बाहर आएगा और फिर विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का जन्म होगा और कलि का अंत करके सतयुग को वापस लायेगा और अगर कल्कि का जन्म नही हुआ तो कलयुग चलता ही जाएगा

 

* असुर vs देवता

* असुर शुरू में अच्छे , सदाचारी और शक्तिशाली थे लेकिन इनकी प्रकृति धीरे धीरे बदलती गई और ये बुराई ,घृणा और शक्ति के दुरुपयोग करने वाले हो गए इसके बाद भी सभी असुर बुरे प्रकृति के नही थे वेदों के अनुसार इंद्र , अग्नि और अन्य वैदिक देवताओं को महान असुरों के रूप में मान सम्मान प्राप्त था

 * शिवपुराण के अनुसार ये देवताओं के विरोधी और सीधे सीधे धमकी देने वाले हो गए

* सुर का अर्थ : कुलीन अर्थात अच्छे विचारों वाला वही असुर का अर्थ : दुष्ट स्वभाव वाला

इसलिए ही असुर अधिक आक्रामक और दुष्ट प्रकृति के लोग थे जो मनुष्यों को मारने और उनके गुणों को नष्ट करने , धार्मिक उत्पीड़न ,जबरन धर्मांतरण करना ( जो आज भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है ) इसलिए ही इन्हे मारने के लिए भगवान को सबसे अधिक बार अवतार लेना पड़ा

  * दुनिया में आज भी हम सभी असुरों को देख सकते है जो विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करके लोगो को परिवर्तित करते है चाहे वो धार्मिक हो या सामाजिक , जो किसी मूर्ख के नाम पर लोगो का सिर काट देते है और अपने आप को सबसे महान समझते है आखिर ये सब क्या है ?

* असुर और सुर ( देव) सौतेले भाई बहन ही तो थे दोनो ही ईश्वरीय संस्थाएं है

* वेदों में असुर उतने क्रूर नहीं है जितने पुराणों में दर्शाया गया है

* एक दिलचस्प बात तो ये भी है की पारसी धर्म में असुर अच्छे प्राणी है और देवता दुष्ट .

* ऋग्वेद में असुर शब्द का प्रयोग 100 से अधिक बार प्रयोग किया गया है जिसमें से 90 बार तो सकारात्मक अर्थों में

*  वेद के अनुसार ही आसु का अर्थ आत्मा या जीवन शक्ति और अर का अर्थ मालिक । इस प्रकार तो असुर जीवन शक्ति या जीवन का स्वामी हुआ और किसी को आश्चर्य भी नही होना चाहिए प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग इंद्र और मित्र सहित सभी देवताओं के लिए किया जाता था

* पारंपरिक साहित्य के अनुसार असुर देवताओं के पूर्वज भी थे इसलिए असुरों को पूर्वेदेव अर्थात देवताओं का अग्रदूत । बाद में संस्कृत में असुर शब्द का प्रयोग एक निंदक के रूप में किया जाने लगा

* हिंदू धर्म को निगमगम के नाम से भी जाना जाता है निगम का अर्थ वेद और आगम का अर्थ पूर्व वैदिक अर्थात वैदिक काल से पहले के काल । यहां तक की तुलसीदास भी निगमगम को धर्म के अनुकूल माना है लेकिन आज भी कुछ लोग खुद को वेदों तक ही अपने आप को सीमित रखते है

* दिलचस्प बात तो ये भी है की असुर न केवल देवताओं के पूर्वज थे बल्कि कई महान कार्यों के निर्माता भी थे कई जगहों पर तो देवताओं ने इन्हे दुष्ट प्रकृति का चित्रित किया है जबकि ये सभ्य भी थे इन्हे भवनों के निर्माण का ज्ञान था

* महाभारत में मय नाम के एक असुर ने पांडवों के लिए एक महल बनवाया था इंद्र का एक नाम पुरंदर भी है जिसका अर्थ नगरों को नष्ट करने वाला है देवता जहा जहा पर विजेता थे अधिकतर असुरो को गुलाम बनाते थे

*  एक सच तो ये भी है की विश्व की अधिकांश सभ्यताओं की रचनाएं शोषित गुलामों ने ही की है

* आध्यात्मवाद, दर्शन , ब्रह्मचर्य,आश्रम आदि कांसेप्ट भी असुरों की ही रचनाएं है भक्त प्रह्लाद एक असुर थे और इन्ही के पुत्र कपिल मुनि ने ही इन अवधारणाओं का निर्माण किया है

* वैसे भी असुरों और देवताओं में कोई स्पष्ट भेद नहीं है क्योंकि असुर भी वैदिक देवताओं में से एक है कुत्स नाम के एक ऋषि थे जिन्हे बाद में कुत्सा नाम दिया गया और आज हिंदी भाषा में कुत्सी शब्द अपशब्द के रूप में प्रयोग होता है

* भगवान शिव में विश्वास भी वेदों से पहले का है वेदों में रुद्र देवता का उल्लेख है लेकिन शिव जी का नही । रुद्र ब्रह्मांड के विनाशक है जबकि शिव जी देवताओं के अग्रदूत ।

* आज हम केवल 4 वेदों के बारे में ही जानते है कभी कभी तो अथर्वेद को छोड़कर इन्हे सामूहिक रूप से वेद्त्रयि कहा जाता है धनुर्वेद ,आयुर्वेद ,गंधर्वेद ,पिचाशवेद और असुर्वेद भी मौजूद थे लेकिन इन्हे उतना महत्व नहीं दिया गया ये वेद कर्म के बारे में थे जबकि वेद्त्राई मन के बारे में ।

* युजर्वेद के सूक्त 32 में एक श्लोक है की अग्नि , वायु, आदित्य , प्रजापति आदि एक ही है और एक ही मूल तत्व से बने है

* कहा तो ये भी जाता है की असुर मनुष्यों की तुलना में अधिक सुखद जीवन का अनुभव करते थे लेकिन ये देवो के लिए ईर्ष्या से ग्रस्त थे जैसा आज मनुष्य जानवरो को देखते है वैसा ही भाव बन गया था

* भगवत गीता के अध्याय 16.6 और 16.7 के अनुसार ब्रह्मांड के सभी प्राणियों में प्रत्येक के भीतर दिव्य गुण और आसुरी गुण दोनो है जो विभिन्न रूपों में जैसे इच्छाए, द्वेष ,लालच , जरुरते , भावनाएं ये सभी सामान्य जीवन के अंग है और यह तभी होता है जब वासना , घृणा , लालसा , अहंकार , दंभ , क्रोध , कठोरता , पाखंड , क्रूरता की ओर जब हम एक दम नकारात्मकता को धारण कर लेते है जहा से अच्छाई हमे दूर दूर तक दिखाई देना बंद कर देती है तब यही सामान्य इंसान असुर में बन जाता है

जैसे : रामायण में असुर रावण और देव राम की कहानी

असुर हिरणाकश्यु और देव विष्णु का  नरसिंह रूप की कथा

इसी तरह असुर और देवता में बस अंतर इतना ही है जितना : अच्छाई बुराई , पाप पुण्य , सुख दुख में है और ये सभी के अंदर होता है

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने