भारतीय जेलों की दुर्दशा:
भारतीय
जेलों में
बंद कैदियों
को टीबी
बीमारी होने
का खतरा
5 गुना
अधिक है
एक अंतराराष्ट्रीय
संस्था ने
वर्ष 2000 से लेकर 2019
तक के
आंकड़े का
अध्ययन किया
जिसमे 195 देशों में
से 193 देश शामिल थे भारत
की जेलो
में प्रति
1 लाख
पर 1076 टीबी के
मामले पाए
गए जबकि
2021 विश्व
स्वास्थ्य संगठन
की रिपोर्ट
के अनुसार
देश में
प्रति 1 लाख पर
टीबी के
मात्र 210 केस ही
थे इस
तरह से
देखा जाए
तो सामान्य
लोगो की
तुलना में
जेलो में
बंद कैदियों
को टीबी
का खतरा 5
गुना अधिक है
भारतीय जेलो
में पहले
की तुलना
में अब
स्थितिया और
खराब हुई
है भारत
की जेलो
में करीब
6 लाख
कैदी बंद
है जिसमे
से 77% विचाराधीन
है राष्ट्रीय
अपराध रिकार्ड
ब्यूरो के
अनुसार पिछले
10 वर्षो
में विचाराधीन
कैदियों की
संख्या लगातार
बढ़ रही
है जेलो
में क्षमता
से अधिक
करीब 136% कैदी
रखे गए
है इनके
खानपान , रहन सहन
मानसिक स्थिति
बहुत ही
खराब है
सामाजिक आंकड़े
भी चौकाने
वाले है
जिसमे 66% कैदी वंचित
वर्ग से
है कई
गरीब और
संशाधनहीन कैदी
भी है
जिन्हे गलत
तरीके से
गिरफ्तार किया
गया है
जेल में
हिंसा और
दुर्व्यव्यवहार
आम बात
है संक्रामक
और संचारी
रोग जेलो
में आसानी
से फैलते
है टीबी
का खतरा
इसलिए ही
यहाँ सबसे
अधिक है
करीब 6 हजार से
अधिक कैदी
तो मानसिक
रूप से
रोगी है
और कैदियों
के बीच
में आत्महत्या
के दर
में 28%की वृद्धि
हुई है
इसलिए भारतीय
जेलो में
जल्द ही
स्वास्थ्य
पर ध्यान
देने की
जरूरत है
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