खिचड़ी बनेगा राष्ट्रीय व्यंजन ?


खिचड़ी बनेगा राष्ट्रीय व्यंजन  

अक्सर आप खबरों में सुनते रहते है की खिचड़ी को भारत का राष्टीय व्यंजन घोषित कर दिया जाना चाहिए कई बार तो चुनावों में भी इसको मुद्दा बनाया गया है लेकिन अभी तक ये मुद्दा ही बन पाया है जबकि आप देखे तो भारत के अधिकतर मंदिरों में खिचड़ी का प्रसाद ही चढ़ता है इसके साथ ही हर वर्ष 14 जनवरी को कई स्थानों पर खिचड़ी का मेला भी लगता है और सबसे बड़ी बात उत्तर प्रदेश राज्य में सरकारी स्कुलो में बच्चो के लिए एक समय के भोजन के रूप में सप्ताह में कम से कम एक दिन खिचड़ी को ही शामिल किया गया है खिचड़ी लगभग भारत के सभी राज्यों में अच्छे से खाया जाता है बस इसके नाम और बनावट में अंतर जरुर होता है जैसे आमतौर पर दाल और चावल को मिलाकर बनाए जाने वाले भोजन को हम खिचड़ी का नाम देते है उत्तर भारत के प्रदेशो में खिचड़ी प्रतिदिन का भोजन है अभी कुछ समय पहले ही दिल्ली शहर में खिचड़ी पर एक चर्चा का आयोजन किया गया था जिसमे इसके गुणों पर विस्तार से चर्चा की गई थी |


जैसे खिचड़ी एक शुभ भोजन है जो मकर संक्रांति के दिन बनाया जाता है पंजाब की चना दाल खिचड़ी से लेकर दक्षिण भारत में पोंगल सब में खिचड़ी ही पकाई जाती है आज कोई लाख मुख बनाये लेकिन खिचड़ी के महत्व से इनकार नहीं कर सकता है आप सभी को जानकर हैरानी जरुर होगी की खिचड़ी पुलाव और बिरयानी को भी स्वाद के मामले में पीछे छोड़ देता है जैसे लन्दन में केजरी बनती है जिसमे मछली पड़ती है जो खिचड़ी का एक रूप ही है आज भी खिचड़ी को कुछ लोग पसंद करते है तो कुछ लोगो के लिए यह बीमारों वाला भोजन के नाम से प्रसिद्ध है |

प्रसिद्ध लेखक अल्बुरुनी ने अपने किताब-उल -हिन्द में खिचड़ी को लेकर लिखा है की खिचड़ी सर्वप्रिय भोजन है इसी तरह खिचड़ी का वर्णन आयुर्वेद की पुस्तको में भी मिलता है जैसे चरक संहिता के अनुसार खिचड़ी किशर शब्द से बना हुआ है जिसका उत्तम समय मकर संक्रांति के बाद ही शुरू होता है क्योकि इस समय देवयोग रहता है और खिचड़ी देवी - देवताओ को भी काफी प्रिय भोजन है 



क्योकि सूर्य का उत्तरायण होना हमारे लिए उत्साह और ऊर्जा का स्त्रोत होता है इसकी शुरुआत खिचड़ी के खाने के बाद से ही होती है उत्तर भारतीय प्रदेशो में जिसे हम खिचड़ी के नाम से जानते है वही दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से खाई जाती है इस नाम से दक्षिण भारत में एक बहुत बड़ा पोंगल पर्व भी मनाया जाता है यह सूर्य , इंद्र देव , नई फसल और पशुओ को समर्पित पर्व होता है जो करीब 4 दिनों तक चलता है पोंगल को तैयार करने के लिए इसमें चावल ,  मूंगदाल के साथ साथ दूध और गुड भी डाला जाता है ............



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