नेपाल देश : स्थानीय भाषओं का विलुप्त होना

        


नेपाल देश : स्थानीय भाषओं का विलुप्त होना 

आज दुनिया भर में अपने देश की मातृभाषा के लिए साथ ही राज्य की प्रमुख भाषाओ को जीवित रखने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इतने प्रयास के बाद भी आज दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जहां पर 10 से 20 भाषाये हर वर्ष विलुप्त ना होती हो 

इसी सब के बारे में आज बात करेंगे लेकिन सबसे अधिक फोकस नेपाल देश में हो रही प्रमुख विलुप्त भाषाओ पर चर्चा करेंगे नेपाल के लगभग 3 करोड़ आबादी वाले देश में  123 जातीय समूहो के साथ 125 भाषाओ वाला देश कहा जाता है 

जो नेपाल की भाषाई, जातीय,  सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता प्रदान करता है जिससे सदियों से नेपाल की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने में मदद मिलती है  लेकिन अफसोस की बात यह है कि नेपाल देश की कुछ भाषाये जल्द ही विलुप्त होने की कगार पर हैं उनके साथ ही उनकी संस्कृति और परंपराएं भी |

जब तक उस देश की सरकार मदद नहीं करती है तब तक उन भाषाओं को जीवित करने की कोई संभावना नहीं बनती है 



सबसे पहली भाषा नेपाल देश की पूर्वी नेपाल में स्टेट वन में देशी लोहोरुंग समुदाय द्वारा बोली जाने वाली भाषा है नेपाल की जनगणना 2011 के अनुसार देश में केवल 3633 लोहोरुंग भाषा बोलने वाले लोग थे जो आंकड़ा आज भी वही है इतने वर्षो के बाद भी और सबसे अधिक नुकसान इस भाषा को वर्ष 2020 में हुआ था 



 दूसरी भाषा कुसुंडा भाषा का मामला तो और भी गड़बड़ है 2011 की जनगणना के अनुसार केवल 273 लोग इस भाषा को बोलते थे जो नेपाल की पश्चिमी और मध्य नेपाल के जंगलों के पूर्व शिकारी हैं और अब केवल 28 लोग बचे हैं जो इस भाषा को धारा प्रवाह बोल सकते हैं

 समस्याएं :  

1. कई भाषाएं सामाजिक और आर्थिक कारण से मर रही हैं जब इन समुदाय के लोग दूसरे समुदाय में शादी करते हैं तो यहा उनकी मातृभाषा प्रभावित होती है और उनकी संतानों को भाषा चुनने की समस्या आती रहती है

 2. हाल ही के वर्षों में बुढ़ापे के कारण कुछ धारा प्रवाह बोलने वालों की मृत्यु होना भी कारण माना जा रहा है 

3. अपनी मातृभाषा को छोड़कर इंग्लिश व अन्य भाषा को अपनाने से मातृभाषा या जिनको बोलने वालों की संख्या कम हो रही है वह विलुप्त हो रही है



 समाधान :  क्या हमारी लुप्त हो रही भाषाओं को सुरक्षित करने के लिए कुछ किया जा सकता है  ? 

हम इजराइल से एक संकेत ले सकते हैं इजरायल देश में एक भाषा थी हिब्रू  जो बहुत पहले यहूदी धर्म की पवित्र भाषा मानी जाती थी और आज भी मानी जाती है लेकिन कुछ सीमित लोग ही इसे बोलते थे लेकिन आज इस भाषा को बोलने के साथ ही लिखित रूप में भी प्रयोग किया जा रहा है

 2018 में इस भाषा को देश की आधिकारिक भाषा की मान्यता दी गई है कैसे संभव हुआ ? उस राज्य सरकार के अथक प्रयास का फल ही है आज |

नेपाल में कुछ भाषाओं को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ प्रयास किये जा रहे हैं भाषा आयोग ने नेपाल में बोली जाने वाली 125 भाषाओं में से 29 भाषाओं को संरक्षित करने की कोशिश लगातार कर रहा है नेपाल भाषा आयोग बचाने के लिए कुसुंडा ,दूरा  और तिलुग में कई कक्षाएं चला रहा है काठमांडू राजधानी में भी इसकी प्रतिदिन क्लासेस चल रही है 

नेपाल देश में क्लास 12वीं तक पढ़ाई स्थानीय भाषा में करने को कहा गया है जिससे मातृभाषा को बचाने में बड़ी मदद मिल रही है प्रतिदिन इसके लिए विभिन्न भाषाओं में एक मानक शब्दकोश,  डिजिटल सामग्री और स्कूली पाठ्यक्रमों को विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी देश एक भाषा को मरने की अनुमति नहीं दे सकता है......................

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