RO मशीन के : फायदे और नुकसान

 


 RO मशीन के : फायदे और नुकसान  

आज हर व्यक्ति अपने लेवल पर प्रयास करते हुए पानी की बर्बादी को रोक सकता है पानी को स्वच्छ बनाने वाली मशीन का उपयोग हमें जरूरत के आधार पर ही करना चाहिए

वाटर RO के उपयोग से बड़े पैमाने पर हो रहे पानी की बर्बादी को देखते हुए हाल ही में NGT( राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ) ने पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह दो माह के अंदर उन जगहों पर RO प्यूरीफायर को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करें जहां पानी में TDS ( टोटल डिसोल्वड सॉलिड ) प्रति लीटर 500 mg से नीचे हो 



इससे पहले भी NGT ने सरकार को यह भी कह चुका है कि देशभर में जहां भी आप RO ( रिवर्स ओस्मोमिस ) अर्थात पानी को पीने लायक स्वच्छ बनाने के लिए एक विधि की अनुमति दी गई है वहां 60% से ज्यादा पानी दोबारा इस्तेमाल किया जाए ताकि RO से होने वाली पानी की बर्बादी को रोका जा सके

 दरअसल जहां पानी में TDS 500 mg प्रति लीटर से कम है वहां के पानी को साफ करने के लिए RO का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं है क्योंकि पानी में प्रति लीटर 500 mg तक टीडीएस होने पर RO काम नहीं करता बल्कि उल्टे उसमें मौजूद कई महत्वपूर्ण खनिजों को हटा देता है जिसे मिलने वाले स्वभाविक मिनरल्स हमें नहीं मिल पाते है 



सबसे पहले समझते हैं TDS क्या होता है ? :  टोटल डिसोल्वड सॉलिड यानी पानी में घुले हुए सूक्ष्म ठोस तत्व जैसे कैल्शियम , मैग्नीशियम क्लोराइड , कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट आदि इन खनिजों के कारण ही पानी का स्वाद ज्यादा या कम खारा होता है इसके अलावा पानी में कई खतरनाक ठोस तत्व भी मिले होते हैं जैसे आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट |

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में 300 mg से नीचे TDS बेहतरीन माना जाता है जबकि 800 से 900 mg खराब और इससे ज्यादा होने पर पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है 

असल में लोगों को पता होना ही चाहिए की शुद्ध पानी दे रहा RO प्यूरीफायर जितना पानी साफ करके देता है उसका तीन गुना पानी बर्बाद भी कर देता है 

वाटर लेवल के स्तर गिरने का भी एक बड़ा कारण है पीने के पानी को शुद्धिकरण के लिए RO वॉटर प्यूरीफायर की जरूरत के बारे में बिना पूरी जानकारी लिए आज समाज में जल शोधन के लिए RO का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है 

आजकल लोग देखा देखी में लगभग हर घर में RO लगाया जा रहा है लेकिन सभी को समझना होगा कि RO का विकास ऐसे क्षेत्रो के लिए किया गया था जहां पानी में घुलित खनिज TDS की अत्यधिक मात्रा पाई जाए इसलिए सिर्फ टीडीएस को पानी की गुणवत्ता का मापदंड मानकर RO लगाना सही नहीं है



TDS के साथ इस बात का विशेष ध्यान रखें जैसे की पानी की गुणवता कई जैविक और अजैविक मापदंडो से मिलकर निर्धारित होती है जैसे :-

1.जिन इलाको में पानी ज्यादा खारा नहीं है वहां पर RO की जरूरत बिल्कुल नहीं है 

2.जिन जगहों पर पानी में टीडीएस की मात्रा 500 mg प्रति लीटर से कम हो वहां पर आ रहे वाटर सप्लाई से होने वाले नल के पानी को सीधे आप बिना RO से साफ़ किये पानी पी सकते हैं

3. RO का उपयोग अनावश्यक रूप से करने से सेहत के लिए जरूरी कई महत्वपूर्ण खनिज तत्व भी पानी से अलग हो जाते हैं इसलिए जल शुद्धिकरण की सही टेक्नोलॉजी का चयन करने से पहले यह निर्धारित करना जरूरी है कि उस इलाके में पानी की गुणवत्ता कैसी है उसके बाद ही तय करें कि RO लगाना है या नहीं |



4. RO मशीन का पहली बार इस्तेमाल 1949 में अमेरिका के फ्लोरिडा में किया गया था इस मशीन का असली मकसद भी यही था कि खारे पानी वाली समुद्री जल को पीने लायक बनाकर निकालना 

लेकिन इसका इस्तेमाल वहां भी किया जाने लगा जहां पर पानी खारा नहीं था इससे पानी की बहुत अधिक बर्बादी और मौजूदा मिनरल्स नष्ट होने के नुकसान सामने आने लगे 



5.एक तरफ किसानों से पानी की हर बूंद को बचाने के लिए बहुत तेजी से " ड्रिप इरीगेशन " इजरायली मॉडल अपनाने को कहा जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ अधिक से अधिक लोग घरों में RO मशीन का उपयोग करके पानी को बर्बाद कर रहे है

ऐसे में घरों में हर दिन बर्बाद होने वाली पानी के बारे में बात हमे क्यों नहीं करनी चाहिए ? क्या पानी की हर बूंद को बचाना हम सब की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए ? 

उपाय : पेयजल के बढ़ते संकट को देखते हुए आप को RO की रिकवरी क्षमता की ओर ध्यान देने की जरूरत है ऐसे वॉटर प्यूरीफायर के निर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है जो पानी की अधिक मात्रा को रिकवरी कर सके रिकवरी क्षमता के आधार पर आप कंपनियों को बिजली के उपकरणों की तरह स्टार रेटिंग दी जानी चाहिए तभी एक सार्थक उपाय हो पायेगा 

जल शुद्धिकरण के लिये केवल RO पर नहीं निर्भर रहना चाहिए इसके लिए ग्रेवटी फिल्टर ,UV रेडियेशन जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की जरुरत है 

संकट : जिस प्रकार आज भारत के सभी छोटे बड़े शहरो में साफ़ पानी को लेकर समस्या हो रही है एक रिपोर्ट के अनुसार करीब आज पूरे भारत में 60 करोड़ लोग साफ़ पानी के लिए परेशान है गर्मियों के समय में सभी बड़े शहरो का वाटर लेवल नीचे चला जाता है केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किये गये 100 स्मार्ट सिटी के शहरो में भी पानी पीने के लायक नहीं है ...............


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