भारत के लोग शराब पीने में कितने आगे है ?
भारत में शराब को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रहती है लेकिन इस बार का चर्चा होना सभी को हैरान करने वाला है आपने सुना भी होगा कि भारत के दो राज्य मध्य प्रदेश और हरियाणा में अब आप घर बैठे ऑनलाइन शराब मंगा सकते हैं एक तरह जहां मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी कुछ ही समय पहले तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में बीजेपी की सरकार काफी वर्षो से ही है तो हम किस पर उंगली उठाएं अब यह फैसला आपको करना होगा
बताया तो यह भी गया कि अकेले मध्य प्रदेश सरकार शराब से प्रतिवर्ष 12000 करोड रुपए तो वही हरियाणा सरकार के खजाने में 7500 करोड रुपए राजस्व के रूप में मिलते हैं दोनों ही राज्यों में इस ऑनलाइन सिस्टम का विरोध हो रहा है मध्य प्रदेश में बीजेपी के लोग तो हरियाणा में कांग्रेस के लोग विरोध कर रहे थे
बताया तो यह गया कि महिलाओं के बढ़ते विरोध के कारण राज्य सरकार को शराब की दुकान खोलने में परेशानी हो रही है इसलिए ऑनलाइन सिस्टम की शुरुआत की गई है
राज्य सरकारे एक तरफ शराब को ऑनलाइन बेचने की योजना बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार शराब मुक्ति या नशा मुक्ति अभियान के लिए 260 करोड रुपए का प्रावधान किया है
अर्थात साफ़ शब्दों में आप कह सकते हैं कि पहले सरकार शराब पिला रही है बाद में उपाय भी बता रही है और तो और इन नेताओं के पास करने के लिए कुछ भी है भी तो नहीं |
सामाजिक और न्याय अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय भारत में 16 करोड़ नागरिक नियमित रूप से नशे का सेवन करते हैं यह रिपोर्ट एम्स और नेशनल ड्रग्स डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर द्वारा तैयार किया गया है इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि भारत देश में 16 करोड़ शराब पीने वालों में से 6 करोड़ 70 लाख तो आदत पड़ने के कारण पीते हैं और लगभग 5 करोड़ 70 लाख करोड़ भारतीय इस वक्त शराब जनित लोगों से ग्रस्त है
इन आकड़ो से समझा जा सकता है कि हमारे देश में शराब की खपत और इससे उत्पन्न आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों कितनी भयानक होती जा रही है
सवाल यह भी है कि क्या राज्य सरकारे चुनावी वादे को पूरा करने के लिए अपने ही नागरिकों के जीवन को दांव पर नहीं लगा रही है ?
ये आंकड़े भी सामने आ रहे हैं कि जैसे :-
2003 में मध्य प्रदेश में 750 करोड़ तो 2020 में 12000 करोड़ की शराब बिक्री हुई, महाराष्ट्र में 17477 करोड़, छत्तीसगढ़ में 4700 करोड़ , उत्तर प्रदेश में 23918 करोड़, तमिलनाडु 31157 करोड़ रुपये की शराब बेचीं गई है और इसी प्रकार अन्य राज्यों में राज्य सरकारों ने मात्र 1 वर्ष के अंदर इतना पैसा अपने राज्य की जनता से शराब पिलाकर जुटाया ये आंकड़े बताते हैं कि हमारी राज्य सरकारे लोगों को शराब पिलाने में कितनी दिलचस्पी रखती है
वैज्ञानिकों का कहना भी है कि इसी कारण से भारत में प्रतिवर्ष बीमारियां और मौतों की संख्या बढ़ रही है सबसे ज्यादा मौते ग्रामीण क्षेत्र में हो रही है क्योंकि शराब में हाई अल्कोहल की मात्रा भारत देश में 90% रखी जाती है जो अंतरराष्ट्रीय लेवल पर तुलना किया जाए तो मानक स्तर से बहुत ही अधिक होता है
अन्य देशों में आज भी शराब में हाई अल्कोहल का प्रतिशत मात्रा 44% होता है जबकि भारत में 90% इसके पीने के बाद मौत तो होनी ही है
भारत में पिछले 10 वर्षों की तुलना किया जाए तो शराब की खपत तीन गुनी हो गई है जैसे वर्ष 2005 में प्रति व्यक्ति यह 2.4 लीटर थी जो वर्ष 2016 में बढ़कर लगभग 6 लीटर के करीब और वर्ष 2020 में 8 लीटर तक पहुच गई थी इसके बाद के आकड़े सरकारं ने अभी तक जारी ही नहीं किये है इसलिए आप इसके आधार पर आज 2024 में चार गुणा तो मान ही सकते है
यह वह आंकड़े हैं जिसे सरकार जारी करती कुछ ऐसे क्षेत्र के तो कोई आंकड़े ही नहीं जारी होते जैसे परंपरागत तरीके से खासकर बनी जैसे ताड़ी, खजूर, गुड़ आदि से बने भी तो शराब ही हैं
शराब केवल सरकारी राजस्व का मामला भर नहीं है सच तो यह भी है कि यह नेताओं, अफसरों और माफिया के गठजोड़ की संपन्नता का माध्यम भी है
बताया तो यह भी जा रहा है कि जितना राजस्व सरकारी खजाने में जाता है उससे अधिक तो नेताओं और भ्रष्ट्र अधिकारियों की जेब में चला जाता है CAG की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश सरकार के कार्यकाल में करीब 25000 करोड रुपए की गड़बड़ी की जानकारी सामने आई है
यह धोखाधड़ी इस प्रकार की गई है कि शराब के दाम बढ़ाकर जनता से वसूला जा रहा था लेकिन यह पैसा सरकारी खजाने में जमा ही नहीं हुए यही खेल देश के अन्य राज्यों में सुनियोजित तरीके से अभी भी चल रहा है
एक बात बहुत ही अच्छी कही गई है कि सरकार तो बदल जाती है लेकिन माफिया नहीं |
प्रश्न यह है कि आखिर हम अपनी ही नीतियों से भारत देश को कहां ले जा रहा है नरक या स्वर्ग में ?
वर्ष 1929 में महात्मा गांधी जी ने हरिजन पत्रिका में लिखा था कि अगर कोई मुझे देश की आजादी और शराब बंदी में से कोई एक चुनने का विकल्प दे तो मैं सबसे पहले शराबबंदी को चुनुगा और आज हमें इस बात पर भी बात विचार करना ही होगा क्योंकि आजाद तो हम हैं लेकिन क्या हम शराब से भी आजाद होंगे कभी ?
आज हम भारत को ग्लोबल शराब मार्केट के रूप में बना दिए हैं संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार जो नैतिक आदेश राज्य सरकार को मिले हैं क्या उसके प्रति कोई नैतिक जवाबदेही नहीं है संविधान की शपथ लेने वालों की ?
शराब की बिक्री बस कहने भर से नहीं रुकेगी इसके लिए हतोत्साहित करने के लिए सामाजिक माहौल भी बनाना होगा क्योंकि पिछले 10 वर्षों में युवाओं में इसका चलन तेजी से बढ़ा है
भारत में विश्व की सर्वाधिक युवा जनसंख्या इस समय है और शराब की आदी हमारी युवा पूंजी फिट इंडिया या स्किल इंडिया के लिए कैसे आगे बढ़ेगी ?
आज पूरी दुनिया जब योग की ओर लगातार अपने कदम बढ़ा रही है और यूरोप के देशों में 2010 के बाद से शराब की खपत में लगभग 10% की कमी दर्ज की गई है और उसी योग को भारत ने शुरू किया और आज भारत में शराब की खपत लगभग तीन गुना बढ़ गई है
क्या हमें नहीं लगता है कि इस पर कभी विस्तार से सोचा जाए ?
भारत में कुछ राज्यों में जैसे गुजरात में, बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन और राज्य क्या कर रहे हैं अभी तक ?
क्या पूरे भारत में शराबबंदी नहीं लागू की जा सकती ?
मध्य प्रदेश और हरियाणा में उठाए गए कदम कितने सही है ?
शराब से होने वाले अन्य नुकसान को छोड़ भी दे तो देशभर में प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख लोगों की मौत शराब पीकर , सड़क दुर्घटना का शिकार होकर हो जाती है
1832 तक भारत देश में शराब की कुल 350 दुकाने ही थी 1947 में आजादी के समय 1500 शराब की दुकाने हो गई और आज आपको जानकर हैरानी भी होगी की अकेले उत्तर प्रदेश राज्य में 20000 से अधिक पंजीकृत दुकाने है जबकि जितने पंजीकृत नहीं है उससे कई गुने अधिक दुकाने तो बिना पंजीकृत के चल रहे है
देश भर में 95% मर्डर , बलात्कार और अन्य अपराधिक घटनाओं में शराब पीने के कारण ही होती है और भारत में प्रति वर्ष करीब 80 करोड़ लीटर शराब तैयार की जाती है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बियर की एक छोटी बोतल में 5% , वाइन में 12% और स्प्रिट में 40% तक का अल्होकल होता है
सेहतमंद रहने के लिए और खुद को शराब के दुष्प्रभावो से बचाने के लिए सप्ताह में 14 यूनिट से ज्यादा शराब नहीं पीना चाहिए
1 यूनिट 25 ml के बराबर होता है अर्तात 350 ml प्रति सप्ताह हो
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