एक अनुमान के मुताबिक भारत के जितने भी प्रधानमंत्री अभी तक हुए हैं उनमें से सबसे अधिक पुस्तके इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी पर लिखी गई है और अन्य प्रधानमंत्री पर बहुत कम ही पुस्तक आपको मिलेगी
भारत के पहले गैर -कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में युवा पीढ़ी को अधिक जानकारी नहीं है जो जानकारी है वह इस प्रकार है कि वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे उनका जन्म 29 फरवरी 1896 को हुआ था और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में कार्य करते थे लेकिन इनके अलावा भी कई महत्वपूर्ण पहलू थे जिनके बारे में देश को जानना ही चाहिए
विस्तार : मोरारजी देसाई भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जिनको भारत और पाकिस्तान दोनों देशों का सर्वोच्च नागरिक सम्मान का पुरस्कार प्राप्त है भारत देश इन्हें भारत रत्न और पाकिस्तान देश से निशान -ए -पाकिस्तान का सम्मान मिला है |
इनके पूरे जीवन के बारे में लेखक अरविंदर सिंह ने अपनी पुस्तक मोरारजी देसाई ": ये प्रोफाइल इन करेज " में पूरे विस्तार से लिखकर बताया है कि कैसे एक व्यक्ति प्रोविंशियल सर्विस का एक डिप्टी कलेक्टर, प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचता है और इसमें कितना संघर्ष करना पड़ता है एक सरकारी कर्मचारियों के तौर पर इनकी ईमानदारी और साहस को भी इसमें रेखांकित किया गया है |
सभी प्रधानमंत्रियो की तरह ही मोरारजी देसाई के ऊपर भी आरोप लगे इनके ऊपर यह आरोप लगा था कि यह अमेरिका देश की खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करते है इस बात को लेखक ने न सिर्फ आरोपो को इनकार किया बल्कि उसे गलत साबित करने के लिए कई तर्क भी दिए मोरारजी देसाई अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आंदोलन में हिस्सा लिया और फिर इसके बाद यह बाम्बे प्रांत के मुख्यमंत्री भी बने |
इनकी छवि एक सख्त प्रशासक की तरह थी और प्रधानमंत्री नेहरू जी चाहते थे कि ये दिल्ली में आये नेहरु जी के आग्रह पर ही 1956 में दिल्ली में आ गए और केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के पद पर अपनी सेवा दी लेकिन 2 वर्ष बाद ही इस पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उस समय वित्तमंत्री T.T कृष्णाचारी के ऊपर कुछ आरोप लगे थे और उनको वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था तो नया वित्तमंत्री इन्हें ही बनना पड़ा |
वर्ष 1964 में पंडित नेहरू जी और 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री के पद पर थे लेकिन इंदिरा गांधी जी से मतभेद होने के कारण इन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश में लागू इमरजेंसी के बाद जब आम चुनाव हुआ तो सरकार जनता पार्टी की बनी तो फिर यह प्रधानमंत्री बने लेकिन दुर्भाग्य से सरकार अधिक दिनों तक नहीं चली और मात्र 2 वर्ष 4 माह के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा |
लेखक के अनुसार जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे तो इस बात का प्रस्ताव आया था कि उप -प्रधानमंत्री मंत्रियों को निर्देश देंगे लेकिन उन्होंने साफ तौर पर सीधे-सीधे मना कर दिया था और कहा था कि यह संविधान के खिलाफ है इसे संसद अनुमति नहीं देगी पुस्तक में लेखक ने मोरारजी देसाई से जुड़े कुछ दिलचस्प प्रसंग का भी उल्लेख किया है जैसे इमरजेंसी के समय जब इन्हें गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक गेस्ट हाउस में रखा गया था जहां पर इन्हें सिर्फ दूध और फलों पर ही निर्भर रहना पड़ता था इसके साथ ही विदेश यात्रा का भी वर्णन विस्तार से किया गया इस पुस्तक से नई पीढ़ी को मोरारजी देसाई के बारे में अनेक प्रकार की जानकारी तो मिलेगी ही और अपने देश के प्रधानमंत्री के बारे में जानकर कुछ सीखने का मौका भी मिलेगा |.........
इन बातो के अलावा आप मोरारजी देसाई के बारे में और कितना जानकारी रखते है ?इनके ऊपर लगे जासूसी के आरोप पर आपकी क्या राय है ?............

