सियाचिन गलेशियर का असली सच

  


सियाचिन गलेशियर का असली सच 

समय समय पर अक्सर खबर सुनने में आती रहती है की इतने जवान शहीद हो गए सबसे बड़ी बात ये होती है की यहाँ पर जितने जवान गोलियों से शहीद नहीं होते है उससे कई गुना अधिक तो यहाँ के मौसम के प्रभाव कहे या बर्फ के नीचे दब जाते है कई बार मौसम इतना खतरनाक रूप धारण कर लेता है की सैनिको के लिए भी रहना मुश्किल हो जाता है लेकिन यहाँ पर कई देशो के सीमा साझा करती है जैसे भारत , पाकिस्तान के साथ साथ चाइना और अफगानिस्तान की सीमा भी काफी करीब से गुजरती है ऐसे में इस स्थान का महत्व काफी बढ़ जाता है 



विवाद के कारण :-इस स्थान की समुन्द्रतल से उचाई 16 से लेकर 18000 फीट की उचाई तक मौजूद है जो करीब मीटर में 5753 मीटर के करीब में होगा एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ पाकिस्तान देश की सेना मौजूद रहती है 1984 से पहले तक इस स्थान पर किसी भी देश की सेना मौजूद नहीं रहती थी क्योकि इसको लेकर दोनों ही देशो में एक संधि हुई थी क्योकि यहाँ पर सेना के भी रहने लायक स्थान नहीं है लेकिन समय समय पर जारी घटनाओ को देखते हुए इतने कठिन समय में भी सेनाये अपनी सेवाए लगातार दे रही है 

मिली जानकारी के अनुसार 1984 में पाकिस्तानी सेना ने इस क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिए और इसके बाद भारतीय सेना ने एक आपरेशन मेघदूत चलाया जिसका उद्देश्य इस स्थान को दुबारा प्राप्त करना इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना को निर्धारित रेखा के पास भेजना और इस क्रम में 13 अप्रैल 1984 को इस स्थान पर भारतीय सेना का एक बार फिर से अधिकार हो जाता है और अब इस स्थान पर भारतीय सेना के अलावा कोई भी नागरिक नहीं जा सकता है इसी को लेकर 2003 में भारत और पाकिस्तान के मध्य एक संधि भी हुई थी 



सियाचिन गलेशियर :-यह पूरा क्षेत्र 78 किलोमीटर में फैला हुआ है जो लेह जिले के अंतर्गत आता है 1972 में हुए शिमला समझौते में इस स्थान को एक बंजर भूमि के रूप में जगह दी गई थी अर्थात एक ऐसा स्थान जहा पर इंसानों के लिए रहना किसी भी तरह से संभव नही हो और आज भी उपरी हिस्से पर भारतीय सेना का अधिकार है तो इसके निचले हिस्सों पर पाकिस्तान की सेना का अधिकार बना हुआ इस पर अधिकार करने का सबसे बड़ा एक कारण ये भी है कि इस उचाई से आप किसी भी देश की निगरानी आसानी से कर सकते है इसीलिए चीन को इस स्थान को लेकर हमेशा तनाव देखा जाता है 

एक तरह से सियाचिन गलेशियर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गलेशियर है इसका अर्थ गुलाबो की भरमार होता है और सबसे बड़ी बात यह स्थान दुनिया में सबसे उचा युद्ध स्थल माना जाता है 

समस्या -इस स्थान का सबसे बड़ा दुश्मन वातावरण ( प्रकृति ) ही है क्योकि आपसी लड़ाई से अधिक सैनिक तो इसके कारण से ही प्रतिवर्ष शहीद हो जाते है क्योकि यहाँ पर हमेशा हिमस्खलन और आक्सीजन की कमी की समस्या आती ही रहती है जिसके कारण से मानसिक तनाव की समस्या सबसे अधिक होती है यहाँ का तापमान हमेशा ही माइंस 0 डिग्री से लेकर माईनस 50 डिग्री सेल्सियस तक बना रहता है मिली जानकारी के अनुसार अब तक दोनों ही देशो से करीब 2500 सैनिक शहीद हो चुके है 



एक रिपोर्ट के अनुसार 2003 से लेकर 2010 के मध्य पाकिस्तान की सेना के 353 सैनिक शहीद तो केवल 2012 में ही करीब 140 सैनिक शहीद हो गये थे अगर भारत देश की बात किया जाये तो 2012 से 2015 के मध्य की बात किया जाये तो 33 सैनिक शहीद और 2015 में सरकार द्वारा पेश संसद की रिपोर्ट के अनुसार 869 सैनिक शहीद हुए है इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार प्रतिदिन यहाँ पर 4 करोड़ रुपये खर्च करती है और लगभग इतना ही खर्च पाकिस्तान की सरकार को भी करना होता है 

इस स्थान का सबसे पहला दौरा भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था कई बार मोदी जी भी जा चुके है पाकिस्तान की तरफ से राष्ट्रपति आसिफ जरदारी भी यात्रा कर चुके है इस स्थान अब कुछ स्थानों तक ही आप पर्यटन के रूप में जा सकते है ....................................

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