नेपाल देश का गौरवपूर्ण इतिहास
नेपाल देश भारत देश के उत्तर सीमा में स्थित देश है जो करीब 500 मील क्षेत्रफल पर फैला हुआ है इस देश की राजधानी काठमांडू है और इस देश की एक सबसे बड़ी बात ये है की दक्षिण एशिया का एकमात्र देश जो कभी भी ब्रिटिश सरकार कहे या कभी भी किसी का गुलाम नहीं हुआ है
नेपाल का इतिहास :-हर देश की तरह ही इस देश की भी संस्कृति और सभ्यता काफी महत्वपूर्ण रही है जैसे शासन की शुरुआत ही काफी गौरवपूर्ण रही है जैसे इनका शासन गुप्त वंश से शुरू होकर किरात वंश , सोम वंशी , लिच्छवी में सूर्यवंशी जो समय, कला , शिक्षा , वैभव , राजनीति के लिए स्वर्ग युग रहा है और करीब 880 ईस्वी में लिच्छवी राज्य खत्म होने के बाद नुबा कोटे ठकुरी राजवंश के राजवंश से नेपाल देश की अवनति शुरू हो जाती है क्योकि इसी समय नेपाल का कई भागो में विभाजन होता है और हिमालय के मध्य कछार में मल्लो का राज्य हुआ करता था और जब लिच्छवी राज्य ख़त्म हुआ तो इसको लेकर विरोध तेज होने लगा
वर्ष 1480 में अंतिम वैश राजा अर्जुन देव को पद से हटाकर स्थिति मल्ल को राजा बनाया गया
1530 ईस्वी में बंगाल के शासक शम्सुदीम इलियास के मध्य युद्ध हुआ और इस युद्ध के कारण से नेपाल का आर्थिक , सामाजिक और राजनीतिक जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त सा हो गया
इस युद्ध के बाद से केन्द्रीय राज्य छीन बिन्न सा हो गया काठमांडू , गोरखा , तनहू ,मकबानपुर जैसे ही करीब 30 स्वतंत्र रियासते का जन्म हुआ और 1582 में नेपाल को 3 भागो में बाटा जाता है कांतिपुर (काठमांडू ), ललितपुर और भक्तपुर के रुप में
गोरखा इस समय सबसे अधिक मजबूत और राज्यों पर इनका प्रभाव छा गया 16 वी शताब्दी में न्यायमूर्ति राजा राम शाह की चर्चा पुरे नेपाल में हुआ और एक सड़क का नाम ही न्याय के लिये रखा गया
इसी क्रम में बंगाल के नवाब ने नेपाल पर आक्रमण के लिए 50 से 60000 सेना भेजी और मकवानपुर और गोरखा ने मिलकर गाजर मुली की तरह काट डाला जो बचे वो भाग निकले इसी तरह जब गोरखा ने 1790 में तिब्बत पर आक्रमण किया तो इनको भी काफी नुकसान उठाना पड़ा
चीन ने 1791 में तिब्बत के साथ मिलकर नेपाल पर आक्रमण कर दिया और 1792 में ही नेपाल की गोरखा और चीन के मध्य के संधि हुई और इस तरह से युद्ध कुछ समय के लिए रुक सा गया लेकिन 1814 में नेपाल और ब्रिटेन के मध्य युद्ध शुरू हो गया और 1816 में नेपाल ने 2/3 ( दो तिहाई ) जमीन खोकर सुगौली की संधि कर ली
वर्ष 1846 में बड़ा हत्याकांड नेपाल के जनरल राम कुवर ने राजा के प्रधानमंत्री के साथ साथ 31 लोगो की ह्त्या कर दी लेकिन राजा बच गए इस पुरे हत्याकांड को कोत पर्व के नाम से जानते है जिस भवन में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था ये आज भी मौजूद है और पूरी सत्ता को अपने हाथ में ले लिया प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष के पद को अपने अधिकार में रखा और राजा ने नाम बदलकर अब जंग बहादुर राणा कर लिया
और फिर सत्ता का स्थानान्तरण भाई से भाई में होता चला आया लेकिन कभी भी बेटो में नहीं हुआ था और इस तरह से एक पारिवारिक युद्ध का रूप ले लिया और ये काफी लम्बे समय तक जैसे 1846 से लेकर करीब 1946-47 तक ऐसा ही चलता रहा क्योकि नाममात्र का राजा महल में बैठता था और इसके बाद भी नेपाली जनता , राजा और राजतन्त्र का बहुत ही सम्मान करती थी और आज भी ये सम्मान बना हुआ है भले ही लोकतंत्र की स्थापना कर ली गई है
सबसे बड़ा बदलाव तो तब आता है जब 1947 में भारत देश को आजादी मिल जाती है और इसी समय नेपाल के कई युवक भारत के कुछ शहरों जैसे बनारस , कोलकाता , पटना जैसे स्थानों में पढाई कर रहे थे और इनकी नजर भी भारत की आजादी पर थी की कैसे अंग्रेजो को देश से बाहर किया गया है
और यही नवयुवक जब अपने देश नेपाल में आते है तो देश में लोकतंत्र की मांग शुरू करते है और इन्होने राणाशाही को ख़त्म किया और इसके लिए नेपाल में नेपाली राष्ट्रीय पार्टी का गठन किया जाता है कई प्रमुख नेताओं ने इसमें काफी योगदान दिया और इस तरह से नेपाल में 18 फ़रवरी 1951 में जाकर नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई
सबसे बड़ी बात ये थी कि देश ने लोकतंत्र के साथ साथ राजा का भी पद रहेगा लेकिन सरकार में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा और 1959 में पहले आम चुनाव में नेपाली कांग्रेस पार्टी को कुल सीटो का करीब 2 /3 सीटो का बहुमत प्राप्त हुआ और इसके बाद श्री बी पी कोइराला देश के प्रधानमंत्री बने और इसके कुछ ही समय बाद 15 दिसम्बर 1960 को राजा महेद्र ने संसद को ही पूरी तरह से भंग कर दिया
इसके बाद सभी कांग्रेसी नेताओ को जेल भेज दिया गया और सबसे पहले राजा ने पंचायती राज व्यवस्था को लागू कर दिया 1959 में बने संविधान को रद्द कर दिया गया और 1962 में एक नए संविधान की स्थापना की गई कुछ वर्षो के बाद ही 31 जनवरी 1972 को राजा महेंद्र प्रताप की मौत हो गई इसके बाद के राजा श्री 5 वीरेंद वीर विक्रम शाहदेव ने राजा बनते है और कुछ वर्ष बाद 1990 में संविधान में कुछ बदलाव भी किया जाता है
1857 की प्रथम भारतीय स्वतंत्रता क्रांति के समय नेपाल ने अंग्रेजो की सेना में भर्ती होकर इस क्रांति को दबाने में काफी मदद की थी एक आकड़े के अनुसार करीब 12000 नेपाली सैनिको की भर्ती की गई थी और इसके बदले में अग्रेजो ने नेपाल को कुछ जमीन वापस कर दी थी
1865 में गोरखा के राजा पृथ्वी नारायण सिंह ने छोटे - छोटे राज्यों को हराकर सभी को एकीकृत किया और इनके निधन के बाद अंग्रेजो की निगाह एक बार फिर नेपाल पर पड़ी और उत्तरा नए राजा श्री पाचवे राजेंद्र शाह ने चीन , बर्मा, मुगलों , अफगानिस्तान में अपने गुप्त राजदूत भेजे और वर्ष 1923 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस देश को मान्यता दी और इसी के साथ दक्षिण एशियाई देश में नेपाली राजदूत ब्रिटेन में नियुक्ति की गई
और इसी वर्ष 8 अप्रैल 1990 को आन्दोलन करके सभी राजनीतिक पार्टियों ने राजा से बहुदलीय राज प्रणाली व्यवस्था को लागू करने के लिए राजी कर लेते है लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी इस देश में राजा का पद बना हुआ था 21 वी सदी के शुरुआत से ही इसको लेकर काफी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले की राजा का पद खत्म करके पूरी तरह से लोकतंत्र की स्थापना की जाये इसी क्रम में मधेशियो का आन्दोलन काफी चर्चित रहा है और 2008 में जाकर राजा ज्ञाननेद्र ने आम चुनाव को सम्पन्न करवाया .....................
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