एनकाउंटर का सच
देश भर में समय समय पर इस शब्द को सुना जाता है की आज यहाँ पर पुलिसवालों ने एनकाउंटर किया है ऐसे में हमे सबसे पहले इसको समझना होगा कि एनकाउंटर क्या होता है और इसको लेकर क्या क्या नियम है
एनकाउंटर :- सबसे बड़ी बात ये ही है कि भारतीय संविधान में इस नाम का कोई शब्द ही नहीं है पुलिस के अनुसार माने तो जब सुरक्षाबलो का अपराधियों से भिडंत होती है तो इसमें जो गोलीबारी की जाती है उसे ही एनकांउटर का नाम दिया जाता है
CRPC की धारा 46 के अनुसार अगर कोई अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए कोशिश करे या पुलिस पर हमला करता है तो पुलिस उस पर हमला कर सकती है
एनकाउंटर को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जारी दिशा - निर्देश :-
1. वर्ष 1997 में NHRC के अध्यक्ष ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र भेजा था की फर्जी एनकाउंटर को पूरी तरह से रोका जाये
2. वर्ष 1993-94 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा था की हमारे किसी भी कानून में पुलिस को अधिकार नहीं है कि वो किसी भी व्यक्ति को मार दे जब तक की यह साबित न हो जाये की उसने ही कोई अपराध किया था
3.अगर ऐसी कोई घटना कही पर घटित होती है तो सबसे पहले दुसरे पुलिस स्टेशन की टीम को सूचित करे या उस राज्य की जाँच एजेंसी के जरिये जल्द से जल्द इसकी निष्पक्ष जाँच कराई जाए
4.अगर पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते है तो उस मृतक परिवार वालो को मुआवजा का प्रावधान किया जाये
5.वर्ष 2016 में एक बार फिर से NHRC संस्था ने कहा कि कई राज्यों की पुलिस निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर रही है
6. अगर ऐसा किसी स्थान पर घटना घटित होती है तो IPC के तहत पुलिस पर मामला दर्ज करके मात्र 3 महीने में ही इस केस की जांच मजिस्ट्रेट से कराके फैसला किया जाये
7.मात्र 48 घंटे के भीतर ही NHRC को पूरी रिपोर्ट देना आवश्यक बनाया गया है लेकिन आज भी कई राज्य की सरकारे इन नियमों का पालन नहीं करती है इसलिए कभी कभी फर्जी एनकाउंटर की भी घटनाओ को अंजाम दिया जाता रहा है .............
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