कविता : 04
बुढ़ापे का दुःख भरा जीवन : कविता
1. जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा
बूढों को तुम दे दो सहारा ,
तुम्हे भी कोई दे देगा किनारा
मत करो परेशान बूढों को ,
जिसका इस दुनिया में कोई नहीं
बनोगे जीवन में तुम भी बूढ़े ,
दोगे सहारा दुनिया में मिलेगा तुमको किनारा
उस बूढ़े की वाणी को सुन लो ,
बच्चा - बच्चा कहकर पुकारे
भोजन हमे दे दो बच्चा ,
बहुत दिनों से भूखा हूँ
उस बच्चे के मन में क्या है भरा ,
उस बूढ़े को पैर से मारा
वो मुर्ख ये नहीं समझता ,
बनेगा एक दिन वो भी बुढा
हो गई एक दिन उस बच्चे की शादी ,
उसके भी हुए एक दिन बच्चे
एक दिन ऐसा आया ,
अपने बच्चों से माँगा उसने अन्न का दाना
बच्चों ने न दिया उसे अन्न का दाना,
भटक रहा है वो बेचारा
आज हुआ उसे पछतावा ,
दिया न था उस बूढ़े को खाना मैंने
आज मेरे ही बच्चों ने मुझे नहीं दिए अन्न का दाना
कर्म किया था मैंने जैसा
फल मिला है मुझको वैसा ............✍✍✍By Neeti Gupta
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