सिगरेट पीना ज्यादा खतरनाक या प्रदूषित हवा ?


सिगरेट पीना ज्यादा खतरनाक या प्रदूषित हवा ?

फेफड़ो संबधी रोग , कैंसर , ह्रदय संबधी रोग और स्ट्रोक्स का आना ये सब वायु   प्रदूषण के चलते हो सकते है यही वजह है की वायु  प्रदूषण को अब न्यू स्मोकिंग या नया धुम्रपान कहा जा रहा है क्या आपने कभी सोचा की वायु प्रदूषण के कारण हमारी उम्र कितनी कम हो रही है ? 

वैज्ञानिको के एक समूह के मुताबिक़ बाहरी वायु प्रदूषण के कारण औसतन 3 वर्ष की उम्र कम हो रही है यह आकड़ा पहले के आकड़ो से लगभग दोगुना से भी ज्यादा है अब यह तम्बाकू सिगरेट के सेवन से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है  |


एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण 3 वर्ष की उम्र घटती है और वही HIV/AIDS से 7 माह और किसी देश से युद्ध होने पर लगभग 3 महीने की उम्र कम हो जाती है इंसानों की |
वायु प्रदूषण के चलते श्वसन सम्बन्धी रोगों का खतरा बढ़ जाता है इसके अलावा वायु प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर कई दूसरी तरह से भी असर होता है 
मेंज यूनिवसिर्टी के सर्वे के अनुसार जो परिणाम मिले है उसके अनुसार वायु   प्रदूषण एक महामारी की तरह है स रिपोर्ट में मानव जनित वायु प्रदूषण और प्राकृतिक वायु प्रदूषण दोनों के असर को देखा गया है प्राकृतिक वायु प्रदूषण  में रेगिस्तानी धूल और वन्य क्षेत्रो में लगने वाली आग जिससे बचा नहीं जा सकता है |


हर साल प्रदूषण से होने वाली मौतों में दो तिहाई से ज्यादा मौते इंसानी गतिविधियों के कारण होती है इसमें सुधार करके दुनिया भर में हर साल लगभग 55 लाख मौतों को रोका जा सकता है कुल लगभग 6 तरह की बीमारियों पर वायु   प्रदूषण के असर को मापा गया है इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर से लेकर फेफड़ो में कैंसर तक भी शामिल है  |

वायु प्रदूषण के कारण शरीर की कोशिकाओ में खाली अणुओ की संख्या बढती है  जिसे आक्सीडेटिव तनाव कहा जाता है इससे रक्त वाहिनियो को नुकसान होता है और इसके चलते ब्लड प्रेशर , डायबिटीज , स्ट्रोक , हार्ट फ़ैल , हार्ट अटैक के होने के खतरे बढ़ जाते है वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गो पर होता है दुनिया भर में होने वाली मौतों में 75% मौते इनकी ही होती है जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो गई होती है 
एक डाटा इस प्रकार भी है कि :- 
1. वायु प्रदूषण के कारण प्रतिबर्ष 80 लाख मौते होती है ,
2.तम्बाकू सेवन से 72 लाख प्रतिवर्ष मौते  ,
3.एड्स से 10 लाख प्रतिवर्ष मौते ,
4.मलेरिया से 6 लाख प्रतिवर्ष मौत ,
5.हिंसक घटनाओं से 5 लाख प्रतिवर्ष मौते होती है ..



नीति निर्माता और मेडिकल समुदाय को इस पर ज्यादा ध्यान देना होगा पिछले कुछ दशको में धुम्रपान की तुलना में वायु प्रदूषण पर कम ध्यान दिया गया है इनका मानना भी है की अगर जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन को कम किया जाये तो इंसानों की औसत आयु में अहम सुधार हो सकता है एक तरह से अगर जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाया जाये तो इंसानों की औसत उम्र कम से कम एक वर्ष तो बढ़ ही सकती है WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार धुम्रपान से जुडी बीमारियों की वजह से हर साल 80 लाख से अधिक लोगो की मौत हो जाती है |

असर : एक टीम काफी लम्बे समय से वायु प्रदुषण के असर को अलग अलग देशो पर शोध किया है इसके मुताबिक पूर्वी एशियाई देशो में वायु  प्रदूषण के कारण औसतन लगभग 4 वर्षो की कमी आई है जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में यह लगभग 8 महीने तक कम हुआ है इसी तरह चाड देश की रिपोर्ट ने तो पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था इस देश में वायु प्रदुषण के कारण प्रतिव्यक्ति की उम्र लगभग 7 से 8 वर्ष की कमी दर्ज की गई है |


मौत होने के आकड़े के बाद अगर आर्थिक नुकसान पर नजर डाले तो हमें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के कारण प्रतिदिन पूरी दुनिया को लगभग 8 अरब डालर का नुकसान होता है यह राशि ग्लोबल इकोनोमिक का लगभग 3.5% है   प्रदूषण    के कारण अगर कुछ देशो के डाटा को देखा जाये तो इस प्रकार जैसे:-
 1.चीन देश को : 900 अरब डॉलर का नुकसान प्रतिवर्ष  ,
 2.अमेरिका 600 अरब डालर और 
3.भारत देश को 150 अरब डालर का नुकसान प्रतिवर्ष सभी प्रकार के होने वाले  प्रदूषण शामिल है |


भारत की राजधानी दिल्ली में रहने वाला प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 10 सिगरेट पीने के बराबर धुँआ ग्रहण करता है वायु प्रदुषण का प्रभाव गर्भवती महिलाओ पर सबसे अधिक पड़ता है प्रतिवर्ष दुनिया में 20 लाख बच्चे निश्चित समय जो 9 माह माना गया है उससे बहुत ही पहले पैदा हो जाते है समय से पहले पैदा होने वाले बच्चो की कितनी समस्या आती है किसी महिला से आप पूछ लीजिये 

भारत के आज ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी लगभग 85% घरो में लकड़ी के माध्यम से ही भोजन तैयार होता है केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना उतना सफल नहीं हुआ जितना सफल बताया जा रहा है क्योकि 57% लोगो ने दुबारा गैस सिलेंडर को भरवाया ही नहीं क्योकि लगातार गैस के दाम बढ़ते ही  जा रहे है 
प्रतिवर्ष जारी होने वाले प्रदूषण की रिपोर्ट में भारत का स्थान पहला ही होता है चाहे रिपोर्ट भारत सरकार के माध्यम से हो या अलग कोई विदेशी संस्था तैयार करे 


सवाल : आखिर हमारी सरकार क्या कर रही है चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार ? 
लगता है इस सरकार का पूरा जोर केवल चुनाव लड़ने से सरकार बनाने तक ही सीमित है देश में बढ़ते प्रदूषण का मिजाज इसी तरह रहा तो आने वाले दिनों में मानव सभ्यता का विनाश हो जाएगा 
ध्यान देने वाली बात ये भी है की सबसे अधिक नुकसान भारत को ही होगा दुनिया भर में नियम कानून की कोई कमी नहीं है कई बड़ी बड़ी संस्था भी इस पर काम कर रही है  
लेकिन जब तक सभी देश की सरकारों के साथ देश की जनता और बड़ी बड़ी कंपनिया मिलकर काम नहीं करेंगी तक तक ऐसा ही होता रहेगा 
1.आपके किन गलतियो के कारण से प्रतिदिन वायु प्रदूषण  होता है ?
2.वायु 
प्रदूषण को रोकने के लिए क्या आपके पास कोई ठोस कदम है ?..................


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