गीता प्रेस , हिन्दू धर्म ग्रंथो को छापने वाला दुनिया का सबसे बड़ा पब्लिसिंग हाउस है यह अब तक करीब 41 करोड़ किताबे छाप चुका है जिसमे से 16 करोड़ किताबे भगवत गीता , 11 करोड़ रामचरित मानस , 2 करोड़ पुराण और उपनिषद है
कमाई की बात करे तो 2022 में 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर रहा जबकि 2016 में सिर्फ 39 करोड़ रुँपये हर साल गीता प्रेस के टर्न ओवर में बढ़ोतरी होती चली गई यहाँ तक की GST , नोटबंदी और कोविद के दौर में जब बाकी पब्लिसिंग हाउस की कमाई में गिरावट आई तो इस संस्था का उद्देश्य सनातन धर्म के मूल्यों को आम लोगो तक प्रचार प्रसार करना गीता प्रेस को हाल ही में 2021 का गाँधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई
1923 में बंगाल के मारवाड़ी विजनेस मैन जयदयाल गोयनका ने गीता प्रेस की शुरुआत की उर्दू बाजार में 10 रुपये महीने के किराये पर प्रेस की शुरुआत की थी 1926 में 10 हजार रूपये में साहिबगंज के पीछे एक मकान ख़रीदा गया आज भी यह गीता प्रेस का मुख्यालय है प्रेस से छपने वाली किताब की शुरूआती कीमत 2 रुपये थी
किताब छपने के लिए रॉ मटेरियल सीधे खरीदता है इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर किराया जैसे बड़े खर्च बच जाते है इसके अलावा गीता प्रेस , गीता वस्त्र विभाग और गीता आयुर्वेद विभाग के जरिये कपड़े और दवाइया बेचता है और 15 भाषाओ में प्रतिदिन 50 हजार किताबे छपती है |
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