सोने की कीमतों का निर्धारण कैसे ?




सोने की  कीमतों  का निर्धारण   कैसे  ? 

 सोने की चमक से आज सब हैरान है सोने की कीमतें भी कोरोना वायरस से प्रभावित हुई  थी अक्सर देखा गया कि जब कभी भी दुनिया में कोई बड़ा संकट  मडराने लगता है तो उस समय सोने के दाम इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि निवेशक इसे निवेश का सबसे  सुरक्षित  माध्यम मानने लगते हैं सोना हमेशा से निवेशकों को उनके भविष्य के बारे में विश्वास दिलाता है



 हालत आज यह है कि सोना स्टैंडर्ड प्रति 10 ग्राम 64000  रुँपये  की सीमा रेखा को पार कर चुका लगातार 64000  के पार की ओर बढ़ रहा है  मात्र  पिछले तीन माह में सोने  ने लगातार जबरदस्त चलांग लगाई है और सभी को  चका  - चौध कर दिया है और अगर पिछले साल से तुलना करें तो लगभग 25% की वृद्धि हो गई है और इस समय लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है

 सोने के दाम इतने बढ़ जाएंगे ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था वैसे भी ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वर्ष भी सोने का वर्ष है जिस तरह से लगातार कीमती बढ़ रही है 



भारत में सोने की कीमत बढ़ने का एक कारण यह भी है क्योंकि भारत में अब सभी सोने की खदाने लगभग पूरी तरीके से बंद कर दी गई है अर्थात भारत में सोने की उत्पत्ति पूरी तरह से  रुक गया है इसलिए भारत देश को सारा सोना विदेश से मंगवाना पड़ता है 

 भारतीयों  के  सोने के प्रति मोह का इस  बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में हर साल औसतन 800 टन सोना विदेशो  से आता है भारत में गरीब से लेकर अमीर तक सभी सोने के ही दीवाने हैं 



यह पीली धातु हमें  सदियों  से  ललचाती  रही है और हमारे देश की महिलाये  हमेशा से सोने की दीवानी रही है और इसलिए हम वर्षों से ही सोने का आयात विदेश से करते आ रहे हैं लेकिन लगातार बढ़ती कीमत देश की आयात बिल को बिगाड़ देती है सोने की कीमत भी भारत देश में अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर ही तय होता है 

सच तो  ये  है की पूरी दुनिया में सोने की कीमतों का रेट लगभग एक समान ही होता है लेकिन सबसे बड़ा अंतर टैक्स रेट से पड़ता है इसके साथ ही समय समय पर आने वाली महामारी हो या दो देशो के  मध्य  युद्न  इन सब से भी सोने के दाम घटते और बढ़ते रहते है   क्योंकि निवेशक इसे निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम  जो मानते हैं 



पिछले दिनों जब  चीन और अमेरिका की  मध्य  ट्रेड वार  चल रहा था तो भी सोने के दाम बढ़ गए थे और उसके पहले अमेरिका और ईरान के  मध्य  तनाव ऐसी दुनिया भर में समय पर कोई ना कोई विवाद  जरूर होता रहता है जिसके कारण से हमेशा सोने का दाम  बढ़ा  ही रहता है और  इसी कारण बड़े निवेशक सोने  के व्यापार खरीद बिक्री करने में ही अपना भविष्य देखते हैं



शायद यही कारण  भारत देश में भी हमारे यहां बेटियों के विवाह के अवसर पर सोना देकर विदा  करने का रिवाज रहता है और आगे भी बना रहेगा सोने की कीमत भी अर्थशास्त्र  के सामान्य नियम है " आपूर्ति और मांग "( डिमांड एंड सप्लाई ) पर निर्भर करता है दुनिया भर में सोने की  खदाने  बहुत ही कम है भारत में तो बस गिने चुने  खदान है और इसमें उत्पादन भी बहुत कम होता है  इसके बाद भी  मांग हमेशा बाजार में अधिक बनी रहती है इसी वजह से यह दुर्लभ कमोडिटी है जिसके कारण से कीमते हमेशा हाई लेवल पर रहती है



 दिलचस्प बात यह है कि सोना अन्य जिंसों की तरह उपयोग के बाद खत्म नहीं होता है यह  हमेशा बना रहता है बस  रूप परिवर्तित किया जाता रहे  और  हर वर्ष  पूरी दुनिया में सोने की उपस्थिति बढ़ती जाती है इतना  भण्डारण  होने के बावजूद इसकी  कीमतों का न  गिरना  अपने आप में एक कहानी है 

सोने के साथ एक और बात है कि वह आभूषण बनाने तथा छोटे-मोटे उद्योग के अलावा किसी और काम  में नहीं आता इसलिए इसे  डेट एसेट  भी कहते हैं 



सोना खरीदने वालो  में आम जनता और कुछ कॉर्पोरेट के अलावा दुनिया भर के सेंट्रल बैंक भी हैं जो अपनी तिजोरी में देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार सोने की खरीद बिक्री करते हैं इस प्रकार सेंट्रल बैंक दुनिया भर में सोने के सबसे बड़े ग्राहक होते हैं यह एक बार में ही सैकड़ो टन  सोना खरीदते हैं और बाद में समय आने पर इसे बाजार में बेचते भी हैं सेंट्रल बैंक का सोना खरीदने का सबसे अच्छा समय तब माना जाता है जब मार्केट में सोने की बिक्री बहुत कम हो रही हो और जब  ये  सभी अपने खरीदे  सोना को बेचते हैं तो अचानक रेट कम होने लगता है 

इसलिए ही तो 1993 में 13 देश के केंद्रीय बैंकों ने आपस में एक समझौता किया इस समझौते के तहत यह तय किया गया कि हम सोना  जब भी बाजार में बेचेंगे तो बहुत ही चालाकी से बेचेंगे  जिससे बाजार में अचानक कीमत में  कमी न   देखी जाए एक साथ में न बेचकर थोड़े-थोड़े मात्रा में बेचने का सुझाव दिया इस समझौते को वाशिंगटन समझौते के नाम से जानते हैं और 2004 में इसमें कुछ संशोधन में किया गया था

 इसके साथ ही सोने के साथ एक और बात देखी गई है वह  ये  की सोने की खदानों के प्रमोटर भी इसकी खुदाई बहुत सोच समझ  कर  ही  करते  हैं ताकि बाजार में इसकी बहुलकता ना आ सके इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल स्वर्ग उद्योग के हितों का भी ख्याल रखती है और बाजार में  बढ़ते -घटते  दामो से हमेशा रूबरू होते  रहती  हैं ताकि उनका मुनाफा बना रहे इसके साथ ही यह संस्था दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों से भी संपर्क बनाए रहती है ताकि सोने के दामों में अचानक ज्यादा  उतार चढाव  ना आ सके 



 इन सबके अलावा एक और फैक्टर है जो सोने की कीमत में उतार चढ़ाव होने के लिए जिम्मेदार मानी जाती है अंतरराष्ट्रीय  सट्टेबाजी  या सटोरियों का बड़ा खेल कारोबार की दुनिया में यह  बात  एक सामान्य रूप से मानी जाती है पश्चिमी देशों तथा अमेरिका में तो यह खूब प्रचलित  है सोने के अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाज  ज्यादातर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में है 

अमेरिकी अरबपति सट्टेबाज जार्ज  सोरांस  जैसे खिलाड़ी समय समय पर सोने पर सट्टा लगाकर इसकी कीमतों को बढ़ा देते हैं इसकी फंडिंग सऊदी अरब  के अरबपति इन  जैसे सट्टेबाज को फंडिंग करते रहते हैं इसके लिए कई हेज फंड बने हुए हैं

 ऐसा नहीं है कि भारत में इस पर सट्टा नहीं लगता लेकिन सीमित मात्रा में भारत में हमेशा सोने की कीमत शादियों के समय बढ़ जाती है भारत में सोने की तस्करी  बढ़ने  का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि यहां पर 15% कस्टम ड्यूटी और 3 %  GST  होने के कारण तस्करी को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है और इसलिए हमेशा मांग में बना रहता है सोना  ने अपने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया इसलिए समझदार निवेशक  सोने को अपनी बचत पोर्टफोलियो में हमेशा रखते हैं .....

1.आप अपने पास कितना सोना रखना चाहते हैं  ? 

2. भारत में सबसे अधिक सोना कहां है ? बैंकों के पास , महिलाओं के पास ,मंदिरों में या  मार्केट में......................

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