बैंकों का विलय : फायदे और नुकसान



 बैंकों का विलय : फायदे और नुकसान 

भारत सरकार पिछले कई वर्षो से बैंकों की विलय करने की घोषणा करती आ रही है और समय समय पर एक साथ कई छोटे - बड़े बैंको का एक में विलय कर लिया जाता है कुछ समय पहले ही केन्द्रीय कैबिनेट ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चार बैंकों में विलय करने की मंजूरी दिया और जो अप्रैल 2020 से लागू भी हो गया था

देश भर में बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़े विलय के बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या मात्र 12 रह गई है दरअसल घरेलू और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बैंकिंग उद्योग में विलय करने की आवश्यकता काफी लंबे समय से महसूस की जा रही थी बैंकिंग सेक्टर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा होती है और बैंक जनता के धन की विश्वासी भी होती है इसलिए शेयर धारको की तुलना में जमाकर्ता बैंकों के कल्याण में कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हैं 



एक बैंक का विफल होना एक हाई-फाई कंपनी के विफल होने की तुलना में कहीं  ज्यादा खतरनाक होता है विलय और अधिग्रहण आज बाजार की रणनीति का भी अभिन्न हिस्सा बन गया है यह एक निश्चित भौगोलिक पैरामीटर तक सीमित नहीं है न हीं यह एक नया विकास है दरअसल यह एक वैश्विक घटना है एक आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में हर साल 4000 से अधिक बैंकों का या तो विलय होता है या उनका अधिग्रहण होता है 


भारत में बैंकिंग सेक्टर के विलय करने की बात कोई नई नहीं है यह आधुनिक बैंकिंग की शुरुआती दिनों में जारी है जब 18वीं सदी में अंग्रेजी हुकूमत में तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों का विलय करके इंपीरियल बैंक आफ इंडिया का गठन किया गया था जो वर्तमान में स्टेट बैंक आफ इंडिया ( SBI )  के रूप में काम कर रहा है आज के वैश्विक आर्थिक परिवेश में दक्षता में सुधार करना नए बाजारों तक पहुंच कायम  करना और नई क्षमताओं का निर्माण करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है 

विनिवेश और प्रतिस्पर्धा ने बैंकों को अपने रिटर्न को बढ़ाने के लिए नए-नए तरीकों की तलाश करने के लिए मजबूर किया यह एक स्पष्ट तथ्य है कि नई कंपनियों की स्थापना की तुलना में विलय और अधिग्रहण के माध्यम से विकास सस्ता और तेज होता है बैंकिंग सेक्टर में विलय और अधिग्रहण प्रतिस्पर्धा में अभूतपूर्व वृद्धि , पूंजी प्रवाह के निरंतर उदारीकरण, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वित्तीय प्रणालियों का एकीकरण और वित्तीय नवाचार आदि के मुख्य कारण है |



फायदा : 

1. बैंकों का यह विलय लेनदेन की लागत को कम करके अर्थव्यवस्था के आकार को बढ़ाएगा

2. वित्तीय ताकत बढ़ेगी

3. बैंकिंग अधिक जोखिम ले सकेंगे

4.किसी नए बाजार में आसानी से परिवेश मिलेगा

5. कम संसाधनों की आवश्यकता होगी

6.पूंजी पर्याप्तता के कंडीशंस को आसानी से बैंक पूरा कर सकेंगे

7. यह विलय भारतीय बैंकों को बड़े आकार में लाभ प्रदान करेगा 

नुकसान और चुनौतियां : 

1.NPA की समस्या 

2. कर्मचारियों की संख्या में कमी होगी

3. काम का बोझ बढेगा 

4.तालमेल की कमी



कुछ विशेष बातें : 

1. संपत्ति के आधार पर भारत का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक है शाखा के आधार पर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बैंक भी यही है पहले स्थान पर चीनी बैंक ICBC की शाखाएं हैं 

2. SBI बैंक आज दुनिया के टॉप 1000 बैंकों में से 55 वे स्थान पर है टॉप 50 में चीन के 11 बैंक हैं टॉप 50 में भारत का कोई भी बैंक नहीं है 

3. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बाद भी हमारे पास कोई भी बड़े आकार का बैंक नहीं है

4. प्राइस वाटर हाउस कूपर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2040 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बैंकिंग हब बन सकता है और तेज आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली महत्वपूर्ण है 

5. केंद्र सरकार का यह फैसला बैंकिंग सेक्टर की व्यापकता और गुणवत्ता में निश्चित ही सुधार लायेगा और इसके साथ ही दूरगामी परिणाम होंगे

6. RBI के अनुसार भारत में NPA का लोन रेशियों मार्च 2023 तक 3.9% था

7. RBI की ही रिपोर्ट से पता चला है कि चीन , तुर्की , फिलिपींस , ब्राजील और इंडोनेशिया सही 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय बैंकों का NPA सबसे ज्यादा है 2018-19 में 936 करोड रुपए का था जो 2019-20 में 10 लाख करोड रुपए से भी अधिक हो गया और अब कम होने के बजाय लगातार बढ़ ही रहा है |



8. कुछ और समस्या लगातार आ रही है बैंकों के सामने जैसे साइबर अटैक :  बैंकिंग सेक्टर से भारत में लेनदेन के लिए आज भी 90% भुगतान नगदी के माध्यम से ही किया जाता है लेकिन कंप्यूटर और बढ़ते स्मार्टफोन की संख्या भी एक चिंता का विषय बन गया है |

9. हमारे सामने रेंसमवेयर साइबर अटैक दुनिया के 155 देश में घटित हुआ है और इससे भारतीय बैंक भी प्रभावित हुए पिछले दो वर्षों में करीब 32 लाख डेबिट और क्रेडिट कार्ड डाटा के साथ धोखाधड़ी भारत में हुई है |

10. पिछले 5 वर्षों में देखा जाए तो बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 20% मामले और बढ़ गए जो एक चिंता का विषय है .........




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