भारत में कब लागू होगा जनसंख्या नियंत्रण कानून ?
हाल ही में शिवसेना के सांसद ने जनसंख्या कानून बिल पेश करने की मांग संसद में उठाई इसके लिए शिवसेना ने " छोटा परिवार बेहतर परिवार " का नारा दिया
विस्तार : सरकार पहले ही यह बात कह चुकी है कि भारत की महत्वपूर्ण शक्तियो में मानव संसाधन भी एक कारक रहा है लेकिन यह भी सोचना जरूरी होगा की जनसंख्या के बढ़ने के साथ भूमि का विस्तार नहीं होता है प्राकृतिक संसाधन नहीं बढ़ते इसलिए एक समय के बाद जनसंख्या वृद्धि एक मुसीबत बन जाती है
एक मजबूत देश की कल्पना जहा सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य ,रोजगार की सुविधा मिले वह अधर में ही लटक जाता है विकास की गति थम सी जाती है सामाजिक और प्राकृतिक विषमताएं कुकुरमुत्ते की तरफ फैल जाती है ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय हीत को ध्यान में रखते हुए कठोर निर्णय लिया जाए ताकि विकासवादी नीतियों का विस्तार दिख सके
वर्ष 2020 के पहले दिन अर्थात 1 जनवरी 2020 के दिन ही पूरी दुनिया में कम से कम चार लाख बच्चों का जन्म हुआ था इन चार लाख बच्चों में से 68000 बच्चे भारत में ही पैदा हुए थे और वहीं चीन में 46000 पैदा हुए थे अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन यह भी मान चुके हैं कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया में जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश होगा चीन दूसरे स्थान पर होगा
और इस बात की भी उम्मीद है कि आने वाले 100 वर्षों तक कोई भी देश भारत को पहले पायदान से हटा भी नहीं पाएगा यह स्थिति हाइड्रोजन बम से भी खतरनाक हो सकती है |
समस्या : भारत के पास पूरी दुनिया का मात्र 2.43% भूमि है जबकि दुनिया की आबादी का 17.5% जनसंख्या भारत में ही रहती है पेयजल का मात्र 4% ही भारत देश के पास है भविष्य के संदर्भ में देखा जाए तो यह समस्या घातक है और अभी से कई राज्यों में पेयजल की समस्या होने लगी है दिल्ली में पेयजल की समस्या पुरे विश्व में चर्चा का विषय बनी रहती है इसके साथ ही चेन्नई में गर्मी के मौसम में तो नदिया तलाबे तक सुख जाती है ऐसे ही उत्तर प्रदेश के कई शहरो के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या आने पर खेती करने से सरकार को रोक लगानी पड़ती है
निरतंर बढ़ती जनसंख्या के बीच देश की प्रगति और विकास कार्यों के लिए तैयार किए जाने वाले प्रारूप बाधक बनकर सामने आ रहे हैं आर्थिक समस्या विकराल रूप लगातार ले रही भारतीय प्रधानमंत्री भी इस बात को लेकर कई बार अपने भाषण में कह चुके हैं की बढती आबादी एक समस्या है देश के लिए |
वहीं कई विशेषज्ञो ने इस बात की आलोचना भी की है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है क्योकि कई लोग इसे धर्म से जोड़कर देख रहे हैं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्म गुरु मौलाना डॉक्टर कल्वे सादिक ने कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है हम सभी का दायित्व है कि सब मिलकर देश को बेहतर बनाया और ऐसा तभी होगा जब जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होगा
आज हमारे पास स्वयं का अनाज, दवा और पानी है लेकिन अगर जनसंख्या कंट्रोल नहीं हुई तो हमें दूसरे देशों पर निर्भर होना होगा इसलिए कानून की जरूरत है जिससे कोई भी राजनीतिक दल इनकार नहीं कर सकता |
आखिरकार यह समस्या इतनी विकराल कैसे हुई ? देश की आजादी के बाद वर्ष 1951 में भारत की आबादी 36 करोड़ थी और वर्ष 2020 में 136 करोड़ वर्ष और आज 2024 में 142 करोड़ से भी कही अधिक हो गई है 1971 तक दुनिया में हर सातवां व्यक्ति भारतीय था और आज हर छठवा व्यक्ति भारतीय |
आर्थिक समीकरण भी भारत के विपरीत है भारत के करीब 60% आबादी गाँवो में आज भी निवास करती है जिनका मुख्य पेशा खेती और पशुपालन ही है देश की GDP में खेती और पशुपालन का योगदान मात्र 18% ही है जबकि काम करने वालों की संख्या 50% से ज्यादा है |
आबादी बढ़ने के कई उल्लेखनीय कारक है जैसे : स्वास्थ्य सेवाओं का लगातार बेहतर होना , बच्चों की मृत्यु दर में कमी आना , एक कारण शिक्षा की कमी भी रही है , दक्षिण भारत और उत्तर भारत के राज्यों में जनसंख्या दर में भारी अंतर है , सबसे ज्यादा तेजी हिंदी भाषी राज्यों में है इसकी वजह से राज्य स्तरीय पलायन भी एक समस्या बन गई है |
चीन से अगर तुलना किया जाए तो भारत की स्थिति कुछ इस प्रकार है भारत का क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है या साधारण शब्दों में कहे तो भारत से चीन 3 गुना बड़ा देश है लेकिन आबादी वृद्धि की दर 3 गुना ज्यादा , चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और वही भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे , देश में मौजूद जल, जंगल ,जमीन , रोटी - कपड़ा- मकान और गरीबी, बेरोजगारी , भुखमरी आदि समस्या के पीछे का कारण जनसंख्या विस्फोट ही बताया गया है |
अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की स्थिति दयनीय होने का कारण भी जनसंख्या विस्फोट ही माना गया है जैसे : -
1.ग्लोबल हंगर इंडेक्स 103 वां स्थान ,
2.साक्षरता दर 168 वा स्थान ,
3.वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 140 वा स्थान ,
4.ह्युमन डेवलपमेंट इंडेक्स 130 वा स्थान ,
5.सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स 53 वा स्थान ,
6.यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स 134 वा स्थान ,
7.होमलेस इंडेक्स 8 वा स्थान
और ऐसे कई आंकड़े में भारत की स्थिति गड़बड़ दिखाई दे रही है |
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण GDP में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है यदि किसी देश में जनसंख्या तेजी से बढ़ती है तो देश में मौजूद आधारभूत संरचना और संसाधनों पर भी दबाव बढ़ता है जिससे देश का विकास प्रभावित होता है |
एक अनुमान तो अभी से ये भी लगाया जा रहा है कि आने वाले 2050 तक भारत की जनसंख्या 1.6 अरब (160 करोड़ ) हो जाएगी यह बात सभी जानते हैं फिर भी बढ़ती आबादी को रोकने के लिए कोई सार्थक प्रयास अभी तक नहीं किया गया है आज हमारे पड़ोसी देश चीन की अर्थव्यवस्था नई दुनिया में अपना महत्वपूर्ण मुकाम स्थापित किया तो इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उसने समय रहते ही अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण कर लिया था मगर हमारे देश का यह दुर्भाग्य ही है की सभी राजनीतिक पार्टिया वोट बैंक की राजनीति और इस पर होने वाले सियासत विकास के बढ़ते कदम को रोक देती है जिसका नुकसान हमे आर्थिक मोर्चे पर उठाना पड़ता है .................
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