बच्चे कम पैदा करना किसकी जिम्मेदारी ? स्त्री या पुरुष
विश्व बैंक के अनुसार जब भारत आजाद हुआ था तो एक महिला औसतन 6 बच्चों को जन्म दे रही थी जनसंख्या नियंत्रण पर पहला कदम 1952 की पहली पंचवर्षीय योजना में उठाया गया 1976 में आई पहली राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के तहत परिवार नियोजन को टारगेट किया गया इस दौरान नसबंदी करवाने में करीब 2000 पुरुषों की मौत हो गई थी कुल नसबंदी का 46% महिलाओं ने करवाया था 1980 में ये 85% हो गया लेकिन 2015-16 के आंकड़े के अनुसार परिवार नियोजन में पुरुषों की नसबंदी का हिस्सा मात्र 0.3% है |
इमरजेंसी के दौरान लाखों पुरुषों की नसबंदी के बाद भी 1981 की जनगणना के आकड़े सामने आई तो जनसंख्या वृद्धि दर में कमी न होकर थोड़ी बढ़ी हुई थी सरकारी नीति के हटने के बाद नसबंदी का फैसला पुरुष के आर्थिक स्थिति पर आधारित था या फिर उनके घर में बेटा पैदा हुआ या नहीं 1990 के दशक में संविधान संशोधन में पंचायती राज में औरतों, दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित आरक्षित की गई लेकिन चुनाव लड़ने के लिए दो या उससे कम बच्चे होने की शर्त रखी गई |
कई ऐसे उदाहरण मिलते है की पुरुष ने चुनाव जीतने के बाद तीसरा बच्चा होने पर पत्नी को तलाक दे दिया या झूठा इल्जाम लगा दिया दूसरी शादी कर लेना वहीं महिलाएं अगर चुनाव जीती और बाद में बच्चा हुआ तो या तो उसे दूसरे गांव में जाकर जन्म दिया बेटा हुआ तो पद छोड़ दिया और लड़की होने पर उसे ही छोड़ दिया भारत में 12वीं तक पढ़ाई कर चुकी औरते अब कम बच्चे पैदा कर रही हैं करीब 40% पुरुष मानते हैं कि गर्भनिरोधक सिर्फ औरतों की जिम्मेदारी है ऐसे में हम सभी बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के बारे में कैसे सोच सकते हैं........................
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