social media कैसे बनी शोषण media
मौजूदा समय में सोशल मीडिया हमारे लिए वरदान के साथ अभिशाप की तरह भी सामने आ रही है ठीक उसी तरह जैसे पिछली सदी के नौवे दशक में अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन का देश में तेजी से प्रचलन बढ़ा था जबकि इसका मकसद बहुत ही फायदेमंद और नेक था पलक झपकते ही गर्भावस्था के दौरान बच्चा में किसी भी समस्या का पता लगाने में आसानी होने लगी लेकिन कुछ लोगों की चालाकी और पैसा कमाने के चक्कर में इस अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन को जिसे जीवन दाई माना जा रहा था उसे एक किलिंग मशीन के रूप में बदल दिया गया
क्योकि जान बचाने वाली इस मशीन से बहुत तेजी से आने वाले बच्चों की जान लेनी शुरू कर दी गई और देश में लिंगानुपात लगातार घटने लगा अर्थात लोग अधिक लड़का पैदा करने के चक्कर में लड़कियों को पैदा होने से पहले ही दवा का सेवन कर के मार दिया जाता था क्योंकि भारत में आज भी लोगों को लड़की के स्थान पर लड़का पैदा करना ज्यादा पसंद है ठीक इसी तरह आज दुनिया भर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम , यूट्यूब आदि की वजह से देश भर में मौत का कारण बन रही है |
आज सोशल मीडिया की भूमिका सामाजिक समरसता को बिगाड़ना और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बांटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाली हो गई है सबसे बड़ा उदाहरण आपके सामने कुछ समय पहले भारत की राजधानी दिल्ली में घटित घटनाओं को देख और समझ सकते है मामले की गहराई तक जाने पर पता भी चलता है कि इस घटना के होने के कई और कारण थे
गिरफ्तार लोगो से जप्त मोबाइल फोन इसका सबसे बड़ा सबूत भी है क्योंकि उनके फोन से कई बड़े-बड़े व्हाट्सएप ग्रुप का पता चला है जिसे इस घटना को भड़काने के मकसद से कई वीडियो और धार्मिक अफवाह, झूठी खबरें , धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचने वाले बड़े पैमाने पर मैसेज का आदान-प्रदान किए गए थे इसके साथ ही कुछ स्थानीय नेता हर पार्टी के लोग शामिल थे जिन्होंने ट्विटर पर भड़काने वाले कई मैसेज भेजकर उत्साहित है
हर बार की तरह इस घटना में एक बात और देखी गई वह यह की कई वीडियो में जो दिल्ली में घटित घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं था लेकिन उस वीडियो में बताया गया कि यह वीडियो दिल्ली के घटित घटना का है उसके बाद जो दिल्ली के उत्तर पूर्वी राज्य में हुआ भारत के साथ पूरी दुनिया ने खूब देखा
मिली जानकारी के अनुसार यह भी बताया गया है कि व्हाट्सएप और फेसबुक पर कई बड़े ग्रुप ऐसे बनाए गए हैं जो किसी एक धर्म समुदाय या किसी एक निश्चित मकसद के लिए बनाया गया इसका फायदा या नुकसान यह होता है कि एक बार पोस्ट करने पर तुरंत लाखों करोड़ों लोगों के पास वह सूचना पहुंच जाती है इन ग्रुप से सबसे अधिक फेक न्यूज़ ही फैलाया जाता है और इस प्रकार आज यह कहना गलत नहीं होगा कि सामाजिक सौहार्द के सामने सोशल मीडिया एक चुनौती बनकर खड़ी है
एक ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक सद्भावना बिगाड़ने की खबरें लगातार आ रही है तब सोशल मीडिया एक सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभा सकता है लेकिन क्या ऐसा हो पा रहा है देश में ?
इसमें कोई शक नहीं है कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया एक चिंता का विषय बन गया है ऐसा हम या आप नहीं कह रहे हैं बल्कि स्टेटिका की एक रिपोर्ट के अनुसार आज देश में लगभग 20 से 30% से अधिक लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय है फेसबुक के आज देश भर में लगभग 20 करोड़ जबकि , ट्विटर पर 2.6 करोड़ , व्हाट्सएप पर 20 करोड़ यूजर है जो प्रतिदिन कभी ना कभी सक्रिय जरूर होते हैं
धीरे-धीरे सोशल मीडिया में सही सूचना और अफवाह में अंतर मिटता जा रहा है दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देश दुनिया में अराजकता सोशल मीडिया के लिए एक पहचान बनता जा रहा है
अब तो सोशल मीडिया पर भड़काऊ बातें लिखकर बड़ी बड़ी घटनाओ को अंजाम दिया जा रहा है इतना ही नहीं उसमें फिर आग में घी का काम सोशल मीडिया पर ही लोग करते हैं
सबसे बड़ी और सही बात ये भी है की होली के समय आपको यह बातें कुछ ज्यादा ही स्पष्ट हो जाएगी कि सोशल मीडिया पानी की तरह है जिसमें जैसा रंग डालोगे वह वैसा ही रंग दिखेगा कुछ लोगों को वह अच्छा भी लगता है और किसी को बुरा भी सही मायने में सोशल मीडिया अच्छे व बुरे दोनों की तरह है |
वर्ष 2018 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट जारी किया जिसमें भारत देश के बारे में बताया गया था कि भारत में सक्रिय सोशल मीडिया में पोस्ट पर नफरत और उस पर जवाबी हमले के आंकड़े बहुत ही अधिक थे इस रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि न सिर्फ धर्म बल्कि पहनावा और खान-पान से जुड़ी हुई धार्मिक सांस्कृतिक प्रथाएं भारतीय सोशल मीडिया में मौजूद नफरत फैलाने के लिए सबसे स्पष्ट आधार थी यह आकड़े कोई कम नहीं बल्कि 20 से 30% है देश भर में |
पिछली लोकसभा में तत्कालीन गिरिराज मंत्री हंसराज अहीर ने एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि 2017-18 में फेसबुक और ट्विटर समेत कई वेबसाइट पर 2245 आपत्तिजनक सामग्रियों के मिलने की शिकायत की गई थी इनमें से जून 2018 तक 1662 सामग्री हटा दी गई थी फेसबुक से सबसे ज्यादा 956 आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाया गया था इनमें सबसे ज्यादा मामले थे जो धार्मिक भावनाएं और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को उल्लंघन करते पाए गए थे
एक अनुमान के अनुसार हर 40 मिनट में फेसबुक से संबंधित एक पोस्ट को हटाने की सिफारिश की जाती है इसी तरह 13 दिसंबर 2019 को सूचना प्रसारण मंत्री ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्पष्ट तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग होने की बात को स्वीकार किया था
दुनिया भर में सोशल मीडिया का कितना खतरनाक असर पड़ा कुछ ही वर्ष पहले लंदन में घटित घटनाओ के पीछे सोशल मीडिया का ही हाथ बताया गया था यूनेस्को की एक रिपोर्ट 2017 में जारी की गई थी वर्ष 2018 में श्रीलंका में फैले अफवाह का सबसे बड़ा कारण फेसबुक को ही बताया गया था और श्रीलंका देश में पूरे हिस्से में इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी थी और श्रीलंका गवर्नमेंट ने फेसबुक पर बैन भी लगा दिया था यह घटना बताती है कि किस कदर दुनिया में सोशल मीडिया ने आतंक मचाया
कानून : वर्ष 2013 में राष्ट्रीय एकता परिषद की एक बैठक बुलाई गई थी बैठक का मकसद था मुजफ्फरनगर की घटना पर विचार करना और आगे से ऐसी घटना कही और न घटित हो जिसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे ही नहीं थे और इस बैठक में ही तय भी हो चुका था कि सोशल मीडिया एक खलनायक की तरह है
पर लगाम कैसे लगाया जाए इस बात पर किसी ने मुख तक नहीं खोला और आज वही लोग बड़ी-बड़ी बातें करते है |
कई लोगो का कहना है कि सोशल मीडिया पर कठोर कानून केवल चीन देश ही बना सकता है क्योंकि भारत में अलग-अलग समुदाय और अलग-अलग समाज के लोग रहते हैं जिन पर कोई भी कठोर नियम कभी भी कानून की तरह साबित नहीं होगी सोशल मीडिया से जुड़े कई मामले आज भी कोर्ट में पड़े हुए हैं इसलिए सरकार को तो तुरंत कोई कठोर कदम उठाना चाहिए
नफरत फैलाने के खिलाफ कड़े कानून : जैसे
1.मलेशिया देश में झूठी खबर फैलने पर आर्थिक सजा या 6 साल तक की जेल की सजा
2.जर्मनी देश : आम लोगों पर 50 लाख यूरो (करीब 40 करोड रुपए ) और उस कंपनी पर 5 करोड़ यूरो का जुर्माना लगाने का प्रावधान
3.ऑस्ट्रेलिया देश : कंपनी पर टर्न ओवर का 10% तक जुर्माना और उसके एग्जीक्यूटिव को 3 साल तक की जेल का प्रावधान और आम लोगों को 168000 आस्ट्रेलियाई डालर (करीब 80 लाख रुपए ) तक का जुर्माना देना पड़ सकता है
4.फ़्रांस देश : फ्रेंच ब्रांड कास्टिंग अथॉरिटी को नेटवर्क को ऑफ करने का अधिकार है
5.रूस देश : सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलने पर किसी प्रकाशन को 16 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है
सवाल : कठोर नियम क्या बन सकता है भारत में ? क्या नियम बनाने से इसका दुरुपयोग पूरी तरह से रुक जाएगा ? सोशल मीडिया पूरी तरह से बंद तो नहीं हो सकता लेकिन आगे क्या हो सकता है ?
पार्ट :2
इंटरनेट ब्रॉडकास्टिंग और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं आज भारत के लोगों का जीवन रेखा बन चुकी है यह न केवल सूचनाओं को प्राप्त करने और सोशल मीडिया के साथ संचार का भी साधन बन गया है बल्कि अब सबसे बड़ी मानव समाज की अभिव्यक्ति की आजादी का सहायक बन गया
आज के समय में वैचारिक और सूचना के आदान- प्रदान के लिए समुदायों और समाज के विभिन्न समूह को आपस में जोड़ने हेतु सोशल मीडिया का प्रचलन बढ़ता जा रहा है व्हाट्सएप, ट्विटर , फेसबुक आदि पर कुछ ऐसे कार्यकर्ता हमेशा एक्टिव रहते हैं जो सरकार , समाज और मीडिया पर नियंत्रण रखने की दृष्टि से समय-समय पर उनकी आलोचना करते रहते है ऐसे कार्यकर्ता तुरंत किसी घटित घटनाओं पर सुधारात्मक रवैया , न्याय या निष्पक्षता के लिए प्रतिकार , प्रतिरोध और दंड जैसे साधनों को अपनाने पर जोर देने लगते हैं
वैसे तो मीडिया सूचनाओं तथा आकड़ों को सुरक्षित व संप्रेषित करने का उकरण है मीडिया का कार्य सूचनाओं का एकत्रीकरण करना तथा उसे सभी को पारदर्शितापूर्ण अवगत कराना है सरकारी क्रिया कलापों को उजागर करना भी मीडिया का काम होता है और उसके साथ उनके द्वारा किए गए सभी आधे - अधूरे कार्यों की सच्चाई को भी जनता तक पहुंचाना
मीडिया का सबसे बड़ा योगदान लोकतंत्र में होता है जो प्राय: विकास को प्रेरित करता है इसलिए ही तो मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बताया गया है media की ही एक शाखा है सोशल मीडिया जो आज शोषण मीडिया बन चुकी है जो आज टेक्नोलॉजी के रूपों में अलग-अलग रुप में हमारे सामने आ रहे हैं
आज फेसबुक, व्हाट्सएप , ट्विटर , यूट्यूब ,इंस्टाग्राम और भी माध्यम है जो लोगों को एक दूसरे के मित्र तो बनाते हैं साथ ही इसकी लत लोगों को इस कदर लग जाती है कि चाहे वह बच्चा, बूढ़ा कोई हो सभी मधुमक्खी की तरह चिपके रहते हैं
सोशल मीडिया का आज इतना अधिक एक्टिव होने का एक सबसे बड़ा कारण यह भी माना गया है कि यहाँ पर बोलने की आजादी होती है हम अपनी बातें रखने के लिए स्वतंत्र लेकिन आजकल लोग सोशल मीडिया को हथियार बना लिए हैं इसी स्वतंत्रता के नाम पर आज महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी , लोगों को अपशब्द कहना , फिकरे कसना, मजाक करना यह सब आम बात हो गई आज ऐसे तमाम टीवी चैनल आदि मौजूद है जो वायरल वीडियो को और वायरल करते हैं तो वहीं कुछ टीवी चैनल साइबर पुलिस का भी काम करने लगे सभी को समझना चाहिए कि बोलने की स्वतंत्रता तो मिली है लेकिन किसी की जिंदगी को तहत- नहस करने की स्वतंत्रता नहीं मिली है
इसी प्रकार के एक अफवाह पिछले लोकसभा चुनाव में बहुत चर्चित हुआ था कि अगर पुलिंग बूथ पर एक निश्चित फीसदी से ज्यादा टेंडर वोट रिकॉर्ड हुआ तो द रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल्स एक्ट 1950 और 1951 की धारा 49 ( A ) के तहत दोबारा चुनाव होगा लेकिन मामले की वास्तविकता तो यह है कि इन अधिनियमों में धारा 49 (A ) है ही नहीं |
और इसी कारण से जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 में और 35 A हटाया गया था तो वहां पर नेटवर्किंग सिस्टम पूरी तरह से बंद कर दिया गया था हमे समझना ही होगा कि किसी भी घटना का तार्किक मूल्यांकन कर तभी विश्वास करना चाहिए अथवा किसी भी विशेषज्ञ की समुचित राय लेनी चाहिए
सोशल मीडिया को दोधारी तलवार की भांति बताया गया है जो दोनों तरफ से हमला करती है चुनाव आयोग को चाहिए कि वह नेताओं के भाषणों में घृणा तत्व को चुनावी अपराध की श्रेणी में रखें
सोशल मीडिया पर तोड़ -मरोड़कर प्रस्तुत की गई फोटो या खबरों का माध्यम की पहचान प्रकट की जाये एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 50 करोड लोगों के पास स्मार्टफोन है और अगले 2 वर्षों में यह संख्या बढ़कर 85 करोड़ हो जाएगी आजकल राजनीतिक पार्टी भी अपने चुनाव प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से ही कर रही है
दुनिया के अलग-अलग देश में सोशल मीडिया को लेकर कठोर कानून भी है जैसे : - मलेशिया , थाईलैंड जैसे देशों में कड़े और त्वरित दंड का प्रावधान है मलेशिया में इसके लिए व्यक्ति को 6 वर्ष की सजा जबकि थाइलैंड में 7 वर्ष की सजा का प्रावधान , पड़ोसी देश पाकिस्तान में गलत खबर और किसी की भावना को ठेस पहुंचने पर व्यक्ति को सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है इसके साथ ही सिंगापुर , चीन , फिलीपींस आदि देशो में अलग अलग कानून है |
हमें भले ही इस बात पर विश्वास ना हो लेकिन ऐसे तमाम वीडियो आपके सामने है जिसमें बदला लेने की बात की गई आखिर नफरत का यह कारोबार कब रुकेगा और वह भी कैसे ? अगर देश की आजादी के बाद घटित घटनाओं की एक लिस्ट बनाई जाये तो वो भी बहुत बड़ी हो जाएगी जैसे :-
1. 1947 कलकता की घटना
2. 1964 राउरकेला की घटना
3. 1969 अहमदाबाद की घटना
4. 1970 भिवंडी की घटना
5.1979 जमशेदपुर की घटना
6. 1980 मुरादाबाद की घटना
7. 1983 असम के नेल्ली की घटना
8.1984 पंजाब सिख की घटना
9 .1989 की घटना
10.2002 गुजरात की घटना
11.2020 दिल्ली की घटना
कुछ तो ऐसे थे जिसके बारे में किसी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है पर हमें भूलना नहीं चाहिए कि नुकसान हमेशा देश का ही होता है इसलिए आप सभी को अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल कैसे और कब करना है इस पर सरकार कोई कानून बनाये इससे अच्छा है की हम लोग ही फेक खबरों पर विश्वास करना बंद कर दे ...............
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