दुनिया के सबसे बड़े समुंद्री जहाज के बनने और डूबने की कहानी




 दुनिया के सबसे बड़े समुंद्री जहाज के बनने और डूबने की कहानी

जहाज का नाम :- 

1.हैप्पी जॉइंट्स /जाहरे वाइकिंग /नोक नोविस /मोंट /सुपर टैंकर इन नामो के अलावा भी एक अन्य और सबसे महत्वपूर्ण नाम था सिवाईज जॉइंट्स एक तरह से देखा जाये तो यह जहाज इंसानों के द्वारा निर्मित सबसे बड़ा जहाज हुआ करता था

2.इसकी सबसे बड़ी खासियत ये थी कि यह उस समय का ऐसा जहाज था जो सबसे अधिक पेट्रोलियम तेल को ले जा सकता था एक अनुमान के अनुसार इस जहाज में एक बार में ही पूरी क्षमता से तेलों की लोडिंग को देखा जाये तो एक बार में ही यह करीब 4 अरब बैरल तेल ले जा सकता था 

3.इसे और भी आसानी से समझा जा सकता है की यदि आप एक सामान्य सी कार से पृथ्वी से सूर्य की दुरी तय करे तो आप कम से कम 10 बार सूर्य की चक्कर लगा सकते है जो करीब 150 करोड़ किलो मीटर के बराबर माना जा सकता है इतना अधिक तेल केवल एक बार में ढोया जाता था 



जहाज का निर्माण :- 

1.वर्ष 1979 के करीब में ही इसको बनाने का कार्य शुरू हो चुका था क्योकि जापान देश का एक शहर ओपामा में एक कंपनी के द्वारा इस पर कार्य किया जा रहा था

2.इस बात के कोई पुख्ता सबूत तो नहीं है की किस देश ने इसको बनाने का आदेश दिया था क्योकि जब यह जहाज पूरी तरह से बनकर तैयार हुई तो किसी ने इसे ख़रीदा ही नहीं क्योकि इसका आकार इतना बड़ा था की कई नहरों/कई बंदरगाहो में इसे आसानी से ले जाया ही नहीं जा सकता था जैसे उस समय इस जहाज को पनामा नहर की बात करे या स्वेज नहर की इन नहरों में इस जहाज को किसी भी तरह से नहीं ले जाया जा सकता था 

3.वर्ष 1981 में इस जहाज को हांगकांग के एक विजनेसमैन ने ख़रीदा और इस जहाज के आकार को और बढ़ाने का आदेश जारी किया और एक रिपोर्ट के अनुसार इस जहाज में इतना वृद्धि किया गया था की इसके तेल ढोने की क्षमता में करीब 1.40 लाख टन तेल की वृद्धि देखी गई थी



4. इसके बाद इस जहाज का आकार करीब 458.45 मीटर हो गई थी इसकी तुलना कई देशो की बिल्डिंग से की जाती थी जैसे उस समय के मलेशिया देश के " पेट्रोनास टावर (451.9 मीटर ) और वही अमेरिका के न्यूयार्क में बने एम्पायर एस्टेट बिल्डिंग ( 381 मीटर ) की भी ऊचाई से काफी अधिक थी 

5. आज के समय की समुंद्री जहाजो से तुलना किया जाये तो इस जहाज की लम्बाई " आइकन ऑफ दी सी " (364 मीटर ) से करीब 100 मीटर और अपने समय की सबसे यादगार जहाज " टाइटैनिक " (269 मीटर ) से करीब 200 मीटर अधिक लंबा था 

6. उस समय तो इस जहाज का सबसे अधिक इस्तेमाल एक समुन्द्र में तैरते हुए गोदाम के रूप में किया जाता था क्योकि इसी समय आपस में कई देशो के मध्य में आपसी युद्ध भी शुरू हो गये थे  

7. एक अनुमान के अनुसार अगर इस समुंद्री जहाज को पूरी तरह से लोड कर दिया जाये तो इसका कुल वजन करीब 6.57 लाख टन हो जाता था और सबसे बड़ी बात इस जहाज को चलाने के लिए प्रतिदिन करीब 220 टन (करीब 2 लाख लीटर )  ईंधन की जरुरत होती थी 



8. इस जहाज की अधिकतम गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा के करीब में थी 

9. आप सभी को जानकर हैरानी होगी की इस जहाज को अगर किसी स्थान पर रोकना होता था तो करीब 8 किलोमीटर पहले से ही ब्रेक लगाना शुरू और इसके साथ ही इसे इसके विपरीत दिशा में घुमाना होता था और इसको केवल घुमाने के लिए ही करीब 3 किलोमीटर की जगह की जरूरत हुआ करती थी 

10. अपने जीवन के करीब 30 वर्षो तक यह जहाज दुनिया का सबसे बड़ा समुंद्री जहाज का दर्जा हासिल किये हुए था


जहाज का अंत :-

1. कई रिपोर्ट में यह दावा किया जाता है कि उस समय अरब देशो में आपसी गृहयुद्ध के कारण से इस जहाज पर सद्दाम हुसैन के सैनिको ने इस जहाज पर हमला करके आग लगा दी थी जिसके कारण काफी नुक्सान हुआ था और डूबने की स्थिति में आ गया था 




2.इस समुंद्री जहाज ने अपनी अंतिम यात्रा के रूप में वर्ष 1988 में ईरानी द्वीप पर की थी क्योकि अरब देशो में चल रहे युद्ध अंतिम दौर में पहुच गए थे 

3.काफी समय के बाद इस जहाज को मरम्मत के लिए नार्वे देश की एक कंपनी ने इसको अपने अधिकार में लिया और वर्ष 1991 में करीब 3700 टन स्टील का उपयोग करके इसे एक बार फिर से समुंद्र में उतरने के लिए तैयार किया लेकिन अब इसका नाम हैप्पी जॉइंट्स कर दिया गया था 

4.इसके कुछ समय बाद ही इसका नाम बदलकर " जाहरे वाइकिंग " रख दिया गया क्योकि नामकरण जहाज के खरीददार के हिसाब से रखे जाते थे ऐसे में इसके एक से अधिक नाम देखा जाता है 

5.काफी अधिक ईंधन के इस्तेमाल होने के कारण से इसका उपयोग अपने आप ही कम होने लगा क्योकि कई अन्तर्राष्ट्रीय जल मार्ग को यह समुंद्री जहाज पार नहीं कर पाता था जिसके कारण से व्यापारिक रूकावटे आने लगी और नए नए जहाजो का निर्माण तेजी से होने लगे 

6. करीब वर्ष 2004 में इस जहाज को नार्वे की एक कंपनी ने इसे खरीद कर एक तैरते हुए गोदाम के रूप में परिवर्तित कर दिया और इसका नाम " नोक नोविस " रखा 

7. मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में इस जहाज ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और इस जहाज का अंतिम नाम " मोंट " रखा गया और इसके टुकड़े को भारत में भी लाया गया था 

8. और सबसे बड़ी बात तो ये हुई थी कि की जिस स्थान पर इस जहाज को बनाया गया और दुनिया का सबसे बड़ा समुंद्री जहाज होने का सम्मान मिला था उसी स्थान अर्थात हांगकांग में ही इसे अंतिम रूप भी दिया गया और आज भी इस हांगकांग बंदरगाह पर इस जहाज के करीब 36 टन बॉडी बची हुई है ...............  

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