दुनिया की पहली मिसाइल फैक्ट्री
दुनिया भर में सबसे पहले जर्मनी देश ने मिसाइल को बनाने का प्रयास किया था और इसका पूरा प्लान भी तैयार कर लिया था लेकिन अंतिम रूप देने में कामयाब नहीं हो सका वरना दितीय विश्व युद्ध का रूप आज कुछ और होता है जीतने वाले देशो में कोई और ही देश होता और इस तरह से आज अमेरिका और रूस देश दुनिया में सबसे अधिक मिसाइल बनाने में सबसे आगे माने जाने वाले देश है ऐसा भी है की कई देशो के पास इतनी मिसाइल है की कोई जानकारी नहीं है जैसे उत्तर कोरिया के पास कितनी मिसाइल है ये पूरी तरह से जानकारी आज भी उपलब्ध नहीं है ऐसे में हम केवल अनुमान ही लगा सकते है
मिसाइल की शुरुआत :-जर्मनी देश में एक गाँव पेनमुंडे है जहा पर इस काम को शुरू किया था यह गाँव पेन नदी के किनारे ही है इसके कारण से इसका नाम | इस गाँव के साथ साथ आसपास घुमने के लिए एक अच्छा स्थान भी माना जाता है
1936 से 1945 के मध्य नाजी सरकार ने खुफिया मिशन बनाया और इस तरह से 1935 में जर्मन इंजीनियर वान वरान ने इस गाँव को इस काम के लिए चुना क्योकि इस गाँव के आसपास के करीब 400 किलोमीटर का क्षेत्र एक दम से सुनसान है और मिसाइल फैक्टी करीब 25 किलोमीटर में फैली थी और करीब 12000 लोगो ने मिलकर दुनिया की पहली मिसाइल फैक्ट्री और टेस्टिंग रेंज बनाया था और सरकार से इजाजत मिलने के बाद इस पर बाकी बचे हुए कार्य को पूरा किया गया
1942 के भाषण में विश्व को पता चला की जर्मनी मिसाइल का निर्माण कर रहा है और सबसे बड़ी बात ये भी थी कि तब तक इसकी टेस्टिंग भी की जा चुकी थी और इस तरह से दुनिया की पहली लम्बी दुरी तक मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया गया था जिसका नाम वेंजियस वेपन या बदला लेने वाला हथियार रखा गया था
जर्मन तानाशाह को यकीन ही नही था की इससे कोई युद्ध भी जीता जा सकता है इसका एक कारण ये भी था की हिटलर के 1939 में दिए गए भाषण के दौरान ये मिसाइल बन कर तैयार नहीं हुई थी और जब दितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना और पैसा खर्च करना कम ही कर दिया था
वर्तमान स्थिति :- आज यह गाँव पूरी तरह से सुनसान पड़ी हुई है केवल इसका पॉवर स्टेशन ही बचा हुआ है फैक्टी के स्थान पर एक म्यूजियम का निर्माण कर दिया गया है
1943 में A-4 कामयाब परीक्षण के बाद हिटलर को विश्वास हो गया और इसने इस पर कार्य को काफी तेज करने का आदेश दिया लेकिन विश्व युद्ध शुरू हुए 4 वर्ष हो चुके थे ऐसे में जर्मनी का काफी संसाधन और पैसा युद्ध में खर्च हो चूका था इसलिए काफी देर हो गई थी
1943 में ही इस फैक्ट्री में युद्ध बंदियों को कार्य पर लगाया गया वर्ष 1943 तक किसी देश को खबर ही नहीं लगी की जर्मनी देश मिसाइल का निर्माण कर रहा है और जब पता चली तो ब्रिटिश आर्मी ने 17 अगस्त 1943 में हवाई हमले करके इसको नुकसान पहुचाने की कोशिश की इस हमले का नाम हाइड्रा रखा गया और इस हमले से कोई ख़ास नुकसान तो नहीं हुआ था लेकिन दुनिया भर को इसकी खबर जरुर हो गई थी
वर्ष 1944 में हिटलर को अपनी गलती का एहसास हुआ तो इसने वैज्ञानिको और इंजीनियरों से माफ़ी मांगी क्योकि कुछ वर्ष पहले ही इसने काम को कम करने का आदेश दिया था और सबसे बड़ी बात 1945 में जर्मनी की हार जाने के बाद भी इस फैक्ट्री में काम बंद नहीं हुआ था और युद्ध खत्म होने के बाद इसी फैक्ट्री में अमेरिका और रूस ने जर्मनी देश की मिसाइल बनाने में मदद की
सबसे पहले वान वरान को अमेरिका की नागरिकता प्रदान की गई और इस तरह इस वैज्ञानिक की मदद से ही अमेरिका ने अपोलो मिशन से चाँद पर पहली बार किसी मिशन को भेजने में सफलता प्राप्त की थी
निष्कर्ष :- तकनीकी का सही इस्तेमाल आपको चाँद तक पंहुचा सकती है और गलत इस्तेमाल दुनिया को तबाह भी कर सकती है .............
#World'sfirstmissilefactory, #villagePenmundeinGermany , #penriver, #VengeousWeapon ,#kldclasses ,#bloogers , #blogg, #Hitler'sspeech, #Apollomission,#editorial , #topics , #article , #penmundeinvillageingermany , #aboutfirstmissilefactory , #firstmissileinindia , #whatismissile, #howtoworkmissile , #topmissilename




