भारत और पाकिस्तान की राजनीति पर ( व्यंग )
भारत हो या पाकिस्तान दोनों जगह इन दिनों गद्दारी का और संतरों का सीजन चोटी पर है जब से सर्दी का मौसम शुरू हुआ है, दोनों देशों में अगर पुलिस कोई पर्चा काटे और अगर उसमें साजिश रचने , लोगों को उकसाने, गद्दारी और देशद्रोह के आरोप ना लगे तो शक होने लगता है , न तो अभियुक्त सही मायने में देशभक्त है और न ही पुलिस अपने काम में माहिर है
बस यूं समझिये कि हमारे यहां तो ब्रिटिश इंडियन पीनल कोड के कानून दहेज में 154 साल पुरानी धारा 124 A की लूट सेल लगी हुई है
यह धारा लगने का मतलब है कि आपको किसी बंद कमरे में देश के खिलाफ साजिश रचने या हथियार उठाने या दुश्मन को राज बेचते समय पकडे जाने की जरूरत नहीं रही बस हाथ का गलत इशारा भी आपको गद्दार साबित करने के लिए काफी है
दीदे दाएं से बाये की बजाय बाए से दाए घूमने से भी पुलिस गद्दार साबित कर सकती है और न साबित करना चाहे तो सामने से देशद्रोह का हाथी भी निकल जाए तो उसे चींटी बता दे
गद्दारी की धारा :- सारा खेल इस बात की है कि अभी सत्ता में कौन है और आप इस समय किस नजरिए और पक्ष में है और आजकल देशभक्ति के लेटेस्ट फैशन साथ हैं या नहीं |
ऊपर वाला मेहरबान तो गांधी जी की मूर्ति पर गोबर मलने पर कोई पर्चा नहीं काट सकता है इस नियम के तहत सरकार विरोधियो को 90 दिनों तक बिना कोई जवाब दिए अंदर रख सकती है अगर अदालत किसी विरोधी को बाहर कर भी दे तो जेल से बाहर आते ही बिजली के तार काटने या भैंस चोरी के आरोप में दोबारा जेल की हवा खिला देती है
लेकिन आजकल ना तो पाकिस्तान और नहीं भारत में आपातकाल है इसलिए भैस चोरी या पानी चोरी के स्थान पर एक नया शब्द गद्दारी का आ गया है आजकल सभी के ऊपर यह आरोप लगे हुए जैसे 11 सितंबर 2001 के बाद अगर पाकिस्तान में मस्जिद के बाहर जूते चुराते हुए भी कोई पकड़ा जाता है तो उस पर आतंकवाद फैलाने की धारा लगा दी जाती है
आज भारत और पाकिस्तान में एक भाई साहब ने किसी अधिकारी से पूछ लिया कि भाई अगर तुम चांटा मारने पर भी आतंकवाद की धारा लगाओगे तो असली आत्मघाती हमला करने वाले को क्या लगाओगे ?
इस मशवरे के बाद भी बस इतना फर्क पड़ा है कि मामूली अपराध पर आतंकवादी की धाराओं की जगह गद्दारी की धाराएं लगने लगी है
अगर ऊपर वाला नहीं मेहरबान तो एक साथ खुले में जन -गण - मन गाने के पीछे भी देशद्रोह का मंडली का शक हो जाता है अब जैसे हैदराबाद की सिंध यूनिवर्सिटी में छात्रों ने हॉस्टल में पानी न आने पर छात्रों ने बाहर नारे लगाये तो उन पर गद्दारी की धारा लगा दी गई इसी तरह ही पिछले दिनों कई और घटनाए सामने देखने को मिली
डिफेंस ऑफ इंडिया रूल : - अगर किसी की गद्दारी सच में साबित हो भी जाए तो कम से कम उम्र भर की सजा हो जाती है मगर पुलिस , सरकार और राष्ट्रवाद के व्यवहार में रफा - दफा भी अब देखा जा रहा है
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में इसे डिफेंस ऑफ पाकिस्तान ( DPR ) कहां जाने लगा ये वही नियम है जिसने हिंदुस्तान छोडो या भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने की कोशिश की थी
पाकिस्तान में 1965 से 1985 तक यहां DPR इमरजेंसी में लागू रहा और क्या-क्या हुआ लोगों के साथ इसका आकलन करना आज भी मुश्किल है
मजे की बात है कि जिस देश ने अर्थात ब्रिटेन ने यह नियम बनाकर अपने देश में 2009 में ही गद्दारी की धारा कानून की किताब से बाहर निकाल दिया मगर हम भारत और पाकिस्तान चुकी पुरुखो की एक-एक ख्यात गले से लगाकर रखने की आदि है
लिहाजा हमारे लिए बहुत मुश्किल है कि अगले 154 सालों तक भी 1870 में लागू 124 A जैसी अमृत धाराओं से इजाजत ले सके या खुद ही इसे छोड़ दे किसी ने ठीक ही कहा है कि " क्या हुआ कि हम काले हैं खून तो वही सफेद है ना "
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