भारतीय क्यों सरकार से अधिक संविधान पर विश्वास करते है ?



 भारतीय क्यों सरकार से अधिक संविधान पर विश्वास करते है ?

आज भारत के साथ, पाकिस्तान , नेपाल, रूस के साथ कई अन्य देशों में संविधान को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है भारतीय संविधान निर्माता ने क्या कभी सोचा था कि संविधान बनने के 75 साल बाद दोबारा लोग अपने अधिकारों के लिए संविधान को दोष देंगे ?

दुनिया भर में संविधान को लोग सिर्फ शासन का किताब मानते हैं लेकिन हम भारतीयों के लिए एक महान दस्तावेज है क्योंकि इसका निर्माण लोकतंत्र के विश्वास के साथ साथ कई चरणों को पार करके तैयार किया गया है यह आजादी के आंदोलन से प्रेरित है |



1. बराबरी के अधिकार : -  भारत एक विविधता से भरा देश है हर तरफ से गैर बराबरी के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा दुनिया भर में पहले पुरुषों को अधिकार दिया गया और बाद में महिलाओं को लेकिन भारत देश में एक साथ महिला - पुरुष को बराबरी का अधिकार दिया गया है 
जैसे वोट देने का अधिकार को ही ले लीजिए इंग्लैंड , अमेरिका के साथ कई देशो में पुरुषों को अधिकार पहले मिले थे लेकिन भारत में पुरुष महिला को एक साथ अधिकार दिया गया 

जैसे भारत जब आजाद हुआ था तो मात्र 14% लोगों को ही वोट देने का अधिकार था इन 14% में से अधिक संपत्ति के साथ-साथ अधिक पढ़े-लिखे लोग थे अर्थात  जमीदार , व्यापारी,  वकील , डॉक्टर आदि इसके साथ ही अलग-अलग समुदाय के लोग अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र पहले से ही निर्धारित होते थे 


1952 में पहले आम चुनाव में आप सोचिये वोट देने के लिए एक साथ जमींदार और उसी लाइन में हल चलाने वाला किसान खड़े होकर वोट दिया उसके मन में उस समय क्या भाव आया होगा देश के साथ-साथ समाज के प्रति ? 
कई सदियों से हर सार्वजनिक स्थानों से बहिष्कृत रहने वाला दलित समुदाय जब लोकतंत्र के मंदिर ( संसद ) में आया तो कैसा अनुभव हुआ होगा ? 
इस तरह के बदलाव का आकलन करना तो असंभव है आज के समय में |

सबसे बड़ा बदलाव उत्तर प्रदेश और बिहार में देखा गया जहां पहले उच्च वर्ग , दलित समुदाय को वोट नहीं डालने देते थे विरोध करने पर हत्या भी कर देते थे
बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं उच्च वर्ग के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक होता था


भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने इस चुनौती को स्वीकार किया और भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधार किया और आज उन्हीं के कारण शांतिपूर्ण के साथ साथ निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो रहे हैं
आज के लोगों को जानकर जरूर हैरानी होगी कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और इस विभाजन में करीब 10 लाख लोग मारे गए थे फिर भी भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश कैसे बन गया ? 
इसका श्रेय उन बलिदानों को जाता है जो हमारे रहनुमाओ और भोली भाली जनता ने अपना बलिदान दिया है हमें नोआखाली के नदी नाले को पार कर मजहबी के आधार पर लगे आग को बुझाने में महात्मा गांधी की बेचैन आंखों में देखना होगा दिल्ली में मनाई जा रही खुशियों के बीच कोलकाता में आमरण अनशन पर भूख हड़ताल को जिन्होंने नफरत की आग को मानवता के सहयोग में बदल दिया हमें उन्हें एक बार याद करना होगा जिन्होंने हमारे और हमारे देश के लिए इतना कुछ किया है 


कई बार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की बात की जाती रही है चाहे सरकार के लोग हो या कहीं हिंदू संगठन हो
भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष इसलिए बन पाया क्योंकि हमारे पास गांधी जी , बिस्मिल्लाह , भगत सिंह के साथ-साथ कई हजारों देश प्रेमी मौजूद थे जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस , आजाद हिंद फौज बना रहे हैं तो वही हिंदू महासभा अंग्रेजों की फौज में भर्ती करने में जुटी थी और इस प्रकार भारत में लोकतंत्र की एक मजबूत नीव डाली गई

वहीं पाकिस्तान देश को ही देख लीजिए 1947 के बाद आज कहां खड़ा है बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार फौज की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं कर सकती है पाकिस्तान में इसका सबसे बड़ा कारण यह है क्योंकि वहां की मुस्लिम लीग लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष पर विश्वासी ही नहीं करती थी
जिन्ना धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने में तो सफलता पा ली थी लेकिन गांधी जी ने देश बचाने और उसे फिर से बनाने में जिन्ना को हरा दिया था 

आपातकाल के समय भारतीय संविधान को बड़ा झटका लगा था लेकिन भारतीय संविधान इतना मजबूत बना है कि हर झटके को बर्दाश्त कर सकता है क्योंकि भारत के पास पंडित नेहरू,  अंबेडकर जैसे ज्ञानी लोग थे
देश को उस स्थिति से निकाला जिसकी कल्पना हम आज तक नहीं कर सकते हैं भले ही आज जो भी आरोप लगा ले

ऐसे ही हजारों अधिकार मिलने के कारण से एक भारतीय के लिए सरकार से अधिक विश्वास भारतीय संविधान पर लोगो का होता है क्योकि पता होता है की यदि सरकार ने कोई मौलिक अधिकार को कम किया या खत्म किया तो भारतीय सुप्रीम कोर्ट भी एक ऐसी संस्था है जो नागरिको के साथ साथ विदेशी नागरिको के भी अधिकारों की सुरक्षा करने में सबसे आगे रहती है इसलिए इतने सालो के बाद भी भारतीयों के लिए सरकार से कही अधिक भारतीय संविधान लोगो को प्रिय है................. 

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