बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की समस्या - विशेषकर हिन्दू धर्म

 चर्चा :- अक्सर देश और दुनिया में एक चर्चा होती रहती है कि अल्पसंख्यकों की समस्या बढती ही जा रही है कई बार तो ये भी सुनने में मिलता है कि अब तो इस देश से अल्संख्यक समुदाय तो पूरी तरह से खत्म होने के कगार पर पहुच गए है ऐसे में हमे समझना होगा कि भारत देश के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की समस्या क्यों इतनी अधिक हो गई है



बांग्लादेश में अल्पसंख्यको की समस्या :-

1. अभी हाल ही में बांग्लादेश के विदेशमंत्री ने कहा था की जितने भी लोग बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत देश में किसी कारण से प्रवेश कभी भी किया होगा हम इन सभी नागरिको को अपने देश में वापस लेंगे और हम भारत सरकार के साथ मिलकर इस काम को पूरा करेंगे
2.ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही बना कि इनकी संख्या कितनी है और कैसे पता चलेगा की कौन भारतीय नागरिक है और कौन बांग्लादेशी ?
 
3.इसलिए इस बयान के आने के बाद से समस्या और ही बढ़ती दिख रही है क्योकि अगर इनकी पहचान हो भी जाती है तो सरकार इनको डिटेंशन सेंटर में रखने वाली है ऐसे में इनको कई मूलभूत अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा


4.अब ऐसे में समस्या तो ये बन जाती है दोंनो देशो की सरकारों के लिए की कितने अल्पसंख्यक बांग्लादेश में जाना पसंद करेंगे और एक नरकीय जीवन जीने पर मजबूर होंगे क्योकि अगर सब सही ही रहा होता तो कोई अपने देश को छोड़कर क्यों दूसरे देश में रहने पर मजबूर होगा ?

5. क्योकि भारत में तो कम से कम मजदूरी का काम तो इनको मिल ही जाता है और साथ ही समाजिक और धार्मिक सुरक्षा भी मिल जाती है क्योकि एक विदेशी नागरिक के लिए इसके अलावा कुछ और तो ज्यादा नहीं चाहिए ऐसे में ये मुद्दा इतना आसानी से हल होने वाला नहीं है

6.क्योकि भारत के सभी पड़ोसी देशो में अल्पसंख्यक होना ही सबसे बड़ा गुनाह है चाहे आप पाकिस्तान की बात कर ले , बांग्लादेश , अफगानिस्तान, नेपाल , भूटान ,चीन ,श्रीलंका सब ऐसे ही है कही पर हिन्दू अल्पसंख्यक है तो कही कर मुस्लिम अल्पसंख्यक समस्या सबको हो रही है

7. वास्तव में जब किसी देश का विभाजन हो या किसी परिवार का विभाजन होता है तो लकीर सीमा पर ही नही लोगो के दिलो में भी खीची जाती है

8. आजादी के बाद जो अत्याचार पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में अल्पसंख्यको के साथ हुआ उसे आज भी कोई शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता है जैसे बांग्लादेश के ही एक लेखक सलाम आजाद लिखते है की बांग्लादेश से आजादी के बाद से लेकर बर्ष 1991 के बीच में प्रतिदिन औसतन 472 लोग यानी प्रतिवर्ष 1.70 लाख अल्पसंख्यक लोग अपने देश बांग्लादेश को छोड़कर भारत में शरण लेने पर मजबूर हो रहे है

9. अगर ये पलायन न हुआ होता तो आज बांग्लादेश में कम से कम 3 करोड़ से अधिक हिन्दू आबादी होती है लेकिन आप सभी इन आकड़ो को देखे तो बात और ही स्पष्ट होगी जैसे -

 वर्ष                   हिन्दू आबादी ( अल्पसंख्यक )


1941                     28%

1951                     22%

1961                     18.5%

1974                    13.5%

1981                    12.13%

1991                    11.6%

2001                  9.6%

2011                   8.2%

10. वर्ष 2019 के अनुसार बांग्लादेश में आज भी करीब 1.25 करोड़ हिन्दू आबादी निवास करती है लेकिन ऐसे ही इनकी आबादी कम होती रही तो आने वाले वर्ष 2030 -35 तक इनकी आबादी ही खत्म हो जाएगी 


11. सबसे बड़ा कारण ये सामने आ रहा है की या तो ये अल्पसख्यक लोग देश को छोड़ दे या अपने धर्म को परिवर्तित कर ले ऐसे में आप समझ सकते है की समस्या कितनी बड़ी और खतरनाक हो जाती होगी

12. ऐसा करने के लिए इसको मजबूर भी किया जाता है जैसे पिता के सामने ही बेटी या माँ - बेटी के साथ दुष्कर्म किया जाता है ऐसे में पूरा परिवार आत्महत्या कर लेता है या रातों रात देश को छोड़कर भाग जाता है या फिर धर्म को बदल लेने पर मजबूर हो जाता है इसमें सबसे आसान पलायन ही होता है कम से कम ज़िंदा तो रहेंगे भले ही अपने देश में अपने घर में नहीं रहेंगे


अल्पसंख्यको की समस्या कैसे शुरू हुई :-

1. इसका सबसे बड़ा कारण शत्रु संपत्ति सम्बन्धी कानून को माना जाता है और एक तरह से यही अल्पसंख्यकों के लिए सबसे बड़ा काल बन गया चाहे आप पूर्वी पाकिस्तान ( बांग्लादेश ) में देख ले या आज के पाकिस्तान में  |

2. बांग्लादेश में यह कानून वर्ष 1965 में लागू किया गया इस नियम के तहत जो भी लोग पश्चिमी या पूर्वी पाकिस्तान से भारत में चले गये थे उनकी अचल सम्पति ( जमीन , जायदाद ) को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था और इस कानून की वजह से लाखो हिन्दू अल्पसंख्यकों अपनी अचल संपत्ति को गवानी पड़ी थी 

3.एक आकड़े के अनुसार जो बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने ही जारी किया था की वर्ष 1965 से लेकर वर्ष 2006 तक के बीच में करीब 26 लाख एकड़ जमीन दुसरे के कब्जे में चली गई ऐसे ही अकेले चटगाँव में बौधधर्म के 22% जमीन दुसरे के हाथ में चली गई

 सुधार :-

1. वर्ष 1971 में जब बांग्लादेश बना तो लोगो को लगा की अब इस समस्या का समाधान हो जायेगा लेकिन देश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान ने शत्रु संपत्ति कानून को बदलकर वेस्टेड प्रापर्टी एक्ट कानून को बना दिया

2. इस कानून को पास कराते समय प्रधानमंत्री ने कहा था की बांग्लादेश को आजाद कराने में भारत देश का काफी सहयोग मिला था तो ऐसे में हमे शत्रु संपत्ति सम्बन्धी कानूनों की कोई जरुरत नहीं है
 
3. लेकिन आप सभी को जानकारी होनी ही चाहिए की इनकी हत्या होने में एक कारण ये भी था और इनकी हत्या होने के बाद ही एक बार फिर से अल्पसंख्यको का सपना पूरी तरह से खत्म हो गया

4. इसके बाद भी सत्ता इनके परिवार में ही रही और आज भी इनकी बेटी शेख हसीना इस देश की प्रधानमंत्री है लेकिन इतनी बड़ी हिम्मत नहीं कर सकी की देश के अल्पसंख्यको के लिए कुछ अच्छा कर लिया जाये क्योकि है तो ये भी अपने ही देश के नागरिक |

5. और इनके शेख हसीना के शासनकाल में तो इस नियम का नाम बदलकर " वेस्टेड प्रापर्टी रिटर्न एक्ट " कर दिया गया लेकिन समय समय पर सत्ता परिवर्तित होने के कारण से आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका

6. आज भी इस देश में करीब 10 लाख अल्पसंख्यकों के मामले खासकर हिन्दुओ के मामले कोर्ट में लंबित पड़े हुए है जिसके कारण से इनको कोई समाजिक लाभ , सरकारी लाभ और आर्थिक और राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाता और आज भी वही पुरानी समस्या इनके सामने मौजूद है और लोग मजबूर है देश को छोड़ने के लिए ................................


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