प्रेम का एक दिन Valentine Day : कितना सही कितना गलत ?

 

प्रेम का एक दिन वैलेंटाइन डे :  कितना सही कितना गलत ?

दुनिया भर में बड़े ही धूमधाम से प्रेम का एक दिन वैलेंटाइन डे मनाया जाता है हालांकि बचपन में मैंने तो वैलेंटाइन डे का नाम भी नहीं सुना था लेकिन कुछ ही समय में हमारे आपके आसपास समाज में बहुत ही लोकप्रिय हो गया 
पश्चिमी देशों में वैलेंटाइन डे बहुत ही पहले से अस्तित्व में रहा लेकिन भारत में आने में बहुत ही समय लगा कहने वाले ये भी कहते हैं कि प्राचीन रोम में तो 13  से 14 फरवरी को प्रेम का उत्सव मनाया जाता था लेकिन उस समय ईसाई धर्म के लोग इसे धूमधाम से नहीं मना पा रहे थे 


शुरू में तो इसे सेंट वेलेंटाइन के नाम से जाना जाता था यही वे सेंट वेलेंटाइन थे जिनके ईसाईत में दीक्षित होने से नाराज होकर रोमन सम्राट कलाडियस दितीय ने इन्हें मरवा दिया था 
रोमनो ने प्रेम के इस प्राचीन उत्सव का सिर्फ नाम ही नहीं बदला बल्कि उसके साथ चली आ रही एक प्रथा को भी खत्म कर दिया प्रथा यह थी कि जिसके तहत उत्सव में शामिल महिलाओं की पिटाई की जाती थी उसके पीछे एक विश्वास यह था कि महिला जितनी पीटेंगी उनकी प्रजनन क्षमता (बच्चे पैदा करने की क्षमता )  उतनी ही बढ़ेगी 



मध्यकालीन अंग्रेज कभी जैफ्री चांसर और विख्यात लेखक विलियम शेक्सपियर ने वैलेंटाइन डे को सिर्फ प्रेम का एक दिन ही नहीं कहा था उन्होंने इस दिन की याद में काव्य रचनाये भी की थी जेफ्री ने अगर वैलेंटाइन डे को प्रेम का एक दिन ना कहा होता और अपनी कविताओं में इसका जिक्र नहीं किया होता तो इस दिन रंग बिरंगी पक्षी भी अपना साथी चुनने के लिए झुंड में आते और आज ऐसी व्यापक मान्यता शायद कभी भी ना मिलता 






हालांकि वैलेंटाइन डे के नाम के जिन दो संतो को मध्य फरवरी में मार दिया गया था उनमें से कोई भी रोमांटिक नहीं थे 
दरअसल जब रोमन सम्राट कलाडियस दितीय ने अपने सभी सैनिकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था तब एक संत वैलेंटाइन सम्राट के आदेश के खिलाफ खड़े हो गए थे और इस वैलेंटाइन संत ने अपने कई सैनिकों की शादियाँ कराई थी इसके कारण से 14 फरवरी को ही इस कलाडियस दितीय सम्राट ने संत वैलेंटाइन को मरवा दिया
 मारे जाने से पहले संत वैलेंटाइन  को जेलर की बेटी से प्रेम हो गया था और उसके द्वारा भेजी गई चिट्ठी पर लिखा हुआ था  "  फ्रॉम योर वेलेंटाइन " |



आज 21वीं सदी में उन्ही संत वैलेंटाइन के नाम पर प्रेम दिवस मनाया जाता है लेकिन मैं प्रेम को समर्पित 1 साल में यह मात्र एक दिन पर विश्वास नहीं करता हूं क्योंकि प्रेम सतत और शाश्वत है 
कारोबारियो के लिए यह बेहद उपयोगी दिन है जैसे अमेरिका देश में  वर्ष 2020 में मात्र एक सप्ताह में वैलेंटाइन डे के कारण से कार्ड, फूल , स्पेशल डिनर से व्यापारियों ने कुल 18 अरब डॉलर की कमाई की थी जबकि 2019 में यह रकम 17 अरब डालर थी 


लेकिन इस महाद्वीप में इस उत्सव के बहुत विरोधी भी है जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान की तरह ही भारत में भी इसे अपनी संस्कृति के खिलाफ माना जाता है पर क्या प्रेम हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है  ? 
जो लोग प्रेम दिवस के खिलाफ जुलूस निकालते हैं क्या वे कभी बलात्कार , बर्बरता  और घृणा के खिलाफ जुलूस निकालते हैं  ? संभव ही नहीं  | 

वैलेंटाइन डे की शुरुआत कहीं से भी हुई हो आज यह दिन कारोबार के लिए ही क्यों न जाना जाता हो लेकिन सभी को याद रखना चाहिए कि यह विशुद्ध प्रेम को समर्पित दिवस है क्योकि जब हमारे चारों ओर आज घृणा और अविश्वास का वातावरण है जो मानव मन में स्वार्थ और ईर्ष्या ने जगह बना ली है और हर तरफ युद्ध और अशांति फैली हुई है तब प्रेम को समर्पित 1 दिन से सुखद भला और क्या हो सकता है  ? 




इसके विरोधी जो हमेशा प्रेम के ही विरोधी हैं इसकी कुंडली खंगालने में ही ज्यादा रुचि रखते हैं कि यह हमारे संस्कृति का हिस्सा नहीं है  क्योकि इसकी शुरुआत रोम शहर से हुई थी और इसके साथ ही अलग-अलग तर्क देकर विरोध करते हैं
लेकिन प्रेम करना या होना किस देश की संस्कृति में प्रतिबधं है ? 



सच्चाई तो ये है कि इस दुनिया में मनुष्य आने के बाद से सिर्फ हमेशा दूसरे से लेना ही सीखता है वह इसके लिए छल , बल और कौशल का सहारा लेता है लेकिन देने के बारे में उसे कोई नहीं सिखाता  है 
प्रेम का एक दिन अगर मनुष्य को कुछ देना सिखाये , उसे थोड़ा उदार बनाए तो इसमें हर्ज ही क्या है ?  साल के 365 दिन तो लड़ाई - झगड़ा ,  ईर्ष्या -द्वेष में ही बीत जाता है सिर्फ एक ही दिन तो प्रेम के लिए मिलता है लेकिन हद है कि इस पर भी लोगों को शिकायत होती  है 



जिस मानव समाज को घृणा और हिंसा के सार्वजनिक प्रदर्शन पर कोई समस्या नहीं है उसे प्रेम के सार्वजनिक प्रदर्शन पर ऐतराज है जबकि वैलेंटाइन डे सिर्फ अब प्रेमी प्रेमिका , पति-पत्नी तक सीमित नहीं है आजकल लोग माता-पिता , दोस्त यहां तक की कुछ लोग अपने प्यारे कुत्ते बिल्लियों को भी वैलेंटाइन डे की शुभकामनाएं देते हैं

हां अगर कुछ करना ही है इन विरोधियो को तो इसे कारोबारिया के चंगुल से बाहर निकाले लेकिन यह तो असंभव सा काम लगता है ऐसे में इस पर विचार करने का   समय आ  गया है कि इस दिन को सार्थक और यादगार कैसे बनाया जाए 



सुझाव : वैलेंटाइन डे के दिन भी अगर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार कम ना हो तो इस दिन का क्या कोई महत्व है  ?  आप फूल नहीं दे सकते हैं तो कांटे भी ना दे ,  चुंबन न सही तो थप्पड़ भी ना मारे , क्या हम यह कामना भी नहीं कर सकते है इस दिन के अवसर पर  ? 
कहीं किसी महिला को यौन दासी न बनना पड़े , एक स्त्री को एक पुरुष का अत्याचार ना सहना पड़े , एक भी स्त्री की आंखों में आंसू ना आए ,  एक भी लड़की को सिर्फ लड़की होने के कारण शिक्षा , स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के अवसरों से वंचित ना होना पड़े 
क्योकि प्रेम ही इस पृथ्वी को सुँदर और सार्थक बना सकता है ............



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8 टिप्पणियाँ

  1. 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞

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  2. The days celebrated during Valentine's Week include Rose Day (7th February), Propose Day (8th February), Chocolate Day (9th February), Teddy Day (10 February), promise day(11 Feb), Hug day (12 Feb), kiss day (13 Feb), valentine day (14 Feb).

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  3. Pyar to sabko hota hai jaise bhagwan Krishna ji ko Radha ji se hua tha aaj ke time par aap apne aap se hi pyar kar wahi bahut jyada hai

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  4. no love , no hate only for wait your time .............

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