मंदिर मस्जिद पर बहस कब तक ?

 



मंदिर मस्जिद पर बहस कब तक ?

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा, ताजमहल को तेजो महालय मंदिर बताना और बंद 22 कमरों को लेकर विवाद, क़ुतुब मीनार परिसर की क़ुव्वतुल इस्लाम मस्जिद में पूजा अर्चना की माँग ,मथुरा में ज़िला अदालत का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में याचिका पर सुनवाई की अनुमति देना इसी तरह हिंदू महासभा का दावा- दिल्ली जामा मस्जिद के नीचे देवी-देवताओं की मूर्ति और  खुदाई के लिए पत्र लिखना अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद 9 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया थाअपने भाषण में इन्होने कहा था कि इस फ़ैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी नए सिरे से 'न्यू इंडिया' के निर्माण में जुटेगीआइए एक नई शुरुआत करते हैं करीब तीन साल बाद भारत में वापस एक बार फिर 'ये मस्जिद, कभी मंदिर था या पहले मंदिर था या मस्जिद पर बहस हो रही है अचानक अदालतों में याचिकाओं की बाढ़-सी आ गई है| धार्मिक राष्ट्रवाद पर रिसर्चर का कहना है कि लोग 5,000 साल पुरानी सभ्यता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ऐसे वक़्त में जब यूक्रेन-रूस युद्ध से दुनिया दो भागो में बट गई है कोरोना से 62 लाख लोगों की मौत के बाद भी वायरस का ख़तरा बना हुआ है और जब साल 2019 में भारत में वायु प्रदूषण से दुनिया भर में सबसे ज़्यादा क़रीब 17 लाख लोग मारे गए देश इन दिनों जब गंभीर आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब भारत में हिंदू मुसलमान, मंदिर मस्जिद, 400, 500, 600 या हज़ार साल पहले किसने, कितने मंदिर तोड़े और क्यों, और अब उसका क्या हो - इस पर बहस ज़ोर पकड़ रही है ताजमहल की तस्वीर ट्वीट करके पूछा जा रह है कि मक़बरा, महल कैसे हो गया एक अन्य ट्वीट में कहा गया कि क्या मौलिक अधिकार एक ही अल्पसंख्यक समुदाय के लिए है? जब बहुसंख्यक समुदाय अपने अधिकार की बात करता है तो उसे क्यों सांप्रदायिक बता दिया जाता है ? दावा किया जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह कभी मंदिर था ब्रिटिश लाइब्रेरी में विश्वनाथ मंदिर की तस्वीर के साथ दी गई जानकारी में ज़िक्र है कि 17वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने मंदिर को तबाह कर दिया था और आज के मंदिर को 1777 में इंदौर की अहिल्या बाई होल्कर ने बनाया था इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं, "काशी और मथुरा का मंदिर औरंगज़ेब ने तोड़ा था और इसी औरंगज़ेब ने पता नहीं कितने मंदिरों और मठों को दान भी दियाजहां एक तरफ़ मंदिरों को तोड़ा जा रहा था वहीं दूसरी तरफ़ मंदिरों और मठों को दान, ज़मीन और पैसे दिए जा रहे थे लेकिन आज की तारीख़ में इतिहास की जटिलता को समझना और समझाना शायद ही आसान हैऔर ऐसे माहौल में सवाल है कि आप इतिहास की सुई को कितना पीछे ले जाएंगे और इससे क्या हासिल करेंगे?

लेखक और प्रोफ़ेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल पूछते हैं, "ये सवाल पूरे समाज को अपने आप से पूछना पड़ेगा कि इस तरह का ऐतिहासिक करेक्शन या संशोधन आप कहां तक करेंगे

अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया अपने संपादकीय में लिखता है इतिहास ख़ूबसूरत नहीं है लेकिन एक आधुनिक देश, ख़ासकर एक विविधतापूर्ण लोकतंत्र को, जो एक बड़ी वैश्विक आर्थिक ताक़त बनना चाहता है, उसे अपनी ऊर्जा इतिहास पर दोबारा मुक़दमेबाज़ी में ख़र्च नहीं करनी चाहिए क्योकि देश पहले से ही कई सांप्रदायिक मसलों का सामना कर रहा है, तब एक और 'मस्जिद-पहले-मंदिर-था' आयाम जोड़ने के ख़तरनाक नतीजे हो सकते हैं

ज्ञानवापी मसले के सुप्रीम कोर्ट पहुँचने पर अख़बार ने लिखा, "सुप्रीम कोर्ट को निचली अदालत को सीधी भाषा में बोलना चाहिए कि वो किसी भी याचिका को सुनते वक़्त 1991 उपासना स्थल विशेष प्रावधान क़ानून के क़ानून का पालन करें और किसी भी न्यायिक उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगाउपासना स्थल विशेष प्रावधान क़ानून, 1991 कहता है कि 1947 में जो धार्मिक उपासना स्थल जिस स्थिति में था, वैसे ही बने रहेंगे'रिक्लेम टेंपल्स' नाम के संगठन से जुड़े विमल वी के मुताबिक़ मुस्लिम शासकों ने अपनी 'संस्कृति' के तहत और 'वैचारिक श्रेष्ठता' दिखाने के लिए एक लाख हिंदू मंदिरों को बर्बाद कर दिया और अब मंदिरों को वापस लेने को हिंदुओं को 'ऐतिहासिक न्याय' के चश्मे से देखा जाना चाहिएसोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से हैंडल मिल जाएंगे, जो पूर्व में हिंदू मंदिरों के साथ कथित अत्याचार की बातें करते हैं|

यहां तक कि पूर्व मंत्री और भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने एक बयान में कहा है कि 'मुग़लों ने 36 हज़ार हिंदू मंदिरों को ढहाया और उन्हें क़ानूनी तौर पर वापस लिया जाना चाहिएकुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि मुस्लिम शासकों ने क़रीब 60,000 हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया, लेकिन डीएन झा और रिचर्ड ईटन जैसे इतिहासकारों के मुताबिक़, 80 हिंदू मंदिरों को नुक़सान पहुँचाया गया थाध्वस्त हिंदू मंदिरों की संख्या पर इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं, "60 के दशक में अख़बारों में 300 मंदिरों के तोड़े जाने की संख्या आनी शुरू हुई थी. उसके बाद अगले दो-तीन सालों में 300 से 3,000 हो गए. उसके बाद 3,000 से 30,000 हो गएऐसा नहीं है कि पूर्व के भारत के हिंदू मंदिरों में लूटपाट सिर्फ़ बाहर से आए ग़ैर-हिंदू आक्रमणकारियों ने ही कीइतिहासकार रिचर्ड ईटन के अनुसार "मंदिरों में स्थापित भगवान और उनके राजसी संरक्षकों के बीच नज़दीकी रिश्तों की वजह से शुरुआती मध्यकालीन भारत में राजसी घरानों के आपसी झगड़ों की वजह से मंदिरों का अपमान हुआ वर्ष642 में स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पल्लव राजा नरसिंह वर्मन-प्रथम ने चालुक्य राजधानी वातापी या बादामी से गणेश जी की प्रतिमा लूटी थी आठवीं सदी में बंगाली सेना ने राजा ललितादित्य पर बदले की कार्रवाई की और कश्मीर में ललितादित्य साम्राज्य में राजदेव विष्णु वैकुण्ठ की प्रतिमा को बर्बाद कर दिया हिदुओं ने न सिर्फ़ मंदिरों को लूटा, बल्कि मंदिरों पर हमला करके मूर्तियों को उठाकर ले गएकश्मीर के राजा हर्ष ने तो कमाल ही कर दिया था इसने एक विभाग ही बना दिया था जिसका काम था जगह जगह से मूर्तियां उखाड़ना नौंवी शताब्दी में राष्ट्रकूट राजा गोविंद-तृतीय ने कांचीपुरम पर हमला किया और इस पर क़ब्ज़ा कर लियाइससे श्रीलंका के राजा इतने डर गए कि उन्होंने सिंहला देश का प्रतिनिधित्व करने वाली कई भगवान बुद्ध कीप्रतिमाओं को भेजा जिन्हें राष्ट्रकूट राजा ने अपनी राजधानी के शिव मंदिर में स्थापित कियाक़रीब-क़रीब उसी वक़्त पांड्य राजा श्रीमारा श्रीवल्लभ ने श्रीलंका पर हमला किया और वहां के आभूषण महल में स्थापित सोने के बुद्ध की प्रतिमा को अपनी राजधानी लेकर आए |

11वीं सदी के शुरुआती वर्षो में चोल राजा राजेंद्र प्रथम ने अपनी राजधानी को उन प्रतिमाओं से सजाया जिन्हें उन्होंने कई राजाओं से छीना थाइनमें चालुक्य राजा से छीनी गई दुर्गा जी और गणेश जी की मूर्ति, उड़ीसा के कलिंग से छीनी गई भैरव, भैरवी और काली की प्रतिमाएं, पूर्वी चालुक्य से छीनी गई नंदी की प्रतिमाएं शामिल थींसाल 1460 में ओडिशा के सूर्यवंशी गजपति राजवंश के संस्थापक कपिलेंद्र ने युद्ध के दौरान शिव और विष्णु मंदिरों को ढहायाज़्यादातर मामलों में राजा शाही मंदिरों को लूटते थे और भगवान की मूर्तियों को ले जाते थे, लेकिन ऐसे भी कई मामले सुनाई दिए जिनमें हिंदू राजा अपने विरोधियों के राज मंदिरों को बर्बाद कर देते थेक्योकि 'राज परिवारों को मंदिरों से वैधता मिलती थी और विरोधियों के मंदिरों को तोड़ने का मतलब होता था- विरोधी की शक्ति और वैधता के स्रोतों पर हमला करना'उस समय भी सवाल पूछे जाते थे कि आप कैसे राजा हैं जो अपने मंदिर को नहीं बचा सके 'मंदिरों पर हमले की एक और वजह इसमें पाया जाने वाला सोना, हीरे-जवाहरात होते थेमुख्य रूप से कभी पता ही नहीं चल पाएगा कि कितने हिंदू मंदिरों का अपमान किया गयालेकिन 12वीं से 18वीं सदी के बीच 80 हिंदू मंदिरों के अपमान के क़रीब-क़रीब पक्के सबूत मिले हैं 

अब इसे ही कई हिन्दू संगठन 30000 और 60000 बताते है इसी तरह जब मुस्लिम तुर्क आक्रमणकारियों ने हमला किया तो इन्होने भी वही सब किया, चाहे वो तुग़लक़ साम्राज्य के शासक हों या फिर लोदी साम्राज्य के, हिंदू राजाओं द्वारा बौद्ध तीर्थस्थलों की बर्बादी?इतिहासकार डीएन झा ने अपनी किताब 'अगेंस्ट द ग्रेन- नोट्स ऑन आइडेंटिटी एंड मीडिएवल पास्ट' में ब्राह्मण राजाओं के हाथों बौद्ध स्तूप, विहार और तीर्थ स्थलों की तबाही की बात की हैहालांकि इनके दावों को चुनौती भी दी गई है हिंदुओं में अत्याचारपूर्ण जाति व्यवस्था और जटिल कर्मकांडों की वजह से प्राचीन भारत में लोग बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित होने लगे थे और माना जाता है कि हिंदू धर्म के अनुयायी इसे ख़तरे के तौर पर देखने लगे थेएक सोच है कि इससे निपटने के लिए हिंदुओं ने बौद्धों के ख़िलाफ़ अत्याचार किया. बौद्ध धर्म के कुछ पहलुओं का इस्तेमाल कर बौद्धों को वापस अपनी ओर खींचा और बुद्ध को हिंदू भगवान विष्णु का अवतार बताना शुरू कर दियाहिंदू धर्म के पुनर्जागरण में आचार्य शंकर का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है'एक तरफ़ जहां सम्राट अशोक भगवान बुद्ध को मानने वाले थे, वहीं इनके बेटेभगवान शिव के उपासक जालौक ने बौद्ध विहारों को बर्बाद कियाडीएन झा राजा पुष्यमित्र शुंग को बौद्धों का बड़ा उत्पीड़क बताते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि इसकी विशाल सेना ने बौद्ध स्तूपों को बर्बाद किया, बौद्ध विहारों को आग लगा दी और सागल आज का सियालकोटमें बौद्धों की हत्या तक कीपुष्यमित्र शुंग के बारे में बताया जाता है कि इसने पाटलिपुत्र आज के पटना में भी बौद्ध विहारों आदि को बर्बाद किया शुंग शासनकाल में बौद्ध स्थल सांची तक में कई भवनों के साथ तोड़फोड़ के सबूत मिले हैंचीनी यात्री ह्वेनसांग की भारत यात्रा के समय शिव भक्त मिहिरकुल ने 1,600 बौद्ध स्तूपों और विहार को नष्ट किया और हज़ारों बौद्धों को मार दियाप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में डीएन झा लिखते हैं कि इसके पुस्तकालयों को 'हिंदू कट्टरपंथियों ने आग लगा दी' और इसके लिए ग़लत तरीक़े से बख़्तियार खिलजी को ज़िम्मेदार ठहरा दिया, जो वहां कभी गए ही नहीं थेइस बात में कोई शक़ नहीं है कि पुरी ज़िले में स्थित पूर्णेश्वर, केदारेश्वर, कंटेश्वर, सोमेश्वर और अंगेश्वर को या तो बौद्ध विहारों के ऊपर बनाया गया या फिर उनमें उनके सामान का इस्तेमाल किया गयाप्रोफ़ेसर सराओ के मुताबिक़, बख़्तियार खिलजी और उसके लोगों ने नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह किया ऐसे कोई सबूत ही नहीं हैं पुष्यमित्र शुंग जैसे ब्राह्मण राजाओं के राज में बौद्धों या फिर उनके तीर्थ स्थलों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई या फिर ब्राह्मणों ने बौद्धों के ख़िलाफ़ अत्याचार कियाप्राचीन काल में अल्पसंख्यकों का संस्थागत उत्पीड़न नहीं होता थाहालांकि ख़ुद के धर्म को सच्चा मानने वालों का दूसरे धर्म के लोगों के ख़िलाफ़ अत्याचार सिर्फ़ भारत में ही नहीं, भारत के बाहर भी देखने को मिलता है. अहिंसा बौद्ध धर्म के केंद्र में है, लेकिन देखा गया है कि श्रीलंका और म्यांमार में बहुसंख्यकों पर दूसरे धर्म के लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के आरोप लगे हैंभारत के पड़ोस पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान की कहानी अलग नहीं है. हाल ही में इस्तांबुल में पूर्व में कथिड्रल रहे हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदल दिया गयायूरोप के धार्मिक युद्धों में गिरिजाघरों में हिंसा देखने को मिलीलेकिन आज के भारत में इतिहास के इतने जटिल हिस्सों को टीवी पर होने वाली बहसों में पेश करने के तरीक़ों पर इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं, "पॉपुलर हिस्ट्री आसान होती है और प्रोफ़ेशनल हिस्ट्री जटिल. एक प्रोफ़ेशनल हिस्ट्री की किताब 1,000 लोग पढ़ेंगे. टीवी चैनल को 10 लाख लोग देखेंगेतो सुनने को मिलता हैलिखते रहिए 1,000 लोगों के लिए, हम तो 10 लाख लोगों तक पहुँच जाएंगे इसलिए ऐसे मुद्दे पर समझदारी की जरुरत है न की विवाद बढाने की |


#kldclasses #kldclassesblogger #religion #history

2 टिप्पणियाँ

  1. na hi mandir hona bura hai aur na hi masjid bura hai to insaan jo insano ko batta hai ki tum ye nahi kar sakte ho tum waha nahi ja sakte hai tumhe ye kisne kaha karne ke liye esliye jab dharm ke sath kaattrata aa jati hai to chahe koi hindu ho ya musalman sab bure hi hote hai ..........

    जवाब देंहटाएं
  2. ना हमे मंदिर चाहिए न हमे मस्जिद हमे तो बस चाहिए मानवता जिस दिन ये आ जायेगा फिर कितने मंदिर है कितने मस्जिद है किसी को कोई फर्क नहीं पडेगा

    जवाब देंहटाएं
और नया पुराने