पुरुषो को बैठकर पेशाब करना चाहिए या खड़े होकर ?
कई देशो में कई संस्कृतियों में बच्चो को सिखाया जाता है की लड़के खड़े होकर पेशाब करते है जबकि लडकिया बैठकर |
मगर अब कई सारे देशो के स्वास्थ्य विभाग इस व्यापक रूप से फैली और स्वभाविक सी धारणा को लेकर सवाल उठा रहे है की पुरुषो को पेशाब कैसे करना चाहिए ?
यह सवाल कई बार स्वास्थ्य और साफ़ सफाई को लेकर भी पूछा जाता है तो कुछ लोगो के लिए समान अधिकारों का भी मामला है तो फिर कौन सही कौन गलत है ?
अधिकतर पुरुषो के लिए खड़े होकर पेशाब करने से आसान तरीका और कुछ नहीं है इसके काम जल्दी भी निपट जाता है और यह एक व्यवहारिक तरीका भी है क्या आप ने कभी भी पुरुषो के सार्वजनिक मूत्रालयो के बाहर लम्बी लम्बी कतारे देखी है ? सबका जवाब होगा नहीं |
इसके पीछे 2 कारण होते है :-
1.पुरुष तुरंत पेशाब कर सकते है क्योकि उन्हें ऐसा करने के लिए कई सारे कपडे नहीं हटाने पड़ते है |
2. क्योकि पुरुषो के यूरिनल क्युविक्ल्स (कक्ष ) की तुलना में कम जगह घेरते है इसलिए कम जगह में एक साथ कई पुरुष पेशाब कर सकते है |
विज्ञान क्या कहता है : सबसे पहली बात पेशाब इंसान के गुर्दों ( किडनी ) में बनता है ये गुर्दे हमारे खून से ख़राब पदार्थो को अलग करते है फिर पेशाब एक थैली में जमा (इकठ्ठा ) होता है इसी कारण से हम बार बार टॉयलेट जाने से बचते है और रात में आराम से सो पाते है
आमतौर पर बलैडर 300 से 600 मिली लीटर तक पेशाब इक्ठटा कर सकता है मगर 200 ml भरने पर ही हमे पेशाब करने का आभास हो जाता है और अगर आपके आस पास कोई सुरक्षित स्थान नही है तो आप इसे कुछ देर के लिए रोक भी सकते है
एक स्वस्थ व्यक्ति को पेशाब करने के लिए जोर लगाने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए लेकिन कई बार तो बहुत ही मुश्किल का भी सामना करना पड़ता है
एक रिपोर्ट के अनुसार जिन पुरुषो के प्रोटेस्ट में सूजन होता है और अगर इसके कारण से पेशाब करने में दिक्कत आ रही हो तो उन्हें डॉक्टर बैठ कर पेशाब करने की सलाह देते है और एक तरह से लाभ भी मिलता है और इसी रिपोर्ट में कई बड़े बड़े खुलासे भी हुए है
एक तरफ जहा ब्रिटेन में नेशनल हेल्थ सर्विस पेशाब करने में दिक्कतों का सामना करने वाले पुरुषो को सुझाव देती है की पेशाब करने के लिए किसी अच्छी जगह पर आराम से बैठ जाए
आपने सूना भी होगा की बैठकर पेशाब करने से प्रोटेस्ट कैंसर नहीं होता है और पुरुषो की सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है लेकिन इस बात का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है
विवाद का कारण : पुरुष खड़े होकर पेशाब करते है तो इधर उधर फैलने का खतरा बना रहता है जो की स्वच्छता के हिसाब से ठीक नहीं माना जा सकता है क्योकि उसी टॉयलेट को दुसरे अन्य लोग भी प्रयोग करेंगे और वो भी उसी दिन और इस बात पर सभी को जोर देना चाहिए की पुरुष भी बैठकर पेशाब करे
2012 में स्वीडन देश में इसकी शुरुआत होते देखी गई जब एक स्थानीय राजनेता ने अपने कस्बे में सार्वजनिक शौचालयों की हालात को सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाया और पुरुषो को बैठकर पेशाब करने की व्यवस्था कराई
इसके बाद से पूरी दुनिया में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई इसके बाद यूरोपीय देशो में जैसे जर्मनी में भी सार्वजनिक शौचालयों के नियम में सुधार किया गया जर्मनी देश में आप सार्वजनिक शौचालयों में खड़े होकर पेशाब नहीं कर सकते है आप भले ही पुरुष हो या स्त्री सभी को बैठकर ही करना होगा वरना आपको सफाई के साथ साथ जुर्माना भी देना होगा
कुछ शौचालयों में तो ट्रैफिक संकेतो की तरह संकेत भी लगे है की आप यहाँ पर खड़े होकर पेशाब नहीं कर सकते है
वर्ष 2015 की ही बात है जर्मनी देश की कोर्ट में एक केस इसी से जुड़ा हुआ काफी चर्चा में था केस इस बात को लेकर था की एक मकान मालिक ने अपने किराये दार पर इस बात को लेकर केस कर दिया था की उसके द्वारा टॉयलेट में लगवाए गए टाइल्स ( पत्थर ) इसलिए खराब हो गये क्योकि पेशाब करने के दौरान उसके छीटे काफी दुर तक फ़ैल रहे थे और कोर्ट ने किरायेदार के पक्ष में फैसला सुनाया की पुरुषो के लिए खड़े होकर पेशाब करना एक मान्य तरीका है और किरायेदार ने कुछ भी गलत नहीं किया है लेकिन इस फैसले के आने के बाद दुनिया भर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई थी कि :-
1.जरुरी ये नहीं है कि आप अपने घर पर खड़े होकर पेशाब करे हा इसको सार्वजनिक स्थानों पर लाना या करना कितना सही है ?
2.ये विवाद हो सकता है आप सभी के लिए एक नया हो लेकिन आप सभी ध्यान दे तो टॉयलेट को लेकर कई धर्मो में तो ये भी लिखा है की आप को टॉयलेट या अपने शरीर के मल-मूत्र को अपने गाँव से बाहर ही जहा पर किसी प्रकार की इंसानी बस्ती न रहती हो पर आज आप एक बार ध्यान से सोचे तो इसका जवाब आपको स्वय ही मिल जायेगा की आज गाँव से दूर की बात कौन करे कई लोगो के यहाँ टॉयलेट ऐसे स्थान पर बने होते है जहा पर एक तरफ भोजन तो दूसरी तरफ टॉयलेट बने हुए है
शहरो के साथ साथ अब ये ही चीजे गाँवों में भी देखी जा रही है जबकि स्वच्छता के हिसाब से ये नहीं होना चाहिए और सबसे बड़ी बात धार्मिक आधार पर भी इसे गलत माना गया है
3.पुरुष को बैठकर पेशाब करने में समस्या ही क्या है :-
धर्म का डर है ?
समाज का डर ?
4.जबकि आप देखे तो केंद्र सरकार का पूरा ही फोकस स्वच्छता को लेकर ही है इसलिए पहले अपने मनो को साफ़ करिए कहा भी गया है की अंदर की सफाई कर लेने पर बाहर की सफाई अपने आप ही हो जाती है..........
.................एक कदम स्वच्छता की ओर ..................





sudhar to hoga hi par esme time lagega ab modi ji iski suraat kare to bhle hi jldi ho jaye kyoki thali bajane wale aur taali bajane wale esi deshe me rahte hai to ye bhi kar lenge esme kya hai
जवाब देंहटाएंhm log dekh dekh ke karne wale hai esliye jab puri duniya kar legi to hm bhi kar lenge isme naia koi baat nahi hai
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